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Home » कांग्रेस और गांधी परिवार ने दिया खालिस्तान को खाद-पानी
प्रमुख खबर

कांग्रेस और गांधी परिवार ने दिया खालिस्तान को खाद-पानी

इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी, कमल नाथ और जैल सिंह का था खालिस्तानियों को समर्थन देने में बड़ा हाथ।
हिमांशी बिष्टBy हिमांशी बिष्टAugust 14, 2023No Comments5 Mins Read
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की आलोचना की और 1984 में अकाल तख्त पर सेना के हमले और 1966 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी के आदेश पर मिजोरम में वायु सेना के हमले का ज़िक्र किया।
इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी, कमल नाथ और जैल सिंह का था खालिस्तानियों को समर्थन देने में बड़ा हाथ।
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लोकसभा सत्र के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि भारत माता की हत्या कर दी।  

संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहस के दौरान विपक्ष की बातों का जवाब दिया और कांग्रेस के शासन के इतिहास के सभी पन्नों की परतें खोली तो विपक्ष ने बिना उनकी बातें सुने वॉकआउट करने का रास्ता चुना। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की आलोचना की और 1984 में अकाल तख्त पर सेना के हमले और 1966 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के आदेश पर मिजोरम में वायु सेना के हमले का ज़िक्र किया। 

उन्होंने बताया कि “तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1966 में मिजोरम में लोगों पर हमला करने के लिए वायु सेना को निर्देश दिये और 1980 के दशक में अकाल तख्त पर सैन्य हमला किया। 

Reason why #IndiraGandhi launched Operation Blue Star (in which Akal Takht was damaged ) was because terrorists led by Bhindranwale were daily killing innocents. Indira did not “bomb Mizoram” she ordered Air Force strikes against MNF separatists. No @INCIndia did not split India,… pic.twitter.com/RGhRYvdV0Y

— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) August 11, 2023

पीएम मोदी की टिप्पणी के बाद कांग्रेस समर्थक एक्शन मोड में आए और अपनी-अपनी बातें कहने लगे। इसमें सबसे आगे रही सागरिका घोष जिन्होंने ट्वीट कर बताने की कोशिश की कि इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार (जिसमें अकाल तख्त को नुकसान पहुंचा था) क्यों शुरू किया और इस ऑपरेशन को ज़रूरी भी बताया। कांग्रेसी समर्थकों ने इंदिरा गांधी द्वारा अकाल तख्त की घेराबंदी को सही ठहराया।

मगर क्या ये सही था?

अकाल तख्त सिखों के पांच तख्तों में से एक है जो स्वर्ण मंदिर में स्थित है। आज जब भी अकाल तख़्त का ज़िक्र होता है तो सबसे पहले इंदिरा गांधी द्वारा करवाया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार जरनैल सिंह भिंडरावाले की हत्या याद आती है। भले ही उनकी हत्या में इंदिरा गांधी का बड़ा हाथ था मगर ये किसी से छुपा नहीं है कि भिंडरावाले को वास्तव में इंदिरा गांधी और कांग्रेस नेताओं ने ही खड़ा किया था और उसे इनका ही समर्थन प्राप्त था जो आज देखा जा सकता है कि कैसे देश और विदेशों में भी खालिस्तान का भारत विरोध उग्रवाद में बदल गया है। 

अब सवाल है कि भिंडरावाले को किस प्रकार कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था? 

इस सवाल का जवाब कई लेखकों की किताबों के पन्नों में मिल जाता है जिसमें कुलदीप नैयर अपनी किताब ‘ट्रेजेडी ऑफ़ पंजाब’ में यह बतातें हैं कि पंजाब में सत्ता में लौटने के लिए कांग्रेस ने भिंडरावाले को कैसे तैयार किया। वो बताते हैं कि  

“संजय गांधी ने अकाली दल सरकार को चुनौती देने के लिए एक ‘संत’ को खड़ा करने का सुझाव दिया और भिंडरावाले चुन लिए गए। जो वास्तव में कट्टर थे।” साथ ही संजय गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक कमलनाथ ने खुद कुलदीप नैयर से कहा था कि वे अक्सर भिंडरावाले को पैसे देते थे लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह आतंकवादी बन जाएगा।

