पाकिस्तान की सेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन अधिकारियों का कोर्ट मार्शल कर दिया है। इसके अतिरिक्त, कई अन्य सैनिकों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। पाकिस्तानी सेना ने यह कार्रवाई 9 मई, 2023 को इमरान खान खान की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करने वालों पर गोली ना चलाने वाले अधिकारियों पर की है।
पाकिस्तान सेना की इस कार्रवाई में एक लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारी समेत दो अन्य को सेना से बाहर का रास्ता दिखाया गया है जबकि तीन मेजर जनरल और 7 ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। सेना ने इन सभी सैनिकों को 9 मई 2023 को अपना काम सही से ना करने का आरोपी पाया है।
इस पूरी कार्रवाई की जानकारी ISPR मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दी है, उन्होंने 9 मई 2023 को हुए वाकये को दुखद बताया है। गौरतलब है कि 9 मई को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक ए इन्साफ के मुखिया इमरान खान की एक कोर्ट से गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में बड़े स्तर पर बवाल हुआ था और सेना मुख्यालय समेत कई स्थानों पर सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाया गया था।
ISPR चौधरी ने कहा कि जांच से यह स्पष्ट हो चुका है कि 9 मई के वाकये की तैयारी लम्बे समय से चल रही थी। इसके लिए पहले देश में खराब माहौल बनाया गया और बाद में दंगे फसाद हुए। पाकिस्तान की सेना अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के अतिरिक्त दंगे में शामिल लोगों के 100 से अधिक व्यक्तियों के विरुद्ध फौजी अदालतों में कार्यवाही कर रही है।
चौधरी ने यह भी बताया कि सैन्य अधिकारियों और सामान्य नागरिकों के अतिरिक्त पूर्व सैन्य अधिकारियों परिवारीजनों पर भी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि एक रिटायर्ड चार स्टार जनरल की पोती, एक अन्य रिटायर्ड चार स्टार जनरल के दामाद, एक रिटायर्ड तीन स्टार जनरल की पत्नी और एक रिटायर्ड दो स्टार जनरल की पत्नी तथा दामाद के विरुद्ध सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
पाकिस्तान की सेना ने फौजी अदालतों में मुकदमा चलने और मानवाधिकारों पर प्रश्न उठाने वालों को लेकर कहा है कि दंगा फसाद करने वाले इन सब बातों के पीछे छुप नहीं सकते। ऐसे आरोप पहले भी लगाए जाते रहे हैं और इनमें से अधिकाँश देश से बाहर से आते हैं।
पाकिस्तान में वर्तमान में आर्थिक के साथ ही राजनीतिक संकट छाया हुआ है, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से देश में लगातार विपक्ष के नेताओं पर कार्रवाइयां हो रही हैं। दूसरी तरफ सरकार और अदालत भी आमने सामने हैं। इन सबके बीच सेना 9 मई को हुए दंगे फसाद के आरोपितों पर कार्रवाई करके यह सन्देश देना चाहती है कि वह कमजोर नहीं हुई है।
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