सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश पाकिस्तान अब मुसलमानों के लिए ही खतरे की घंटी बन गया है। हिन्दू, सिख और ईसाई समुदाय तो छोड़िए, यहाँ लगातार मुस्लिम समुदाय पर ही हिंसा की खबरे सामने आ रही हैं और ऐसी खबरें लगभग हर दिन ही देखी जा रही हैं। मज़ारों को तोड़ा जा रहा है और हर दिन ही मुसलमानों की हत्याएं हो रही है।
पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान में ये सब कुछ अहमदिया मुसलमानों के साथ हो रहा है। जिसमें पाकिस्तानी मुसलमानों द्वारा अहमदिया अल्पसंख्यकों की मज़ारों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बात की पुष्टि पाकिस्तान से सामने आ रहे ये वीडियो करते हैं। पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान से ऐसे कई वीडियोज सामने आये हैं जिनमें अहमदियों की मस्जिदों पर हमला कर उनकी आस्था को ठेस पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
इस मंगलवार को एक और रिपोर्ट सामने आई जिसमें इस बात का ज़िक्र किया गया कि अब तक पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में अहमदीया अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 28 मस्जिदों पर या तो कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा हमला किया गया है या पुलिस द्वारा ध्वस्त कर दिया गया है।
वहीं अहमदीया समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान द्वारा लाई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2023 के बाद से, पाकिस्तान में उनकी मज़ारों को अपवित्र करने की कम से कम 28 घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 10 घटनाएं सिंध और शेष पंजाब प्रांत में देखी गई। केवल इतना ही नहीं, इन हिंसक घटनाओं में पुलिस की भागीदारी भी बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में अहमदियों की मज़ारों पर कुछ हमले तो कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी द्वारा किए गए मगर यहाँ ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं जिनमे धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में आकर पुलिस अहमदियों की मीनारों और मेहराबों को ध्वस्त किया गया।
पाकिस्तानी कट्टरपंथियों का अहमदी इबादतगाह पर हमला
यहाँ सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तानी मुसलमान अहमदिया समुदाय को मुसलमान मानते ही नहीं बल्कि उनका यह मानना है कि अहमदिया समुदाय मुसलमानों को गुमराह कर रहा है। यही वजह है की अब पाकिस्तान में इनके खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है। क्योंकि पाकिस्तानियों का मानना है कि समय रहते इस समुदाय को खत्म नहीं किया गया तो यह आने वाले समय में मुस्लिम समुदाय को खतरा पंहुचा सकता है।
अब एक नज़र डालते हैं उन हिंसा के मामलों पर जो पिछले कुछ दिनों में अहमदिया समुदाव के साथ देखी गई
सबसे ताज़ा मामला 8 सितंबर का है जब अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों में तोड़ फोड़ करने जैसी कार्रवाइयों पर उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगाने की बात कही थी मगर इसी आदेश की अवहेलना करते हुए, पंजाब प्रांत में पुलिस ने अहमदियों की 1984 से भी पुरानी एक मज़ार को नष्ट कर दिया।
इससे पहले भी पिछले हफ्ते पाकिस्तान के लाहौर से ऐसा ही मामला सामने आया था जब अहमदियों की मज़्जिद की छत पर चढ़ कर कुछ पाकिस्तानी मुसलमानों ने तोड़फोड़ और गंदे किये थे। पुलिस थाना वहां से कुछ ही दूरी पर था मगर फिर भी यह घटना देखी गई।
अब आप ऐसी घटाओं से अंदाज़ा लगा है की पाकिस्तान में अहमदी समुदाव की क्या स्थति था। इनके साथ होती हिंसक घटनाओं में पुलिस भी भागीदारी होती हैं और इन्हीं में कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान कथित तौर पर अहमदियों के खिलाफ नफरत फैलाने और उसके पूजा स्थलों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर दबाव डालने में सबसे आगे है। मगर ऐसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती हैं। अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं और शासन-प्रसाशन भी इसमें भागीदार हैं।
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