सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 17 जनवरी, 2023 को आईटी नियम, 2021 के एक संशोधन मसौदे में कहा है कि प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट-चेकिंग इकाई या सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एजेंसी द्वारा फर्जी मानी गई किसी भी खबर को सोशल मीडिया मंचों से हटाना पड़ेगा।
इस मसौदे के अनुसार जो कंटेंट को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए मध्यस्थता निभाते हैं, उन पर यह दायित्व होगा कि वे PIB या सरकार द्वारा अनुमोदित किसी अन्य एजेंसी द्वारा झूठी साबित की गई सामग्री को अपने मंच पर बने नहीं रहने दे सकते हैं। मध्यस्थों में जैसे फेसबुक, ट्टिटर, यू-्टयूब जैसे प्लेटफॉर्म आते हैं।
मंत्रालय के इस मसौदे को जारी करने के बाद से ही मीडिया के एक वर्ग पीड़ा में दिख रहा है। इस वर्ग के लिए यह कष्ट असहनीय है इसलिए आलोचना भरे पत्र भी जारी किए जा रहे हैं।
भारत में संपादकों की तथाकथित एक शीर्ष संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया का कहना है कि सरकार अकेले यह तय नहीं कर सकती है कि कौन सी ख़बर फे़क है या नहीं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केन्द्र सरकार की ओर से जारी नए डिजिटल मीडिया गाइडलाइन को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि इससे प्रेस की आज़ादी पर सेंसरशिप होगी।
गिल्ड अपने पत्र में यह भी कहता है कि पहले ही फ़र्ज़ी ख़बरों से निपटने के लिए कई कानून मौजूद हैं।
अपने बयान में गिल्ड मंत्रालय से इस नए संशोधन को हटाने और डिजिटल मीडिया के लिए नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों व अन्य हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श शुरू किए जाने का आग्रह करता है, ताकि प्रेस की स्वतंत्रता को किसी तरह का नुकसान ना हो।
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