JDU के पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने एक बयान जारी कर के सेना में पाकिस्तान से लड़ने के लिए 30 प्रतिशत मुसलमानों को नियुक्त करने की सिफारिश की है। बलियावी का कहना है कि अगर पाकिस्तान प्रायोजित किसी आतंकवादी से लड़ने में डर है तो उनसे निपटने के लिए सेना में 30 प्रतिशत मुसलमानों को नियुक्त किया जाना चाहिए।
2014 से 2022 तक जनता दल यूनाइटेड के एमएलसी रहे गुलाम रसूल बलियावी ने तीन सप्ताह पहले धमकी दी थी कि अगर कानून के तहत मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी गई तो वे शहरों को ‘कर्बला’ में बदल देंगे।
दरअसल जद(यू) के प्रमुख नेता बलियावी ने बिहार के नवादा जिल में हुए एक सार्वजनिक समारोह में कहा कि; मैंने संसद में भी कहा था और अब भी कह रहा हूँ (प्रधानमंत्री मोदी से भी कह रहा हूँ) कि लोहे को लोहा काटता है, गाजर नहीं। अगर पाकिस्तान के आतंक से डर लगता है तो फौज में सिर्फ 30 फीसदी मुसलमान के बच्चों को जगह दे दो। हमें अपने बाप-दादा की तारीख याद है। हमें पता है कि अपने देश के लिए क्या करना है। सेना में केवल 30 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे… हम अपना इतिहास जानते हैं।
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वहीं जद(यू) नेता का बयान सामने आते ही राजनीतिक गलियारों से प्रतिक्रियाएं आनी प्रारंभ हो गई। भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद का कहना है कि मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए बलियावी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुखपत्र की तरह व्यवहार का प्रदर्शन कर रहे हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने बलियावी को पसमांदा मुसलमानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने अपने बयान से भारतीय सेना का अपमान किया है। अगर उन्हें अपने साथी मुसलमानों की इतनी ही चिंता है तो उन्हें पसमांदा मुसलमानों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए।
अंग्रेज़ी समाचार पत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस‘ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जद(यू) के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद ने प्रतिक्रिया दी कि मुझे नहीं पता कि किस संदर्भ में बलियावी ने वो बयान दिया जो सामने आया है पर उन्हें ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए।
हालाँकि, 53 वर्षीय बलियावी अपने आवेगहीन बयानों के लिए जाने जाते हैं। पिछले माह ही उन्होंने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विस्तारित सुरक्षा की तर्ज पर मुसलमानों को संरक्षण न देने पर शहरों को कर्बला में बदलने की धमकी दे दी थी।
इसका स्पष्टीकरण उन्होंने यह कह के दिया था कि वो मात्र आतंकवादी होने के संदेह में मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किए जाने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि उन्हें सामान्य विरोध के लिए भी निशाना बनाया जाता है। बलियावी ने कहा कि कोई भी पैगंबर के बारे में कुछ भी अनुचित कह रहा है और इससे बच भी जाता है।