पाकिस्तान की एक अदालत ने चार व्यक्तियों इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद की शान में गुस्ताखी और अपनी धार्मिक किताब कुरान की बेअदबी करने के दोष में मृत्युदंड दिया है। यह फैसला पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब के शहर रावलपिंडी की एक अदालत ने सुनाया है। आरोप है कि दोषियों को कुछ ऐसी सामग्री साझा करते हुए पाया गया था जो कि पैगम्बर मुहम्मद की शान में गुस्ताखी के तौर पर देखी गईं।
एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन व्यक्तियों ने कुरान की बेअदबी भी की। इन चारों व्यक्तियों के नाम फैज़ान रज्ज़ाक, अमीन रईस, मुहम्मद रिजवान और वजीर गुल हैं। मृत्युदंड के अतिरिक्त, इनके ऊपर 1 लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। हालाँकि, अभी इन व्यक्तियों को फांसी पर तब तक नहीं लटकाया जाएगा जब तक कि लाहौर हाईकोर्ट इसकी पुष्टि नहीं करता। ऐसे ही एक मामले में एक अन्य व्यक्ति को 7 वर्ष की सजा और 1 लाख पाकिस्तानी रुपए के जुर्माने की सजा दी गई।
समाचार वेबसाइट अरब न्यूज़ के अनुसार, यह सभी आरोपित एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उसमें इस्लाम विरोधी बाते करते थे और मजहब के सम्बन्ध में आपत्तिजनक सामग्री साझा करते थे। पाकिस्तान में इस्लाम की आलोचना के सम्बन्ध में कड़े कानून हैं। कई मौकों पर कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही आरोपितों को बिना किसी सुनवाई के जनता पीट पीटकर मार देती है या कोई सिरफिरा हत्या कर देता है।
बीते कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब पाकिस्तानी मुस्लिमों ने अन्य धर्मों के मानने वालों और अहमदियों पर हमले किए हैं। बीते दिनों पाकिस्तान के ज़रांवाला इलाके में ईसाईयों के विरुद्ध हिंसा हुई थी जिसमें 6 चर्चों और 89 घरों को जला दिया गया था। यह सारे कृत्य तब हुए जब एक मस्जिद से यह ऐलान किया गया कि कथित तौर पर कुरान की बेअदबी हुई है। इसके पश्चात 5 सितम्बर को भी इसी इलाके में एक एक ईसाई पादरी की हत्या कर दी गई।
एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1947 के पश्चात पाकिस्तान में लगभग 1,500 से अधिक लोगों को इस्लाम की बेअदबी का आरोपी बनाया जा चुका है और लगभग 100 लोग मारे जा चुके हैं। इस मामले में जज ने फैसला सुनाते हुए कहा, “आरोपियों ने कुरान की बेअदबी की है इसलिए उनको किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दी जा सकती है।”
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