“बिस्तिर्नो पारोरे, अशंख्य जोनोरे
हाहाकार खुनिऊ निशोब्दे निरोबे
बुढ़ा लुइत तुमि, बुढ़ा लुइत बुआ कियो?”
असमिया भाषा में लिखी भूपेन हजारिका की इन पंक्तियों का हिंदी अर्थ है-
“विस्तार है अपार…जनता दोनों पार…करे हाहाकार।
निशब्द सदा, ओ नदी तुम, बहती हो क्यूँ?”
हजारिका ने उस समय के असम की परिस्थितियों को देखते हुए- North East के हालातों को देखते हुए ये पंक्तियां लिखी थी। तब नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से बहुत दूर था। 2014 तक नॉर्थ ईस्ट को शायद जानबूझकर दूर ही रहने दिया गया लेकिन 2014 के बाद परिस्थितियां बदल गईं।
अब दिल्ली नॉर्थ ईस्ट में दिखती है और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में। जी हाँ, राजधानी के भारत मंडपम में अष्टलक्ष्मी महोत्सव चल रहा है। 6 दिसंबर को पीएम मोदी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया है।
ऐसे में आइए समझते हैं कि कैसे पिछले लगभग 10 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट की तस्वीर ही नहीं बदली गई बल्कि देश के पूर्वोत्तर हिस्से को लेकर लोगों का परसेप्शन भी बदल गया है।
2013 में जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी थे, तब वे कहते थे कि North East को बदला जा सकता है। मोदी विरोधी कई कथित पत्रकार उस समय कहते थे कि दिल्ली के लिए नॉर्थ ईस्ट बहुत दूर है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने इस परसेप्शन को बदलकर रख दिया। 2014 में सरकार बनाने के बाद पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को नॉर्थ ईस्ट भेजने की शुरूआत की।
पिछले एक दशक में लगभग 700 बार केंद्रीय मंत्रियों ने नॉर्थ ईस्ट के दौरे किए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं जुलाई 2023 तक, पीएम मोदी ने भी नॉर्थ ईस्ट के 60 दौरे किए हैं।
इससे समझ आता है कि किस प्राथमिकता के साथ पीएम मोदी ने North East के लिए काम किया है। उन्होंने ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी को ‘एक्ट ईस्ट’ में बदला और अब उसे ‘एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट, एक्ट फर्स्ट’ में बदल दिया है।
पीएम मोदी की इसी पॉलिसी और नॉर्थ ईस्ट के लिए उनकी वचनबद्धता का परिणाम है कि 2014-15 में जिस नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए केंद्र के बजट में 27,359 करोड़ रुपये का प्रावधान था। उसी नॉर्थ ईस्ट के लिए आज लगभग 275 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1,02,749 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
नॉर्थ ईस्ट में एयरपोर्ट की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गई है। सड़क, हाईवे जैसे तमाम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी वृहत स्तर पर परिवर्तन आया है। North East के सभी राज्यों में 5G पहुँच चुकी है। इसके साथ ही डिजिटल भारत निधि के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत के 5600 गांवों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुँचाया गया है
केंद्र सरकार की इस डिजिटल कनेक्टविटी से बड़े स्तर पर लोगों को लाभ मिल रहा है। NERACE अर्थात North Eastern Region Agri-Commodity e-connect इसका एक बड़ा उदाहरण है- जी हाँ, आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि नॉर्थ ईस्ट के गुवाहाटी जैसे बड़े शहर ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे गांव भी इस पॉर्टल से व्यापार कर रहे हैं।
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नागालैंड का ओल्ड टेसन गांव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह गांव इस पॉर्टल से विश्व प्रसिद्ध नागा किंग चिल्ली देश और दुनिया के खरीददारों को बेचता है। ऐसे छोटे बड़े तमाम इनिशिएटिव हैं, जिनके कारण नॉर्थ ईस्ट बदलता दिखाई दे रहा है। पीएम मोदी ने अष्टलक्ष्मी महोत्सव के उद्घाटन में बताया है कि ये संभव कैसे हुआ।
आपने सुना कि पीएम मोदी ने कहा कि North East के राज्यों के पास सीटें कम थी, वोट कम थे- इसलिए केंद्र की सत्ता में रहने वाले दलों ने उसके विकास पर ध्यान नहीं दिया। अब सरकार बदले हुए दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है।
दृष्टिकोण स्पष्ट है कि पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करते हुए विकास का रास्ता अपनाया जाए। देश की सांस्कृतिक विविधता तो ऐसी है कि हर राज्य किसी ना किसी तरह से देश के दूसरे किसी ना किसी राज्य से सांस्कृतिक तौर पर जुड़ता है।
नॉर्थ ईस्ट के लोग भी बड़ी संख्या में गुजरात के द्वारका में जाते हैं। भगवान द्वारिकाधीश के मंदिर में जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को लेकर नॉर्थ ईस्ट के लोगों की आस्था विशेष है।
विशेष इसलिए क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण नॉर्थ ईस्ट के दामाद थे। जी हाँ, देवी रुक्मिणी नॉर्थ ईस्ट की बेटी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने नॉर्थ ईस्ट के लोगों को गुजरात के पोरबंदर के पास होने वाले माधवपुर मेले का निमंत्रण भी दिया है।
आपने देखा कि कैसे पीएम मोदी ने कल्चरल इंटीग्रेशन करते हुए उसे आर्थिकी से जोड़ दिया। नॉर्थ-ईस्ट के लोग मेले में आएंगे। वहाँ उनके स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शिनी लगेगी तो निश्चित तौर पर उनके उत्पादों की ना सिर्फ बिक्री बढ़ेगी बल्कि उनके लिए एक पूरा नया बाजार खुल जाएगा।
अब दोबारा भूपेन हजाारिका पर लौटते हैं। लेख की शुरूआत में जिनकी पंक्तियों आपने पढ़ी, वे असम के महान कलाकार थे। 2019 में पीएम मोदी ने उन्हें भारत रत्न दिया। इतना ही नहीं 2024 में असमिया भाषा को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा पीएम मोदी ने दिया।
ऐसे तमाम नए-नए तरीकों से, नई-नई योजनाओं से पिछले दस वर्षों से नॉर्थ ईस्ट को विकास से और देश की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यही कारण है कि अब हम North East के लोगों के साथ दुर्व्यवहार की लगभग एक भी ख़बर नहीं सुनते। ऐसे में निश्चित तौर पर एक बात कही जा सकती है कि ये नया नॉर्थ ईस्ट है।