यहाँ तक कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, जो पंजाब के सीएम भी थे, उनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने पंजाब चुनावों के दौरान कांग्रेस का समर्थन करने के लिए भिंडरावाले को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। 

मार्क टुली और सतीश जैकब द्वारा लिखित पुस्तक “Amritsar,Mrs. Gandhi’s last battle” में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भिंडरावाले का राजनीतिकरण करने के लिए अमृतसर के एक होटल में “दल खालसा” पार्टी की पहली बैठक आयोजित की गई थी, जो निरंकारी सम्मेलन पर हमले से ठीक एक सप्ताह पहले हुई थी। किताब में यह भी बताया गया है कि कैसे जैल सिंह ने “दल खालसा” को अखबार के पहले पन्ने पर रखने के लिए हर पत्रकार को निर्देश दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी के जरिए भिंडरावाले को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

केवल इतना ही नहीं “ए सेंटेनरी हिस्ट्री ऑफ द इंडियन नेशनल कांग्रेस” पुस्तक के एक अन्य खंड में उल्लेख किया गया है कि कैसे जैल सिंह और संजय गांधी ने भिंडरावाले के उदय में योगदान दिया, जिसने अकालियों को कमजोर किया लेकिन बदले में प्रांतीय राजनीति में सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया।

संजय गांधी, कमल नाथ और जैल सिंह का सामूहिक प्रयास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समर्थन से ही संभव हो सका। इस नेटवर्क की पुष्टि लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड़ ने की थी, जिन्होंने 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व किया था। एएनआई की प्रधान संपादक स्मिता प्रकाश के साथ एक पॉडकास्ट एपिसोड में उन्होंने उल्लेख किया कि इंदिरा गांधी ने भिंडरावाले को फ्रेंकस्टीन बनने की अनुमति दी थी, लेकिन जब वह शिखर पर पहुंच गया, तो उसे नष्ट भी कर दिया गया। 

पंजाब संकट के प्रथम-व्यक्ति पूर्व रॉ अधिकारी जीबीएस सिंधु द्वारा यह उल्लेख किया है कि इस तरह के ऑपरेशनों का कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि सब कुछ मौखिक रूप से तय किया गया था। अपनी पुस्तक “द खालिस्तान कॉन्सपिरेसी” में उन्होंने उल्लेख किया है कि उस समय कांग्रेस नेताओं द्वारा भिंडरावाले के उदय के साथ खालिस्तान भावनाओं को जानबूझकर प्रोत्साहित किया गया था। यह सुनाया गया कि “हम (कांग्रेस) खालिस्तान भिंडरावाले मुद्दे पर अगला चुनाव जीतेंगे”

भिंडरावाले, जो सिख धार्मिक संप्रदाय दमदमी टकसाल का प्रमुख था, ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान अपने सशस्त्र अनुयायियों के साथ मारा गया था। इसके तुरंत बाद, खालिस्तानी गतिविधियों में वृद्धि हुई, जिन्होंने सिखों के लिए एक अलग राज्य की मांग की।

इतिहास में कांग्रेस ने जिस तरह से इस उग्रवाद को धीरे धीरे पनपने दिया वह बाद में चल कर देश पर भारी पड़ रहा है । आज खालिस्तान समर्थक विदेशों में भारत के विरोध में नज़र आ रहे हैं ल। ये केवल आज की ही बात नहीं बल्कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के तुरंत बाद ही इंदिरा गाँधी को उनके ही दो सिख बॉडीगार्डस ने हत्या की थी। वास्तव में खालिस्तान वो उग्रवाद था जिसे कांग्रेस धीरे धीरे खाद पानी दे रही थी। 

यह भी पढ़े : नेहरू-गांधी परिवार: ‘मुहब्बत’ की दुकान या नफरत का मेगा मॉल?

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