केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय ने निर्माण क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखने वाले स्टील सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम चालू कर दी है। इससे देश में ‘स्पेशियलटी स्टील’ के उत्पादन में तेजी आने की संभावना है। इसके लिए इस्पात मंत्रालय ने देश की प्रमुख स्टील उत्पादक कंपनियों के साथ समझौते भी कर लिए हैं।
केन्द्रीय इस्पात मंत्रालय ने 17 मार्च 2023 को देश की 27 प्रमुख स्टील कम्पनियों के साथ 57 MOU पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार ने इस क्षेत्र में उत्पादन को और बढ़ावा देने के लिए 6,322 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इससे स्टील सेक्टर में 30,000 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है और साथ ही इससे प्रति वर्ष 25 मिलियन टन अधिक स्टील का उत्पादन हो सकेगा। इस स्कीम का मुख्य फोकस ‘स्पेशियलटी स्टील’ होगी।
क्या होती है स्पेशियलिटी स्टील?
स्पेशियलिटी स्टील सामान्य स्टील का ही एक उच्चतम रूप है। इसका निर्माण सामान्य स्टील को ही तैयार कर किया जाता है। सामान्य स्टील पर केमिकल्स या अन्य धातुओं की कोटिंग से स्टील में वैल्यू ऐड होता है।
ऐसे स्पेशियलिटी स्टील का प्रयोग ऑटोमोबाइल, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में निर्माण में प्रमुख रूप से होता है। वैसे तो भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है पर स्पेशियलटी स्टील की जरूयत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहना होता है।
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वर्ष 2020-21 में भारत में 102 मिलियन टन से अधिक स्टील का उत्पादन हुआ जिसमें से मात्र 18 मिलियन टन ही स्पेशियलटी स्टील थी। इसके अतिरिक्त भारत को इसी दौरान लगभग 4 बिलियन डॉलर यानी 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की स्पेशियलटी स्टील आयात करनी पड़ी। इस स्टील की मात्रा 40 लाख टन से अधिक थी।
भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके और स्पेशियलटी स्टील की आपूर्ति के लिए भारत को आयात का रास्ता ना अपनाना पड़े इसके लिए सरकार ने इस क्षेत्र को PLI स्कीम में शामिल किया है। सरकार मात्र उत्पादन के ही नहीं बल्कि निर्यात के भी मौके ढूंढ रही है। इससे भारतीय कम्पनियों को भी फायदा होगा।
सरकार क्यों ला रही है स्टील सेक्टर के लिए PLI?
वर्तमान में भारत स्टील के उत्पादन और उपभोग के मामले में आत्मनिर्भर है और बड़ी मात्रा में स्टील का निर्यात भी करता है। कुछ प्रकार की स्टील का आयात भी भारत द्वारा किया जाता है। इस स्कीम को लाने के पीछे सरकार का उद्देश्य भविष्य में स्टील की बढ़ी मांग को पूरा करना है।
भारत वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है। वर्ष 2021 के दौरान भारत ने कुल 118 मिलियन टन स्टील का उत्पादन किया था। भारत स्टील का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। वर्ष 2022 के दौरान भारत की स्टील उत्पादन क्षमता लगभग 155 मिलियन टन थी।
भारत में लगातार इन्फ्रा बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इन्वेस्ट इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024-25 तक भारत का स्टील का उपभोग 160 मिलियन टन होने की सम्भावना है। जिसके लिए नई उत्पादन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
डेडिकेटेड रेलवे फ्रेट कॉरिडोर, भारतमाला परियोजना, उड़ान जैसी योजनाओं में स्टील की बड़ी खपत होने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, इसमें लगभग 30 मिलियन टन की क्षमता बढ़ाने के लिए पहले से ही प्लानिंग चल रही है और बाकी बचे 25-30 मिलियन के निर्वात को यह स्कीम भर सकेगी।
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सरकार आने वाले समय में इस मांग को पूरा करने, विशिष्ट प्रकार की स्टील का उत्पादन देश में ही करने समेत विदेशों में इस निर्यात करने के लिए यह स्कीम ले कर आई है। इसके तहत केंद्र सरकार ने टाटा, आर्सेलर मित्तल, जिंदल, सेल समेत अन्य 63 कंपनियों के साथ समझौता किया है।
क्या होगा स्टील कंपनियों का फायदा?
PLI के अंतर्गत चुनी गई कंपनियों को सरकार आने वाले समय में उनके उत्पादन के आधार पर फायदे दिए जाएंगे। सरकार ने वर्ष 2023-24 से लेकर वर्ष 2029-30 तक कुल 6,322 करोड़ रुपए अलग-अलग किश्तों में दिए जाएंगे।
इसमें 775 करोड़ रुपए पहले वर्ष और बाद के वर्षों में 1000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी जाएगी। निर्यात पर निर्भरता कम होने से बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
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