पाकिस्तान और रूस के बीच सस्ते कच्चे तेल का सौदा हो गया है। पाकिस्तान ने रूसी कच्चे तेल के लिए अपना पहला आर्डर दे दिया है। यह तेल मई माह में पाकिस्तान पहुंचेगा। अभी रूस से सिर्फ कच्चे तेल का ही सौदा हुआ है, रूस से आने वाला कच्चा तेल पाकिस्तान की रिफाइनरी में ईंधन के रूप में बदला जाएगा।
पिछले वर्ष फरवरी माह से यूक्रेन-रूस के बीच संघर्ष छिड़ने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त बढ़त आई थी, पाकिस्तान तभी से लगातार यह प्रयास कर रहा था कि वह भी रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदे।
पाकिस्तान अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं के लिए पूरी तरह से बाहरी तेल खरीद पर निर्भर है। इस तेल की खरीद के लिए होने वाले भुगतान के लिए डॉलर की भी पाकिस्तान के पास कमी है, वह वर्तमान में ‘बैलेंस ऑफ पेमेंट’ की समस्या से जूझ रहा है।
युद्ध प्रारम्भ होने के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान ने भारत द्वारा सस्ता रूसी तेल खरीदने के फैसले की मिसाल देते हुए कहा था कि हम भी रूस से तेल खरीद सकते हैं, हम अपनी खरीदारी में कोई दबाव क्यों झेलें। अब इमरान खान को बाहर करके सत्ता में आई शहबाज शरीफ की सरकार ने भी उसी राह पर चलते हुए रूस से तेल खरीदने का फैसला किया है।
पाकिस्तान से रूठ गए हैं ‘अच्छे दिन’?
अब पाकिस्तान और रूस के बीच हुए इस सौदे की पुष्टि पाकिस्तान के पेट्रोलियम मामलों के राज्य मंत्री मुसद्द्क मलिक ने की है। हालाँकि, पाकिस्तान और रूस के बीच हुआ यह पहला सौदा ‘ट्रायल डील’ के तौर पर है। इस कच्चे तेल को पहले पाकिस्तान की रिफाइनरियों में साफ़ करके देखा जाएगा। यह खबर पाकिस्तान में आर्थिक मामलों की समाचार वेबसाइट बिजनेस रिकॉर्डर ने दी है।
ऐतिहासिक महंगाई के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान द्वारा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का फैसला उसे फायदे से अधिक नुकसान दे सकता है। इसके पीछे के कई कारण हैं। पकिस्तान की विदेश नीति और अन्य मामलों में रूस से तेल खरीद का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
रूस के सस्ता तेल बेचने का सबसे बड़ा कारण उस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हैं। रूसी कच्चे तेल की कीमतों पर G-7 देशों ने 60 डॉलर/बैरल का प्राइस कैप लगाया हुआ है।
यदि कोई देश रूस से इस कीमत से अधिक पर तेल खरीदता है तो उसको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान और रूस के सौदे की तेल कीमतों का अभी खुलासा नहीं हुआ है। अभी तक पाकिस्तान अपनी कच्चे तेल की जरूरतों को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों से पूरा करता आया है, यह देश उसे उधारी में भी तेल देते आए हैं।
पाकिस्तान ने जितना IMF से माँगा, उसका 8 गुना धन भारत के बैंकों में है ‘लावारिस’
पाकिस्तान का रूस से तेल खरीदने का फैसला उसके सऊदी से रिश्तों पर असर डाल सकता है। पाकिस्तान की बिगड़ी हालत में सऊदी अरब, चीन के अतिरिक्त उसका बड़ा सहारा है।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान लगातार पिछले कई महीनों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 बिलियन डॉलर की मदद की आस लगाए हुए है। IMF से आने वाली यह मदद उसके लिए आगे अन्य दरवाजे खोलेगी।
पाकिस्तान और रूस के बीच इसको लेकर जनवरी में सहमति बनी थी जब रूस के ऊर्जा मंत्री ने पाकिस्तान का दौरा किया था। इस बीच मार्च में यह भी खबर आई थी कि पाकिस्तान के भुगतान मुद्रा को लेकर कोई फैसला ना लेने को लेकर रूस नाराज है।
हालांकि, लगातार बातचीत और कई बड़े कदम उठाने के बाद भी IMF ने अभी तक पाकिस्तान को मदद देने पर कोई फैसला नहीं किया है। माना जा रहा है कि रूस से तेल खरीदने का फैसला अमेरिका को गुस्सा कर सकता है और अमेरिका की बिना सहमति के पाकिस्तान को IMF की कोई भी मदद मिलना मुश्किल होगा। पाकिस्तान का यह फैसला आर्थिक रूप से अधिक भावनात्मक रूप से लिया जान पड़ता है।
ऐसा माना जाता रहा है कि चूंकि भारत ने रूस से तेल खरीदा है इसलिए पाकिस्तान के नेता जनता में अपनी सरकार के पश्चिमी दबाव से मुक्त होने के संकेत के तौर पर यह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि वह भी ऐसा कर सकते हैं।
इस समर्थन में एक और बिंदु यह है कि पाकिस्तान पारंपरिक रूप से जिन देशों से तेल खरीद रहा है उन्हीं का कच्चा तेल रिफाइन करने की क्षमता उसके पास है। ऐसे में सस्ता रूसी तेल साफ़ करने की कितनी क्षमता उनमें है, यह देखने वाली बात होगी। पिछले वर्ष जुलाई में पाकिस्तानी तेल रिफाइनरियों ने पाकिस्तान की सरकार को सूचित किया था कि उनके पास केवल 30% कच्चा तेल साफ़ करने की क्षमता है।
रूस से तेल खरीदने में पाकिस्तान को भुगतान के संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। रूस वर्तमान में अधिकाँश देशों से दिरहम, युआन या रूबल में भुगतान लेने पेशकश करता आया है। डॉलर का विकल्प दोनों देशों के पास नहीं है क्योंकि ना रूस डॉलर में भुगतान लेगा और ना ही पाकिस्तान के पास देने के लिए डॉलर हैं ही। संभवतः, दोनों देशों के बीच चीनी मुद्रा युआन में सौदा हुआ हो, अभी इस विषय में अधिक जानकारियाँ सामने नहीं आई हैं।