कोरोना महामारी के दौरान देश-विदेश के नागरिकों का सहयोग प्राप्त करके स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी लाने के लिए बनाए गए PM CARES फंड की वार्षिक लेखा जोखा (ऑडिट) रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि सरकार ने बड़े स्तर पर फंड में प्राप्त पैसे का इस्तेमाल देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में किया है।
गौरतलब है कि देश में PM CARES फंड को लेकर लिबरल और वामपंथी पत्रकारों तथा कथित एक्टिविस्टों ने काफी उत्पात मचाया था। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई थी, जिसमें इस फंड की वैधानिकता पर प्रश्न उठाया गया था। इसी के इस फंड में प्राप्त पैसे के खर्च ना किए जाने, पारदर्शिता के कम होने का आरोप भी लगाया गया था।
PM CARES फंड की पारदर्शिता पर सवाल उठाने वालों में लुटियंस मीडिया के पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी, रोहिणी सिंह, तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता साकेत गोखले और खुद दान के पैसों के घोटाले में फंसी प्रॉपगेंडा पत्रकार राणा अय्यूब जैसे नाम शामिल हैं।
PM CARES ऑडिट से क्या आया है सामने?
PM CARES फंड का साल 2021-22 का लेखा जोखा सामने रखा गया है। इसके अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के प्रारम्भ में इस फंड में लगभग 7 हजार करोड़ रुपए थे। वर्ष 2021-22 में इस धनराशि से बड़ी मात्रा में अस्पतालों, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन प्लांट जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है।
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ऑडिट की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान इस फंड में देश के नागरिकों ने 1800 करोड़ रुपए का योगदान दिया, वहीं देश के बाहर के लोगों ने 40 करोड़ रुपए का सहयोग इस फंड में किया। इसी दौरान इसके पिछले वर्ष में चालू किये गए कई प्रोजेक्ट में बचत करके भी पैसा वापस फंड में डाल दिया गया।

खरीदे गए 50,000 स्वदेशी वेंटिलेटर, 1.5 लाख ऑक्सीजन सिस्टम की खरीद
रिपोर्ट में वर्ष 2022 में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए किए गए खर्चे भी स्पष्ट रूप से उल्लेखित हैं। रिपोर्ट के अनुसार साल 2021-22 के दौरान 3716 करोड़ रुपए का खर्च अलग-अलग स्वास्थ्य सुविधाओं को बढाने के लिए किया गया है। यह धनराशि इस दौरान खर्च किए गए उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों के स्वास्थ्य बजट से भी अधिक है। वर्ष 2021-22 के दौरान उत्तराखंड का स्वास्थ्य बजट लगभग 3100 करोड़ रुपए था।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021-22 में जीवन रक्षक वेंटीलेटर्स को खरीदने में लगभग 835 करोड़ रुपए खर्चा किए गए। इसमें ध्यान देने वाले बात यह है कि यह सारे वेंटिलेटर स्वदेशी निर्माताओं से खरीदे गए। इसी के साथ ही कोरोना के दौरान देश में कई जगह पर ऑक्सीजन की किल्लत की बात सामने आई थी।
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आगे आने वाले समस्या ना हो इसके लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए PM CARES फंड से 1703 करोड़ रुपए खर्च किए। जुलाई 2022 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब के अनुसार, वर्ष 2021 के बाद से लगभग 1225 ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त पीएम केयर्स फंड द्वारा लगभग 1 लाख ऑक्सीजन कंसट्रेटर्स मशीनें भी खरीदी गई हैं।
इसके अतिरिक्त PM CARES (पीएम केयर्स) फंड द्वारा जम्मू, श्रीनगर और लखनऊ जैसे शहरों में 80 करोड़ रुपए की लागत से कोविड अस्पताल भी बनाए गए हैं। इन अस्पतालों की क्षमता 500 बेड की है। इसके अलावा 189 करोड़ का खर्चा लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के लिए किया गया है।
PM CARES पर आरोप लगाने वाले खुद ही कर रहे थे हेराफेरी
PM CARES में पारदर्शिता का आरोप ना लगाने वाले कई कथित एक्टिविस्ट बाद में कोरोना के नाम पर फ्रॉड करते हुए पकड़े गए। इसमें सबसे प्रमुख नाम राणा अय्यूब का है जो अपने द्वारा किए गए फंड घोटाले में कार्रवाई से बचने के कारण अमेरिका में बैठी हुई हैं।
वहीं एक और नाम साकेत गोखले का है जिसने कोरोना के नाम पर पैसे इकट्ठा करे परन्तु खुद उन पैसों का उपयोग अय्याशी में किया। अब गोखले पर जांच एजेंसियां शिकंजा कस रही हैं तब वह लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है।
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इसके अतिरिक्त कोरोना महामारी के दौरान दूसरों को नसीहत देने वाली पत्रकार रोहणी सिंह ने स्वयं बिना कोई सहयोग दिए दूसरों पर ऊँगली उठाई थी, ऐसे लोगों को भी अब जवाब मिल गया है। इस पूरे मामले में केवल दरबारी मीडिया ही दोषी नहीं है बल्कि देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं ने भी लगातार PM CARES पर सवाल उठाए हैं।
बात बात पर कश्मीर में अलगाव का राग अलापने वाली नेता महबूबा मुफ़्ती ने भी PM CARES को घोटाला बताया था जबकि इसके सारे आँकड़े जनता के सामने रखे गए हैं। अब इन आँकड़ो के सामने आने से PM CARES पर हंगामा मचाने वाले पूरे गैंग में सन्नाटा छाया हुआ है।