कांस फिल्म फेस्टिवल में पाकिस्तानी फिल्म ‘द लूजिंग साइड’ (The Losing Side) ने अवॉर्ड जीत कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस फिल्म में हिंदू अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया है, विशेषरूप से जबरन धर्मांतरण की समस्या पर।
‘द लूजिंग साइड’ फिल्म नवंबर माह के लिए सर्वश्रेष्ठ मानवाधिकार फिल्म की श्रेणी में पुरस्कृत हुई है। फिल्म के निर्माता जावेद शरीफ ने पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र ‘डॉन’ से बात करते हुए बताया कि फिल्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं और ईसाइयों के जबरन धर्मांतरण पर ध्यान केंद्रित करती है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू बड़ी आबादी में रहते हैं। हालाँकि, लंबे समय से इनके द्वारा धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अल्पसंख्यकों का जबरन धर्मांतरण पाकिस्तान में एक बड़ा विषय बना हुआ है। सिंध प्रांत में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे को प्रमुखता से दिखाती इस फिल्म में 4 लोगों के वास्तविक जीवन की कहानी दिखाई गई है जो इस्लामी देश में अल्पसंख्यक के तौर पर रह रहे हैं।
इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपनी खुशी जाहिर करते हुए जावेद शरीफ ने लिखा, “वर्ष 2022 के आखिरी दिन सबसे अच्छी खबर। हमारी फिल्म द लूजिंग साइड को कान्स फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ मानवाधिकार की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया है”।
वहीं, पाकिस्तान द्वारा कई अवसरों पर हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाने की घटनाओं को नकारा है। हालाँकि, सच्चाई ये है कि बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें कम उम्र की हिंदू लड़कियों का अपहरण किया जाता है और उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के बाद मुस्लिम आदमी से जबरन शादी करवा दी जाती है।
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पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘डॉन’ के मुताबिक, वर्ष 2021 की रिपोर्ट में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने माना है कि सिंध प्रांत से कम से कम 27 मामले जबरन धर्मांतरण के सामने आए हैं। इन मामलों में अधिकांश पीड़ित ‘निम्न जाति या अनुसुचित जाति के हिंदू और ईसाई’ हैं। साथ ही इन पीड़ितों में से 7 मामले नाबालिगों से जुड़े हुए हैं।
गौरतलब है कि, मानवीय मुद्दों को गहराई से दिखाने के लिए ‘द लूजिंग साइड’ को बार्सिलोना ह्यूमन राइट्स फिल्म फेस्टिवल में भी एक अवॉर्ड के लिए मनोनित किया गया था।