12 अगस्त 2022 को 25 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को गुजरात के राजकोट में भारतीय नागरिकता दी गई। इसके बाद उनके पास अपना आधार कार्ड और अन्य भारतीय दस्तावेज हैं। कई शरणार्थी परिवार पिछले 16 साल से नागरिकता का इंतजार कर रहे थे और जब उन्हें यह मिला तो उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग कर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हिस्सा भी लिया।
विगत कुछ वर्ष की खबरों की मानें तो गुजरात के राजकोट में 500 से ज्यादा पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे थे, जिनमें से गुजरात के तत्कालीन गृहराज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने अगस्त, 2022 में राजकोट में 25 पाकिस्तानी शरणार्थियों, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे, को नागरिकता सौंपी थी। इनमें से अधिकतर वो लोग थे जिनका पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न किया गया। यह घटना मैं आपको तब बता रहा हूँ जब राजस्थान के जैसलमेर में पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के बंदोबस्त गहलोत सरकार ने बुलडोज़र से उजाड़ दिये। इस काम की कमान सँभाली थी जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी ने।
पिछले ही महीने जोधपुर में भी पाकिस्तानी शरणार्थियों की एक बस्ती पर स्थानीय प्रशासन द्वारा इसी तरह की कार्रवाई हुई थी। जोधपुर में हुई इस कार्रवाई के शिकार हुए अधिकतर लोगों के पास भारत में रहने के लिए लॉन्ग टर्म वीजा तो है, लेकिन अब तक उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है।
राजस्थान: जैसलमेर में पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिंदुओं के घरों पर चला बुलडोजर
जब शरणार्थियों के घरों पर प्रशासन के बुलडोजर चलने लगे तब वहाँ रहने वाली महिलाओं ने इसका विरोध किया। उनका विरोध काम नहीं आया और पुलिस बल ने उन्हें हटा दिया। घर गिरने के बाद कई शरणार्थी हिंदू परिवार बेघर हो कर खुले आसमान के नीचे आ गए। भीषण गर्मी में उनके घरों की महिलाओं और बच्चों का भी बुरा हाल हो गया।
इस प्रकरण से उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में समुदाय विशेष द्वारा क़ब्ज़ाए गए इलाक़े को ख़ाली कराते वक्त कोर्ट का फ़ैसला भी याद आया जब कोर्ट ने कहा कि ये बेचारे इतनी सर्दी में कहाँ जाएँगे और पहले इनके ठिकाने की व्यवस्था कि जानी चाहिये। इस से तो यही निष्कर्ष निकलता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में मानवाधिकार अलग-अलग तरीक़े से काम करते हैं। जहां भीड़ सेक्युलर हो, वहाँ मानवाधिकार भी होते हैं लेकिन जहां भीड़ आम हिंदुओं की हो फिर मानवाधिकार नहीं बल्कि क़ानून और प्रशासन का प्रश्न होता है।
आधिकारिक आँकड़ों की बात करें तो जनवरी से जुलाई 2022 तक 334 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी वापस पाकिस्तान चले गए थे। 2021 से अगस्त 2022 तक लगभग 1,500 पाकिस्तानी हिंदू वापस पाकिस्तान जा चुके थे। राजस्थान सरकार की लापरवाही से पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों में काफी निराशा थी। इनमें से अधिकांश हिंदुओं के पास भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए धन या संसाधन नहीं होते, इसलिए वे पाकिस्तान वापस लौट गए।
इस समय लगभग 25,000 ऐसे पाकिस्तानी हिंदू हैं जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं। ये पाकिस्तानी हिंदू यहां पिछले 10 से 15 साल से हैं। साल 2004 और 2005 में नागरिकता देने के लिए शिविर आयोजित किए गए और लगभग 13,000 पाकिस्तानी हिंदुओं को भारतीय नागरिकता मिली लेकिन पिछले 5 वर्षों में केवल 2000 पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी गई है।
दूसरी ओर, एक हजार से अधिक पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी पिछले साल भारतीय नागरिक बने और उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान भी किया। ये 1,032 शरणार्थी थे जिन्हें पिछले पांच वर्षों में अहमदाबाद कलेक्टर द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। 2016 से अहमदाबाद कलेक्टर कार्यालय ने पड़ोसी पाकिस्तान से 1,032 हिंदुओं को भारतीय नागरिकता दी है।
2016 और 2018 के राजपत्रों के अनुसार, अहमदाबाद, गांधीनगर और भुज कलेक्टरों के कार्यालयों के पास केंद्रीय और राज्य की खुफिया एजेंसियों से स्वीकृति मिलने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों और पारसियों को भारतीय नागरिकता दस्तावेज देने का अधिकार है।
हिंदू शरणार्थियों के प्रति कॉन्ग्रेस क्यों रखती है उदासीन रवैया?
इसी साल फ़रवरी माह में लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने 31 जिलों के जिला कलेक्टरों को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और धारा 6 के तहत प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्ति सौंपी है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा में दिया गया जवाब
मंत्रालय ने बताया कि इन जिलों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों जैसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई से संबंधित व्यक्तियों को नागरिकता दी जा सकती है। सरकार के अनुसार इन सभी को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जा सकती है या उन्हें देश के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जा सकता है।
गृह मंत्रालय सालाना रिपोर्ट 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक कुल 1414 लोगों को इन अधिकारियों एवं मंत्रालयों द्वारा भारत की नागरिकता दी गई। वहीं 1 अप्रैल 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक कुल 412 लोगों को विभिन्न माध्यमों से नागरिकता दी गई थी। 1 जनवरी 2019 से 31 मार्च 2020 तक कुल 1214 लोगों को नागरिकता के सर्टिफिकेट दिये गये।
राजस्थान और गुजरात, आँकड़े बताते हैं कि इन दोनों ही राज्यों में पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों की स्थिति एकदम अलग हैं। राजस्थान में जहां कलेक्टर हिंदुओं के घरों पर बुलडोज़र चला रहे हैं वहीं गुजरात में कलेक्टर हिंदुओं को नागरिकता के सर्टिफिकेट उपलब्ध करवा रहे हैं।