अमेरिकी दबाव से प्रभावित एक गुप्त समझौते के तहत पाकिस्तान ने पिछले साल यूक्रेन को कथित तौर पर 900 मिलियन डॉलर मूल्य के हथियार बेचे हैं, जिससे इस्लामाबाद को ‘आईएमएफ बेलआउट’ सुरक्षित करने में मदद मिली है। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि पाकिस्तान अपने गिरते विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है और इसी बीच खबर आती है कि जुलाई माह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष पाकिस्तान की मदद करने के लिए तीन अरब डॉलर वाले राहत पैकेज की घोषणा करता है। अब इस ताजा खुलासे ने इस बात पर मोहर लगा दी है कि एक गोपनीय डील के तहत ही पाकिस्तान को अमेरिका से यह मदद पहुंची है।
अमेरिका की ही खोजी वेबसाइट ‘द इंटरसेप्ट’ द्वारा किए गए इस खुलासे से ज्ञात हुआ कि इस सौदे के अनुसार रूस-यूक्रेन संघर्ष में पाकिस्तान ने यूक्रेन का समर्थन किया।
इंटरसेप्ट की यह जांच रिपोर्ट पाकिस्तानी सेना के एक सूत्र द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों पर आधारित थी। यह रिपोर्ट वर्ष 2022 के मई-जून से 2023 के शुरूआती महीनों के दौरान अमेरिका-पाकिस्तान के बीच हथियारों के लेनदेन पर प्रकाश डालती है।
हालाँकि, बायडेन प्रशासन और आईएमएफ, दोनों ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है बावजूद इसके ‘द इंटरसेप्ट’ अपनी रिपोर्टिंग पर कायम है। इसमें यूक्रेन के लिए पाकिस्तानी सैन्य हथियारों की खरीद के लिए फंडिंग, अमेरिकी और पाकिस्तानी कॉन्ट्रैक्ट, लाइसेंसिंग और यूएस-ब्रोकेड सौदों से संबधित दस्तावेजों का जिक्र किया है।
रिपोर्ट में अधिकारियों के हस्ताक्षर अलग-अलग माध्यम से प्रमाणित किए गए। जैसे एक अमेरिकी ब्रिगेडियर जनरल के हस्ताक्षर का मिलान उनके सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हस्ताक्षर से किया गया। अमेरिकी दस्तावेज़ों के साथ पाकिस्तानी दस्तावेज़ों की तुलना की गयी। इसके अलावा रिपोर्ट में उन हथियारों की बिक्री की समीक्षा की गयी है जो अमेरिका को बेचे गए लेकिन कहीं उनका उल्लेख नहीं किया गया।
इंटरसेप्ट के अनुसार दीर्घकालिक युद्ध में पाकिस्तान को आवश्यक युद्ध सामग्री के उत्पादन केंद्र के रूप में जाना जाता है। जबकि यूक्रेन को युद्ध सामग्री की निरंतर कमी का सामना करना पड़ रहा था, यूक्रेनी सेना द्वारा उपयोग किए जा रहे पाकिस्तान निर्मित गोले और अन्य हथियारों की खबरें कई रिपोर्टों में भी सामने आईं। हालाँकि, न तो अमेरिका और न ही पाकिस्तान ने इस मैनेजमेंट को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है।
यह खुलासा बड़ी पहुंच वाले उन वित्तीय और राजनीतिक वर्ग के बीच गुप्त लेनदेन का उदाहरण पेश करता है, जो शायद ही कभी लोगों की नज़रों में आते हैं। यह यूक्रेन युद्ध पर अपने कथित आक्रामक-तटस्थ रुख के कारण इमरान खान को पद से हटाने के लिए पाकिस्तानी सेना को प्रोत्साहित करने में वाशिंगटन की भूमिका पर भी प्रकाश डालता है। खान के निष्कासन के परिणामस्वरूप पूरे पकिस्तान में व्यापक विरोध और अशांति फ़ैल गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने इमरान खान को सत्ता में बने रहने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी और उन्हें हटाए जाने पर माफी का वादा किया था। इस ‘माफ़ी पैकेज’ में स्पष्ट रूप से आईएमएफ बेलआउट भी शामिल था।
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