पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार (5 फरवरी, 2023) सुबह दुबई में निधन हो गया, लम्बे समय से पाकिस्तान से निर्वासन का जीवन जी रहे जनरल मुशर्रफ काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
मुशर्रफ, भारत और पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में 20वीं सदी में घटी कई घटनाओं के जिम्मेदार थे। मुशर्रफ ने वर्ष 1999 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री मियां मोहम्मद नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार को सैन्य तख्तापलट की साजिश रच कर पाकिस्तान में फौजी तानशाही लाई थी।
1999 से लेकर 2008 तक पाकिस्तान की बागडोर संभालने वाले मुशर्रफ के शासन के दौरान भारत और पाकिस्तान वर्ष 2001 में भारत की संसद पर हुए हमले के बाद एकदम युद्ध के मुहाने पर आ गए थे।
जनरल मुशर्रफ के शासनकाल के दौरान उन्होंने भारत के दो प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा था। उनके सत्ता में आने पर भारत में भाजपा की अगुवाई वाली NDA की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी थे।
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वर्ष 2004 में भाजपा की सत्ता जाने के बाद उनका पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से राब्ता हुआ था। हालाँकि, मनमोहन सिंह और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी में मुशर्रफ का ज्यादा आमना सामना वाजपेयी से ही हुआ था।
मुशर्रफ और अटल बिहारी वाजपेयी के बीच आगरा शिखर वार्ता वर्ष 1972 में हुई शिमला समझौते के बाद बड़ी बातचीत हुई थी। इसमें मुशर्रफ और अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर समेत कई द्विपक्षीय मामलों पर बातचीत की थी।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने काफी प्रयास किए थे परन्तु मुशर्रफ के शासन वाला पाकिस्तान लगातार बातचीत के इन प्रयासों के बावजूद भारत में आतंकियों को पोषित करते रहने का काम करता रहा जिससे रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो पाए।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान ही भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन पराक्रम चालू किया था। ये तब किया गया जब देश की संसद के ऊपर हमले के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में गिरावट आ गई थी और भारत पाकिस्तान पर हमले के लिए पूरी तरह तैयार था, इस दौरान पाकिस्तान ने किसी तरह अमेरिका से हाथ पैर जोड़ कर शान्ति स्थापित करवाने की कोशिश भी की थी।
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पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय अटल बिहारी के बारे में परवेज मुशर्रफ के विचार क्या थे उन्होंने वर्ष 2018 में उनके निधन के बाद व्यक्त किए थे।
मुशर्रफ ने कहा था कि, “वह (अटल बिहारी) एक भद्र पुरुष थे, वह काफी समझदार भी थे। वर्ष 2001 के दौरान आगरा में हुई शिखर वार्ता के दौरान मैंने (मुशर्रफ ने ) और अटल जी ने समझौते का एक ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया था जो काफी यथार्थवादी भी था परन्तु किन्हीं कारणों से उस पर शिखर वार्ता के बाद हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे।”
मुशर्रफ ने कहा, “आज के समय में भले ही रिश्ते अच्छे ना हों, पर आपको मैं बताना चाहूँगा कि उन दिनों में हम सियाचिन और कश्मीर जैसे सभी विवादों के निपटारे की तरफ बढ़ रहे थे और जितना मैंने प्रधानमन्त्री अटल बिहारी को जाना, उससे मैं यह कह सकता हूँ कि वे शान्ति दूत थे और भारत-पाक्सितान के बीच शान्ति चाहते थे।”
अंग्रेज़ी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इण्डिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में तहलका मचाने वाली विकिलीक्स की साल 2011 में आई एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया था कि पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह और परवेज मुशर्रफ कश्मीर को लेकर समझौते के करीब पहुँच गए थे। इस दौरान मनमोहन सिंह ने अमेरिका के राजनयिकों को बताया था कि फरवरी, 2007 से पहले दोनों देशों के बीच शांति को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी थी। यह बातचीत पिछले दरवाजों से चल रही थी।