भारत के सीमान्त क्षेत्र कच्छ और सौराष्ट्र से गुजरते हुए ‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान पाकिस्तान के कराची पहुँचा। पाकिस्तान के मौसम विभाग ने इस तूफान से जिस भीषण तबाही का अनुमान लगाया था, उस तबाही से कराची अब बच गया है।
कराची इस भीषण तूफान से कैसे बचा? इस सम्बन्ध में कई पाकिस्तान की आवाम ने यह तर्क दिया है कि शहर के सूफी फकीर की वजह से कराची बच पाया है। पाकिस्तानी आवाम का मानना है कि कराची में मौजूद अब्दुल्लाह शाह गाजी की दरगाह की वजह से तूफान आने से कोई नुकसान नहीं हुआ है।
पाकिस्तान की आवाम बीते कई दशकों से यह मानती आई है कि शाह गाजी की रूह अरब सागर में उठने वाले भीषण चक्रवातों को रोकने में सबसे कारगर साबित होती आई है।
तथ्य क्या है?
कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय की अर्थ साइंस विभाग की प्रोफेसर मोना लिसा का तर्क इन सभी मान्यताओं को धराशायी कर देता है। उनका कहना है कि कराची तीन प्लेटों (हिंद, यूरेशियन और अरब) की सीमा पर बसा है, जिस कारण यहाँ आने वाले तूफान कमजोर पड़ जाते हैं।
कौन है अब्दुल्लाह शाह गाजी?
कराची के प्रमुख वास्तुकारों और इतिहासकारों में से एक, सोहियाल लारी ने अपनी पुस्तक (अ हिस्ट्री ऑफ सिंध) में बताया है कि शाह गाजी एक अरब व्यापारी था, जो अरब आक्रमणकारियों की पहली टुकड़ी के साथ सिंध आया था।
हालाँकि, एक अन्य विख्यात इतिहासकार, एम. दाउदपोता का मानना है कि गाजी एक कमांडर के रूप में इराक से सिंध क्षेत्र में आया था और शाह गाजी ने मुहम्मद बिन कासिम के साथ, सातवीं शताब्दी में सिंध के अन्तिम हिंदू शासक राजा दाहिर से युद्ध किया था। ये वही दाहिर हैं जिन्होंने अब्दुल्लाह शाह गाजी को मौत के घाट उतारा था।
राजा दाहिर कौन थे?
राजा दाहिर सातवीं शताब्दी में सिंध के अन्तिम हिन्दू शासक थे। दाहिर राजा चच के सबसे छोटे बेटे थे। दाहिर परम प्रतापी राजा थे जिनका राज पश्चिम में मकरान तक, दक्षिण में अरब सागर और गुजरात तक, पूर्व में मौजूदा मालवा के केंद्र और राजपूताने तक और उत्तर में मुल्तान से होकर दक्षिणी पंजाब तक था।
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