देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13,000-15,000 करोड़ रुपए के प्रारंभिक बजट परिव्यय के साथ विश्वकर्मा योजना नामक एक नई महत्वपूर्ण सरकारी योजना की घोषणा की। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक व्यावसायिक कौशल में लगे लोगों के लिए आजीविका के अवसरों में सुधार करना है।
लाल किले की प्राचीर से अपने 10वें भाषण में इस योजना की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक के बजट वाली मुद्रा योजना ने देश के युवाओं के लिए स्वरोजगार, व्यवसाय और उद्यम के अवसर प्रदान किए हैं।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि लगभग 8 करोड़ लोगों ने कई नए व्यवसाय शुरू किए और हर एक उद्यमी ने एक से दो व्यक्तियों के लिए नौकरियां पैदा की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि व्यवसायों को COVID-19 महामारी के दौरान सहायता मिली। छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपए दिया गया, जिससे उन्हें न केवल डूबने से बचाया गया बल्कि और मजबूत करने का प्रयास भी किया गया।
भारत की एक बड़ी आबादी पारंपरिक शिल्प और प्रतिभा जैसे बढ़ईगीरी, चिनाई, सुनारी आदि में लगी हुई है। हालांकि, बुनियादी ढांचे और मदद की कमी के कारण उनकी सेवाएं और उत्पाद पहले अक्सर व्यापक बाजारों तक नहीं पहुंच पाते थे। इससे कारीगरों और शिल्पकारों की आय कम और जोखिम भरी हो जाती है। सरकार एक केंद्रित योजना शुरू करके इससे समाधान करना चाहती थी।
17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री औपचारिक रूप से विश्वकर्मा योजना योजना का शुभारंभ करेंगे। कुल 13,000 से 15,000 करोड़ रुपए के बजट के साथ इस योजना का मुख्य लक्ष्य पारंपरिक श्रमिकों को सशक्त बनाना, उनके उत्पादों की गुणवत्ता और पैमाने में सुधार करना और उन्हें घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर ढंग से एकीकृत करना होगा। बड़ी संख्या में लाभार्थी ओबीसी जैसे सामाजिक रूप से वंचित समूहों से आएंगे।
कारीगरों को प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन प्रदान करने के अलावा सामान्य सुविधा, जैसे नए बुनियादी ढांचे की स्थापना, स्व-सहायता एजेंसियों के गठन को प्रेरित करना, ऋण और विज्ञापन सहायता का विस्तार करना, स्थानीय शिल्प के लिए भौगोलिक संकेतकों का विस्तार करना तथा राष्ट्रीय स्तर पर स्टेज शिल्प संग्रहालय की स्थापना करना है। इसे अगले 5 वर्षों में लागू किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालय मिलकर काम करेंगे और योजनाएं बनाने और उनके कार्यान्वयन में राज्य सरकारों को शामिल किया जाएगा।
विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक क्षेत्र के लिए एक बड़ा सुधार है। यदि प्रभावी ढंग से लागू किया जाए तो यह बड़ी संख्या में शिल्पकारों के लिए अधिक नौकरियां और बेहतर कमाई पैदा कर सकता है। इससे गरीबी कम करने के साथ-साथ देश की स्वदेशी कौशल तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। यह योजना विभिन्न कल्याण और आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से वंचित समुदायों को सशक्त बनाने पर सरकार के फोकस के अनुरूप है।
यह भी पढ़ें: औपनिवेशिकता से मुक्ति का आह्वान है ‘परिवारजन’ का संबोधन