प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार, 12 जनवरी, 2023 को ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन’ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष, युद्ध, आतंकवाद और उससे उत्पन्न होने वाली वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया संकट में है और ये स्थिति कब तक रहेगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।
सम्मेलन में भाग ले रहे कई विकासशील देश के नेताओं से बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम नए वर्ष की बेला पर मिल रहे हैं जो नई उम्मीद एवं नई ऊर्जा लेकर आया है। हमने पिछले वर्ष के पन्नों को पलट दिया है जिसमें युद्ध, आतंकवाद, संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव देखा गया था। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष में खाद्य, उर्वरक, ईंधन की बढ़ती कीमतें, जलवायु परिवर्तन के कारण आई समस्याएं और कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक प्रभाव देखने को मिले।
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को संकट में बताते हुए कहा कि यह अस्थिरता कब तक रहेगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। समय की जरूरत है कि हम सरल, पूरा करने योग्य और टिकाऊ समाधान ढूंढ़े जो समाज एवं अर्थव्यवस्था में बदलाव लाया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसे दृष्टिकोण से हम कठिन चुनौतियों से भी पार पा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि साथ मिलकर ग्लोबल साउथ नए और रचनात्मक विचार ला सकता है जो G-20 एवं अन्य मंचों पर हमारी आवाज को मजबूत करेगा। नेक विचार दुनिया के हर कोने से आने चाहिए। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन हमारे सामूहिक भविष्य की दिशा में एक कदम है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ का भविष्य दाँव पर लगा है। अधिकांश वैश्विक चुनौतियों के लिए हम जिम्मेदार नहीं है लेकिन उनका सबसे अधिक प्रभाव हम पर ही पड़ता है। भारत ने हमेशा अपने विकास संबंधी अनुभवों को ग्लोबल साउथ के अपने भाइयों के साथ साझा किया है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि आपकी आवाज हमारी आवाज है और आपकी प्राथमिकताएं हमारी प्राथमिकता हैं।
विश्व व्यवस्था में ग्लोबल साउथ का स्थान सुनिश्चित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ में दुनिया की तीन चौथाई आबादी रहती है। हमारी आवाज एक होनी चाहिए। वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदल रहा है इसलिए हमें इस उभरती हुई व्यवस्था को आकार देना चाहिए।
इसी संदर्भ में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘प्रतिक्रिया, पहचान, सम्मान और सुधार’ (Respond, Recognize, Respect and Reform) का मंत्र भी दिया। इन मंत्रों के अनुसार:
- प्रतिक्रिया- समावेशी एवं संतुलित अंतरराष्ट्रीय कार्यप्रणाली के तहत ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर प्रतिक्रिया।
- पहचान- साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व सभी वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के लिए जरूरी।
- सम्मान- सभी देशों की संप्रभुता, कानून के शासन का सम्मान एवं मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का सम्मान।
- सुधार- संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए सुधारात्मक दिशा में कार्य।
ग्लोबल साउथ के विकास पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे विकास साझेदारियों ने कई भौगोलिक एवं विविध प्रकार के क्षेत्रों को फायदा पहुँचाया है। करीब 100 देशों में महामारी के बीच भारत ने दवाइयों और टीकों की खेप पहुँचाई है। भारत हमेशा से ही विकासशील देशों के लाभ के लिए खड़ा हुआ है।
इस दौरान G-20 मंच का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी अध्यक्षता करते हुए स्वाभाविक रूप से हमारा उद्देश्य ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद करना है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमने G-20 की थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य रखा है। यह थीम हमारी सभ्यता के मूल को उजागर करती है। हमारा मानना है कि मानव विकास के केंद्र में ही ‘एकता’ को महसूस करना है। ग्लोबल साउथ के लोग भी अब विकास से दूर नहीं रखे जा सकते।
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उन्होंने कहा कि हमें साथ मिलकर वैश्विक राजनीति और वित्तीय व्यवस्था में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। इससे असमानताएं दूर होंगी। अवसर बढ़ने से विकास को गति मिलेगी और प्रगति और समृद्धि फैलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन संकटों के बाद भी मैं आशावादी हूँ कि आने वाला भविष्य हमारा है। हम आने वाले समय में गरीबी, वैश्विक स्वास्थ्य एवं मानव संसाधन से जुड़ी समस्याओं से बाहर निकल जाएंगे।
वहीं, शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्रियों के सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमें आर्थिक चुनौतियों, विशेष रूप से ऋण एवं वसूली पर काबू पाने की चुनौतियों का सामना करना होगा। हमारी प्राथमिकता ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक सुरक्षा सुनिश्चित करना होना चाहिए। उन्होंने सभी मंत्रियों से आह्वान किया कि कोविड महामारी के प्रभावों को संभालें, संघर्ष, आतंकवाद और हिंसा के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार रहें।
बता दें कि ग्लोबल साउथ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका के देशों को कहा जाता है। इस वर्ष सम्मेलन का विषय, ‘मानव केंद्रित विश्व के लिए विकासशील देशों की आवाज’ रखा गया है।
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