महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।अर्थात, भगवान शिव शंकर, जो पर्वतराज हिमालय के नजदीक पवित्र मंदाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं, हमेशा ऋषि मुनियों द्वारा पूजे जाते हैं। जिनकी यक्ष-किन्नर, नाग व देवता-असुर आदि भी हमेशा पूजा करते हैं उन अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव शंकर की मैं स्तुति करता हूँ।
इसी भावना और स्तुति के साथ एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 21 अक्टूबर, 2022 को बाबा केदार के दर्शन करने पहुँचे। पीएम पूजा अर्चना करने के बाद विकास की परियोजनाओं का अवलोकन किया और श्रमजीवियों से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान प्रदेश में 3400 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया, जिसमें गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब को जोड़ने वाली दो नई रोप-वे योजनाएँ भी शामिल हैं।
ग़ौरतलब है कि रोप-वे निर्माण से केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को सबसे अधिक लाभ होगा। जहाँ अभी गौरीकुंड से केदारनाथ जाने में करीब 6 घंटे का समय लगता है, वहीं रोप-वे बनने के बाद यह दूरी मात्र आधे घंटे में तय की जा सकेगी।
प्रधानमंत्री बाबा बदरीनाथ के भी दर्शन करने पहुँचे जहाँ वे रिवरफ्रंट विकास कार्य की समीक्षा कर रहे हैं। इसके साथ ही वे, माणा गांव में सड़क और रोपवे परियोजना की आधारशिला रखेंगे। धार्मिक स्थलों की अपनी यात्रा की कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी 23 अक्टूबर को अयोध्या पहुँचेंगे, जहाँ वे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल का निरीक्षण करेंगे।
बद्रीनाथ धाम पहुँचने पर प्रधानमंत्री मोदी भारत की सीमा पर बसे इस अंतिम गाँव माणा से अपनी यादें याद दिलाना नहीं भूले। उन्होंने याद दिलाया कि एक समय था जब उन्होंने माणा में भाजपा कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई थी।
उत्तराखंड और देवस्थानों के पुनरुत्थान के लिए हाल ही के दिनों में मोदी सरकार द्वारा कई योजनाओं का विस्तार और शिलान्यास किया गया है। बीते वर्ष ही प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम में श्री आदि शंकाराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया था।
आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करते समय उन्होंने कहा था, “गुलामी के कालखंड में हमारी महान चेतना ने हमें बाँध कर रखा। आजादी के अमृत महोत्सव में हमें हमारी हजारों वर्षों की पंरपरा की अनुभूति करने का समय है।”
महाकाल कॉरिडोर से ले कर केदारनाथ धाम तक, पीएम मोदी ने निभाया वादा
पीएम मोदी का यह संकल्प हमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा सहित देश के कई हिस्सों में स्थित देवस्थानों के उद्धार में देखने को मिला। हाल ही में उनके द्वारा उज्जैन के महाकालेश्वर में महाकाल लोक कॉरिडोर को लोकार्पित किया गया था।
चाहे बात बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर की हो या महाकाल लोक कॉरिडोर की, इनका पुनरुत्थान भारत के गौरवमयी इतिहास का पुनरुत्थान है, जिसे आक्रांताओं द्वारा समय-समय पर मिटाने की की कोशिश की गई।
भगवान शिव में प्रधानमंत्री मोदी की आस्था और भक्ति समय-समय पर सार्वजनिक तौर पर दिखाई देती रही है। वे इसे छुपाने का प्रयास नहीं करते। यह अपनी धर्म और संस्कृति में उनके विश्वास और गौरव का परिचायक है। सनातन और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान को लेकर उनके द्वारा किये गए कार्य निरंतर सराहे जा रहे हैं।
अपने कार्यकाल में छठी बार बाबा केदार का दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले आठ वर्षों में बार-बार अलग-अलग कारणों से उत्तराखंड का दौरा किया। 2019 के लोकसभा चुनावों के आखिरी मतदान चरण में भी वे केदारनाथ पहुँचे थे, जिसे लेकर लेकर सामाजिक और राजनीतिक हलकों में प्रश्न भी खड़े किए गए थे।
हालाँकि, प्रधानमंत्री मोदी ने इसके बाद दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ली और दूसरी ओर, केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं ने रिकोर्ड स्तर पर बाबा केदार के दर्शन भी किए। आज के समय पर सबसे अधिक युवाओं में बाबा केदार के दर्शन की परंपरा विकसित हुई है।
सबसे ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में जब भीषण आपदा आई थी, तब उत्तराखंड में कॉन्ग्रेस सरकार ने उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति नहीं दी थी। वैसे देखा जाए तो एक लंबे समय तक अनुमति तो उन्हें अमेरिका जाने की भी नहीं दी गई थी।
इतिहास का पुनरुत्थान और धार्मिक स्थलों पर विकास योजनाओं का लाभ देश के हर वर्ग को मिलता है। संस्कृति के पुनःजागरण को बुद्धिजीवी और राजनीतिज्ञ धर्म की राजनीति से भले ही जोड़ें लेकिन, इसका आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ देश को ही मिलता है। ऐसे में हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता और धर्म का पुरुत्थान जो भारत को एक बार फिर विश्व के केंद्र में देखना चाहता है, स्वागत योग्य है।