सरकार के जनसूचना तंत्र के प्रमुख अंग प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB) ने अक्सर झूठ फैलाने वाले प्रोपगैंडा पोर्टल ‘द वायर’ की पोल खोल दी है। ‘द वायर’ ने PIB की एक तथ्य जांचने (फैक्ट चेक) वाली यूनिट के बारे में गलत दावा अपनी रिपोर्ट में किया था।
वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि PIB की फैक्ट चेक यूनिट ने प्राप्त किए गए 1.2 लाख दावों में से मात्र 1,223 का ही फैक्ट चेक किया। वायर ने कहा कि यह आँकड़ा 3 वर्षों का है। वायर ने यह दावा एक RTI के आधार पर किया है। वायर ने कहा है कि फैक्ट चेक यूनिट ने मात्र 1% मामलों का फैक्ट चेक किया।
PIB से संबंधित यह झूठा दावा The Wire ने ऐसे समय में किया है जब तमाम प्रोपगैंडा पोर्टल PIB के बारे में कई क़िस्म की फ़ेक न्यूज़ फैला रहे हैं। इस प्रोपगैंडा का एक हिस्सा यह भी है, जिसमें यह भी दावा कर रहे हैं कि सरकार ने फैक्ट चेक जाँच करने की ज़िम्मेदारी PIB को सौंप दी है।
अब PIB ने वायर के इस दावे की पोल खोलते हुए कहा है कि वायर द्वारा दी गई जानकारी आधी अधूरी है। PIB द्वारा दिए गए आँकड़े के अनुसार, उसे 1,19,572 क्वेरी प्रात हुई हैं। इनमें से 80,236 क्वेरी ऐसीं थीं जो एक्शन लेने के लायक नहीं थी जबकि 39,336 क्वेरी ऐसी थीं, जिन पर एक्शन लिया गया।
इन पर एक्शन लेकर इनको भेजने वालों को उपयुक्त जवाब भेज दिया गया था। इनमें 1,225 क्वेरी के दावों के झूठ होने को लेकर ट्विटर पर भी पोस्ट किया गया था। ऐसे में वायर आधे अधूरे तथ्यों के साथ ही अपनी स्टोरी में PIB की फैक्ट चेक यूनिट के मात्र 1% दावों पर कार्य करने की बात कर दी।
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प्रोपगैंडा पोर्टल वायर पहले भी कई झूठी स्टोरी चला चुका है, ऐसे ही एक मामले में इसने दावा किया था कि फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी कम्पनियों की पैरेंट कंपनी मेटा ने भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा को विशेषाधिकार दे रखे हैं, यह खबर बाद में पूरी तरह से झूठ निकली थी।
इसको लेकर वायर की बड़ी फजीहत हुई थी। वायर ने इसको लेकर माफ़ी भी मांगी थी। अब PIB की स्टोरी को लेकर इसका दावा झूठा सिद्ध हुआ है।
गौरतलब है कि सरकार पिछले कुछ समय सोशल मीडिया पर फैलने वाली जानकारियों को लेकर एक यूनिट की स्थापना करना चाहती है लेकिन वायर जैसे प्रोपगैंडा पोर्टल लगातार उसके विरोध में खड़े है। वायर समेत तमाम वामपंथी मीडिया पोर्टल ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बता कर अपनी गलतियों से बचने की कोशिश की है।