प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संवाद शैली का हर कोई प्रशंसक रहा है। बात देश या विदेश की हो या फिर पक्ष और विपक्ष की तमाम सहमति-असहमति के बावजूद सभी लोग मोदी को एक प्रभावी संचारक के रूप में मानते हैं।
बीते रविवार को पीएम मोदी ने मां काली के सम्बन्ध में एक बयान दिया, जिसने एक बार फिर यह साबित किया है कि क्यों मोदी को एक असाधारण वक्ता के रूप में जाना जाता है। मोदी का यह कथन उस समय आया है जब मां काली पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा का विवादित बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
डॉक्युमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर में हिंदु देवी मां काली को सिगरेट पीते हुए बताया गया है, जिसके समर्थन में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में महुआ ने कहा था कि “मां काली मांस खाने वाली, शराब स्वीकार करने वाली देवी है।”
एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने रामकृष्ण परमहंस का उल्लेख करते हुए कहा कि “स्वामी रामकृष्ण परमहंस ऐसे संत थे, जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था। वो कहते थे सम्पूर्ण जगत मां की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है।”
मनोज बाजपेयी की राजनीति नामक फिल्म का एक डायलॉग बहुत प्रचलित हुआ था। जिसमें वे अपने विरोधियों को कहते हैं कि “करारा जवाब मिलेगा।” राजनीतिक विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि मोदी ने बिना नाम लिए अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया है।
संचार के विशेषज्ञ फ्रांसिस बेटजिन ने बताया है कि 7-सी के सिद्धांत (7-C’s of Communication) का उपयोग कर संचारक बहुत ही सरलता और प्रभावी ढंग से जनता तक अपना संदेश पहुंचा सकता है। इस सिद्धांत के सातों सी- स्पष्टता (Clarity), संदर्भ (Context), निरंतरता (Continuity), विश्वसनीयता (Credibility), विषय वस्तु (Content), माध्यम (Channel) और पूर्णता (Completeness) प्रधानमंत्री मोदी के बयान में झलकती है।
पीएम मोदी मां काली को केवल बंगाल तक सीमित नहीं करते हैं बल्कि वे मां काली को असीमित मानते हैं। वे आगे कहते हैं कि “स्वामी विवेकानन्द को मां काली की जो अनुभूति हुई, उनके जो आध्यात्मिक दर्शन हुए उसने उनके भीतर असाधारण ऊर्जा और सामर्थ्य का संचार किया।” मोदी अपने वक्तव्य को व्यक्ति केन्द्रित न कर अध्यात्म से जोड़कर कहते हैं कि “भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर विश्व कल्याण की भावना को लेकर आगे बढ़ रहा है।”
पीएम मोदी की अपनी विशिष्ट शैली उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग बनाती है। वे बिना किसी जाल में फंसे, प्रतिक्रियात्मक हुए बिना, जवाब भी दे देते हैं, अपनी बात भी कह देते हैं। जिसका प्रभाव गहरा व लम्बे समय तक रहता है और संवैधानिक पद की गरिमा भी बनी रहती है।
यहां भी उन्होंने अपनी बात तो कही ही है साथ ही एक लम्बी रेखा खींचकर विरोधियों को और जनता को यह संदेश भी दिया है कि ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।’