हिंदी में एक मूर्धन्य कवि हुए हैं; सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’। निराला का आतिथ्य सत्कार बड़ा प्रसिद्ध था। किस्सा है कि एक बार हिंदी के एक और बड़े कवि और साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ उनसे मिलने प्रयागराज पहुँचे। जब ‘अज्ञेय’ पहुँचे तब ‘निराला’ रसोई में खाना बना रहे थे। उन्होंने अपना खाना अज्ञेय को खिला दिया। साहित्य के क्षेत्र में जैसे ‘निराला’ थे वैसे ही राजनीति मे अटल जी थे और आज की राजनीति में वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दिखाई देते हैं।
अटल जी सत्ता में रहे या विपक्ष में, मानवीय संवेदनाएं उनके लिए सदैव सबसे ऊपर रही। अटल जी के ऐसे तमाम किस्से हैं जब उन्होंने विपक्षी नेताओं की ‘आउट ऑफ द वे’ जाकर मदद की।
PM Narendra Modi ने किया खड़गे को फ़ोन
सुब्रमण्यण स्वामी तो यहाँ तक दावा करते हैं 2001 में राहुल गांधी को अमेरिका में पुलिस ने पकड़ लिया था। अटल जी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को फ़ोन करके राहुल गांधी को छुड़वाया था।
ऐसे अटल जी के सीने से भाग कर लग जाने वाले Narendra Modi जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भी उसी ‘अटल परंपरा’ का पालन किया।
सत्ता पक्ष या फिर कहें NDA के नेताओं की बात छोड़िए विपक्ष के भी किसी नेता की तबियत अगर ख़राब हो जाती है तो सबसे पहले पीएम मोदी का फ़ोन उनके पास पहुँचता है।
रविवार (29 सितंबर,2024) को भी ऐसा ही हुआ। दरअसल, जम्मू और कश्मीर के कठुआ में भाषण देते समय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तबियत ख़राब हो गई।
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पीएम मोदी को जैसे ही पता चला उन्होंने तुरंत फ़ोन करके कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। पीएम मोदी का इतनी शीघ्रता से कांग्रेस अध्यक्ष के स्वास्थ्य की चिंता करना दिखाता है कि वे लोकतंत्र के सच्चे ध्वजवाहक हैं।
विपक्षी नेता या विपक्षी पार्टी के साथ उनके मतभेद तो हैं लेकिन उनके प्रति कोई मनभेद नहीं है। यही तो लोकतंत्र है। यही वो समय होता है जब पता चलता है कि किसी नेता की लोकतंत्र में कैसी और कितनी आस्था है। इससे किसी नेता की संवेदनशीलता का भी पता चलता है।
इस घटना से पीएम मोदी की संवेदनशीलता तो वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे की संवेदनहीनता भी सामने आ गई। जैसे ही खड़गे को तबियत में थोड़ा-सा आराम मिला, उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को सत्ता से हटाने से पहले वे नहीं मरेंगे।
अब आप समझिए, अपनी तबियत खराब होने पर भी खड़गे राजनीतिक स्कोर बना रहे हैं और वो भी उस व्यक्ति के नाम पर जिन्होंने तुरंत फ़ोन करके उनका कुशल-क्षेम पूछा। उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। जो उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहा है। इससे ज्यादा संवेदनहीन राजनीति और क्या हो सकती है?
पीएम मोदी करते हैं विपक्षी नेताओं की चिंता
इकोसिस्टम के कुछ कुतर्की कह सकते हैं कि पीएम मोदी का खड़गे को फ़ोन करना चुनावी स्टंट है। जम्मू और कश्मीर में चुनाव है इसलिए पीएम मोदी ने फोन कर लिया तो आइए देखते हैं कि कैसे पीएम मोदी सदैव विपक्षी नेताओं की चिंता करते आए हैं और सिर्फ विपक्षी ही नहीं बल्कि उन नेताओं की भी जिन्हें पीएम मोदी फूटी आंख नहीं सुहाते।
जुलाई, 2022 में जब लालू प्रसाद यादव की तबियत ख़राब हुई थी। उस समय पीएम मोदी ने उनके बेटे और RJD नेता तेजस्वी यादव से फ़ोन करके उनकी तबियत की जानकारी ली थी।
याद रखिए, लालू प्रसाद यादव ने, तेजस्वी यादव ने या फिर RJD के शायद किसी भी नेता ने कभी भी PM Narendra Modi के लिए सार्वजनिक तौर पर अच्छे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है।
इसी तरह से पीएम मोदी ने अक्टूबर, 2022 में अखिलेश यादव को फ़ोन किया था। दरअसल, तब मुलायम सिंह यादव तबियत खराब होने के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे।
पीएम मोदी ने अखिलेश यादव से मुलायम सिंह यादव की तबियत पूछी और उनसे कहा कि किसी भी सहयोग की ज़रूरत हो तो ज़रूर बताएं, मैं यहाँ हूँ।
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जरा और पीछे चलते हैं। जुलाई, 2018 में जब पीएम मोदी अफ्रीकन देशों के 5 दिवसीय दौरे पर थे तब उन्हें पता चला कि DMK नेता करुणानिधि की तबियत ख़राब है। पीएम मोदी ने करुणानिधि के बेटे और DMK नेता स्टालिन से बात करके उनकी तबियत के बारे में जानकारी ली और हर तरह के सहयोग की बात कही।
इसी तरह से नवंबर, 2016 में जब AIADMK मुखिया और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की तबियत ख़राब हुई तब पीएम मोदी ने संसद में AIADMK के सांसदों से उनकी तबियत के बारे में जानकारी ली।
लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, करुणानिधि, जयललिता ही नहीं बल्कि जब जुलाई, 2023 में भोपाल में तकनीकि दिक्कतों की वज़ह से सोनिया गांधी के चार्टर प्लेन को इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई तो इसके बाद संसद में पीएम मोदी ने सोनिया गांधी से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा था। याद रखिए ये वही सोनिया गांधी हैं जिन्होंने पीएम मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था।
Narendra Modi रावण जैसे हैं- खड़गे
अब जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की तबियत ख़राब हुई तब भी पीएम मोदी ने तुरंत उनसे फ़ोन करके जानकारी प्राप्त की। याद रखिए, ये वही खड़गे हैं जिन्होंने पीएम मोदी को रावण जैसा बताया था।
पीएम मोदी के इस व्यवहार से दो बातें स्पष्ट होती हैं। पहली तो ये कि वे विपक्षी नेता को, विपक्षी नेता की तरह देखते हैं, दुश्मन की तरह नहीं, जो लोकतंत्र में बहुत ज़रूरी होता है। इससे लोकतंत्र में उनकी आस्था और निष्ठा दिखाई देती है।
दूसरी ये है कि पीएम मोदी बेहद ही संवेदनशीलता के साथ राजनीति करते हैं। राजनीति से ऊपर उनके लिए मनुष्य होने की आर्हताएं हैं।
यह बात महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि सभी नेता और सभी पार्टियां ऐसा नहीं करती। उदाहरण के लिए कांग्रेस को देख लीजिए।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि ऐसा बहुत कम होता है जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी अपनी ही पार्टी के किसी बीमार नेता से हालचाल पूछने के लिए फ़ोन करें। ऐसे में जब देश के प्रधानमंत्री इस तरह की संवेदनशील राजनीति करते हैं तो निश्चित तौर पर इस पर बात होनी चाहिए।