पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर फिर से कश्मीर और धारा 370 के बारे में अनर्गल प्रलाप किया है। उनके इस प्रलाप का जवाब भारत के राजनयिकों द्वारा इसी मंच पर ‘राईट टू रिप्लाई’ के तहत दिया गया है।
पाकिस्तान द्वारा अपने एजेंडा को चलाने के लिए वैश्विक मंचों का उपयोग करना कोई नई बात नहीं है, अपने देश में बाढ़ की बात करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कश्मीर पर भारत के द्वारा ज्यादती का आरोप लगाने लगे। वह अलग बात है खुद पाकिस्तान पर अपने देश के अल्पसंख्यकों और कई समुदायों के खिलाफ सेना के क्रूर इस्तेमाल का आरोप है।
शरीफ के झूठे आरोपों का जवाब देने के लिए संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित भारतीय राजनयिकों द्वारा ‘राइट टू रिप्लाई’ यानी जवाब के अधिकार के तहत शरीफ को शान्ति का पाठ पढ़ाते हुए अपने गिरेबान में झाँकने की सलाह दी है।
शरीफ का प्रलाप
वर्तमान में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक चल रही है, जहाँ विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रियों के वक्तव्य चल रहे हैं। हालिया राजनैतिक उठापटक के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने शाहबाज शरीफ इसी बैठक में अपना वक्तव्य देने आए थे।
शरीफ ने अपने वक्तव्य की शुरुआत तो पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ और उससे हुई तबाही से की लेकिन कुछ ही देर बाद वह भारत के ऊपर कश्मीर में ज्यादती का आरोप लगाने लगे। शरीफ ने वही पुराना रटा रटाया ISI का प्रोपगेंडा संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दोहराया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को त्वरित आर्थिक तरक्की के लिए आंतरिक के साथ-साथ बाहरी सुरक्षा में स्थायित्व की आवश्यकता है। इसके आगे उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का मूल भारत द्वारा इसके नागरिकों को खुदमुख्तारी देने से मना करना है। आगे शरीफ ने अपनी शराफत किनारे करते हुए भारत द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के निर्णय को एकतरफा बताया।
शरीफ ने भारत पर वहां सालों से रह रहे लोगों को निवास प्रमाण पत्र देकर कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलने के साथ-साथ भारत पर कश्मीर को विश्व के सर्वाधिक सैन्य तैनाती वाले स्थान में बदलने का आरोप लगाया।
भारत का जवाब
कश्मीर पर शरीफ के द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और प्रोपगेंडा को ध्वस्त करने के लिए भारतीय राजनयिकों ने संयुक्त राष्ट्र में ‘राइट टू फर्स्ट रिप्लाई के तहत’ जोरदार जवाब दिया। भारत के संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक काजल भट्ट (कश्मीरी पंडित), निनाद देशपांडे और मिजितो विनितो ने इस प्रोपगैंडा का माकूल जवाब दिया है।
भारत ने परम्परानुसार अपने सबसे युवा राजनयिक मिजितो विनितो को जवाब देने के लिए आगे किया। विनितो ने कहा कि यह काफी दुखद है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस पटल का उपयोग भारत के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए किया। उनका यह प्रयास अपने देश में हो रहे अत्याचार और भारत के खिलाफ किए जाने वाले गैरकानूनी कामों को मान्यता दिलाने के लिए किया गया है। जबकि विश्व इसको स्वीकर नहीं करता।
विनितो ने अपने जवाब में पाकिस्तान के शान्ति स्थापित करने वाले बयान पर कहा, “जो राष्ट्र अपने पड़ोसियों के साथ शान्ति स्थापित करना चाहेगा वह कभी भी सीमा पार से आतंकी गतिविधियाँ संचालित नहीं करेगा।”
इसके आगे विनितो ने कहा, “पाकिस्तान ने मुंबई हमलों के दोषियों को शरण देकर उनकी सेवा की और विश्व के दबाव के बाद ही उनका अपने यहाँ होना स्वीकार किया।”
विनितो ने पाकिस्तान के अन्दर हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार के बारे में बात करते हुए कहा, “हमने आज मानवाधिकारों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में भी झूठ सुना। जब हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं का अपहरण एक आम बात है, तब आखिर हम इनकी मानसिक स्थिति के बारे में क्या कह सकते हैं।”
आगे विनितो ने कहा, “भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति की इच्छा जरूर सही है, लेकिन यह तभी संभव है जब सीमापार से आतंकवाद बंद हो और सरकारें अपने नागरिकों और विश्व के सामने साफ़-सुथरा व्यवहार करें। जब अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बंद हो।”
पाकिस्तान मांग रहा मदद , भारत से विश्वशांति की उम्मीद
पाकिस्तान के द्वारा वैश्विक स्तर पर फैलाए जा रहे झूठ को अब कोई भी पूछ नहीं रहा है। कुछ दिन पहले ही उसके कश्मीर मुद्दे पर भरोसेमंद साथी तुर्की ने भी अपना रुख बदलकर निष्पक्ष कर लिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ ही उनके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो आजकल पूरे विश्व में डॉलरों की माँग करते घूम रहे हैं।
जहाँ एक ओर बाढ़ से पीड़ित पाकिस्तान दुनिया के देशों से भीख मांग रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बना।