चरमपंथी इस्लामी संगठन (PFI) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 12 जुलाई, 2022 की पटना रैली में हमला करने की योजना बनाई थी। इस हमले के लिए पीएफआई ने एक प्रशिक्षण शिविर भी लगवाया था। यह खुलासा पीएफआई सदस्य शफीक पायथ ने ईडी रिमांड में किया है। शफीक को बीते गुरुवार (सितम्बर, 22 2022) को केरल से गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने क्या कहा?
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जानकारी दी कि पीएफआई पीएम नरेन्द्र मोदी की पटना यात्रा पर भीषण हमला करने के लिए आतंकवादी मॉड्यूल जुटा रहा था।
- पीएफआई, घातक हथियार के साथ-साथ विस्फोटक भी एकत्र करने में लगा हुआ था।
- इन तमाम हथियारों और विस्फोटक से एक ओर बिहार की राजधानी पटना और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के कई संवेदनशील व्यक्तियों और स्थानों पर एक साथ योजनाबद्ध तरीके से हमला करने की तैयारी थी।
भारत की अखण्डता को खण्डित करना PFI का मकसद
- बीते कुछ वर्षों में पीएफआई और उससे सम्बन्धित संगठन के बैंक खातों में 120 करोड़ से अधिक रुपए आए हैं। बैंक खातों में आई राशि के समानान्तर ही नकद रूप में भी पीएफआई को पैसा मिला है। यह पैसा देश और विदेश से आया है। इसका पूरा विवरण प्रवर्तन निदेशालय को मिल गया है।
- पीएफआई ने इस पैसे का उपयोग भारत में जगह-जगह दंगे करने और आतंकवादी गतिविधियों को पोषित करने के लिए किया है।
- फरवरी, 2020 में हुए दिल्ली दंगे और हाथरस प्रकरण के दौरान पीएफआई ने फंडिंग के साथ-साथ हिंसा भड़काने के लिए अपने सदस्य को भी घटनास्थल पर भेजा था।
- भारत की एकता, अखण्डता और संप्रभुता को कमजोर करने के लिए हाथरस के बहाने पूरे उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए पीएफआई ने पूरी योजना बनाई थी।
शफीक पायथ विदेश से पैसा लेता था
- प्रवर्तन निदेशालय ने शफीक पायथ के हवाले से खुलासा किया है कि शफीक पहले कतर में रहता था।
- शफीक विदेश से अपने एनआरआई खाते में पैसे मँगवाता था और पीएफआई को ट्रांसफर करता था।
- ईडी ने बीते साल शफीक पायथ के घर और कार्यालय पर छापा भी मारा था।
- इस दौरान खुलासा हुआ था कि शफीक ने रियल एस्टेट बिजनेस में निवेश किया और फिर उन पैसों को पीएफआई को ट्रांसफर किया।
पीएफआई और बिहार सम्बन्ध
- बिहार के फुलवारी शरीफ में पीएफआई आतंकी प्रकरण का सम्बन्ध कथित तौर पर पीएम मोदी की पटना रैली पर हमला करने की साजिश रचने से है।
- पटना का फुलवारी शरीफ पिछले 32 वर्षों से आतंकी गतिविधियों का गढ़ रहा है। आतंकी संगठन से जुड़े लोग फुलवारी में रह कर आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण देते रहे हैं। पीएफआई की देश विरोधी गतिविधियों का एक अड्डा फुलवारी शरीफ भी है।
- बिहार पुलिस ने इस वर्ष जुलाई महीने में ही पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के तीन सदस्यों की गिरफ्तारी की थी। इसके साथ ही ‘भारत में 2047 तक इस्लाम का शासन’ नामक दस्तावेज भी जब्त किया था।
- केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बिहार को पीएफआई का केन्द्र बनाने को लेकर बिहार सरकार पर आरोप लगाते हैं कि बिहार सरकार पीएफआई को सांस्कृतिक संगठन के रूप में संरक्षण देने का कार्य कर रही है।
- तेलंगाना के मुख्यमंत्री कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव के बिहार दौरे को लेकर भी गिरिराज सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार को “पीएफआई-युक्त बिहार”, “आतंक-युक्त बिहार” और “हिंदू-मुक्त बिहार” बनाने का मंत्र देने आए थे।
महाराष्ट्र में PFI समर्थकों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाए
- महाराष्ट्र समेत कई जगहों पर चरमपंथी इस्लामी संगठन के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन भी शुरु हो गए हैं।
- समाचार एजेन्सी एएनआई के अनुसार, बीते शुक्रवार (सितम्बर 23, 2022) को पुणे शहर में जिलाधीश कार्यालय के बाहर पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने ‘पाकिस्तान जिन्दाबाद’ के नारे लगाए।
- पीएफआई के कार्यकर्ता छापेमारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसके बाद कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
- पीएफआई कार्यकर्ता मजहर खान के घर पर ‘योजना 2047’ शीर्षक वाली एक बुकलेट भी मिली। यह वही बुकलेट है जो सबसे पहले बिहार में मिली थी।
- यह पुस्तिका अगले 25 वर्षों में भारत में शरिया कानून लागू करने की PFI की योजना से संबंधित है, जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा।
- पीएफआई की इस पुस्तक में भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने की बात की गई है। इस पुस्तक में कई खंड हैं। जिसका एक खंड मजहर मसूर खान के मुम्बई स्थित घर से बरामद किया था।
कई महीनों की योजना के बाद सफल हुआ ऑपरेशन ऑक्टोपस
- पीएफआई पर पड़े इस छापे की योजना बीते कई महीनों से बड़े स्तर पर चल रही थी।
- केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ मिलकर जाँच एजेन्सियों ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
- सुरक्षा अधिकारियों ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की योजना के दौरान जिस तरह की गोपनीयता रखी थी, उसी स्तर की योजना और गोपनीयता इस मामले में भी रखी गई।
- केन्द्र सरकार पिछले 3-4 महीनों से पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही थी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस सम्बन्ध में केरल पुलिस के अधिकारियों से उस समय मुलाकात की, जब पीएम मोदी स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के उद्घाटन के लिए कोच्चि गए थे।
- इसके बाद, अजीत डोभाल मुम्बई चले गए। जहाँ वे सुरक्षा अधिकारियों से मिलने के लिए राजभवन में रुके थे।
- पीएफआई के सदस्य देश छोड़कर भागे नहीं, इसके लिए सभी राज्यों में एक साथ ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाया गया।
- अभी अन्य पीएफआई सदस्यों को पकड़ने के लिए भी ऑपरेशन चलाया जाना है।
- जब पीएफआई पर कार्रवाई हुई, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक की।
- इस बैठक में अजीत डोभाल, केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, एनआईए के महानिदेशक दिनकर गुप्ता और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
PFI पर देशभर में पड़े छापे
भारत की राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राज्य पुलिस ने ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत गुरुवार (सितम्बर 22, 2022) को 15 राज्यों- केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मणिपुर में 93 स्थानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में अब तक 106 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है
पीएफआई नेता और इनके सदस्य आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में शामिल थे। पीएफआई सशस्त्र प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित करता था। इस छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, नकदी, धारदार हथियार और बड़ी संख्या में डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।
पीएफआई के खिलाफ देश में आतंकी कृत्यों को आयोजित करने और राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता में बाधा डालने में कथित संलिप्तता के लिए साल 2018 से जाँच चल रही है।
PFI और SIMI की पूरी क्रोनॉलॉजी: आतंकी फ़ंडिंग और विवादित नामों से है पुराना रिश्ता।