प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्किल इंडिया मिशन के तहत रोजगार के अवसर तथा व्यवहारिक प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने आज दिनांक 10 अक्टूबर को देश भर में 280 स्थानों पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय अप्रेंटिस मेला का आयोजन किया। मंत्रालय के अनुसार इन अप्रेंटिस मेले में स्थानीय व्यापारिक संस्थानों और व्यापारियों को आमंत्रित किया गया, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकें।
देश के अधिकतर राज्य जिनमें मुख्यतया उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश शामिल हैं, पिछले कई दशकों से गांवों से शहरों की ओर पलायन की समस्या से जूझ रहे हैं। गाँव में शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसरों की कमी के कारण युवा वर्ग जब रोजगार की खोज में शहर की ओर जाते हैं तो शहरों पर मूलभूत सुविधाओं की कमी का दबाव तो आता ही है, साथ ही गांवों का विकास भी कहीं पीछे छूट जाता है। ऐसे में शहरों में तीव्र प्रतिस्पर्धा के बीच रोजगार के अवसर और कौशल सीखने का समय, दोनों ही इन युवाओं को नहीं मिल पाते।
ऐसे में यदि रोजगार के अवसर उन्हें गाँव में मिले तो गाँवों से न केवल पलायन रोका जा सकता है, बल्कि इस पलायन के परिणामस्वरूप शहरी व्यवस्था पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकता है। देश में लंबे समय तक ऐसी योजनाओं का अभाव रहा जो इस दृष्टिकोण पर काम कर सकें। मनरेगा जैसी योजनाओं ने गाँवों में रोजगार गारंटी तो सुनिश्चित की पर यह मात्र श्रम बल को रोजगार देने के काम आई और इसका युवाओं में खुद के उद्यम की ओर रुख करने और रोजगार सृजन के कौशल को बढ़ाने में योगदान नहीं रहा।
वर्ष 2015 से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना ने इस दिशा में अपनी भूमिका निभाई। इस योजना के अंतर्गत युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रदान किया जाता है और उन्हें गांवों में रहकर अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। इसके लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा हर माह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय अप्रेंटिस मेला का आयोजन किया जाता है।
UNDP की मानव विकास रिपोर्ट- 2020 के अनुसार, देश में 2010-2019 की अवधि में मात्र 21.1% श्रम बल कौशल युक्त था। देश में अगर प्रशिक्षण प्राप्त लोगों की बात करें तो इस अवधि में उनमें भी रोजगार की कमी देखी गई। इसका एक कारण प्रशिक्षण की गुणवत्ता में कमी भी रही। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम) को संगठित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए शिक्षुता प्रशिक्षण के तहत मानदेय समर्थन के उद्देश्य से 3,054 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
वर्ष 2015 से शुरू हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का उद्देश्य 2022 तक देश के 40 करोड़ श्रम-बल को विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण प्रदान करना था। PMKVY 1.0 योजना के पहले चरण में युवाओं को लघु अवधि का कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना एवं मौद्रिक पुरस्कार के जरिए युवाओं को कौशल प्रशिक्षण के प्रति प्रोत्साहित करना था।
रोजगार मेले और विशेष परियोजनाओं के जरिए 2015-2016 की अवधि में 19.85 लाख उम्मीदवारों को प्रक्षिशित किया गया था। वहीं, PMKVY 2.0 में सरकार ने प्रशिक्षण के दायरे के साथ ही युवाओं को रोजगार में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य योजनाओं का शुभारंभ किया, जिनमें मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया भी शामिल है।
PMKVY के दोनों चरणों द्वारा कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देकर 1.2 करोड़ से ज्यादा युवाओं को फायदा पहुंचाते हुए रोजगार उन्मुख बनाया गया। PMKVY 3.0 में इसका दायरा बढ़ाते हुए देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के 717 जिलों में इसकी शुरुआत की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को और सुदृढ़ बनाने के लिए इसे और संगठित और समर्थन के साथ विकेंद्रित संरचना में लागू किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जिसका समग्र विकास और व्यावसायिक प्रक्षिशण पर ध्यान केंद्रित है, इस दिशा में मददगार साबित होगी।
ये योजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के विजन को भी बल प्रदान करती हैं। योजना को समग्र तरीके से लागू करने के लिए बॉटम-अप तकनीक का सहारा लिया जा रहा है जिसके अंतर्गत उन रोजगारों की पहचान की जाती है जिनकी स्थानीय स्तर पर माँग है और फिर युवाओं को उससे संबंधित कौशल की शिक्षा दी जाती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन योजनाओं के जरिये प्रत्येक 6 में से 1 युवा को रोजगार मिला है। ऐसी योजनाओं के केंद्र में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित किया जाता है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास अध्येता योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और उनके क्रियान्वन को देखते हुए कहा जा सकता है कि इनके केंद्र में ग्रामीण भारत और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति को केंद्र में रखा जा रहा है।
कहते हैं कौशल के बिना उद्यम संभव नहीं है। आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकना, स्व-रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता है। ऐसे में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय अप्रेंटिस मेला की भूमिका बढ़ जाती है।