आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हो, आपने एक बात अवश्य अनुभव की होगी कि आपके आस-पास की सड़कें, एक्सप्रेस-वे, हाईवे, फ्लाईओवर, फुटओवर ब्रिज, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, टनल या फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित इसी तरह का कोई और प्रोजेक्ट आपके देखते-देखते तैयार हो गया।
अब सवाल ये है कि ये हो कैसे रहा है? हमारे देश में तो इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट कई-कई दशकों तक चलते रहते थे- बनते रहते थे- टलते रहते थे- लटके रहते थे- सरकारें आती थी, चली जाती थी। प्रोजेक्ट का बजट बढ़ता जाता था- समय बढ़ता जाता था, लेकिन वे पूरे नहीं होते थे।
व्यंग्यकारों के लिए सरकारी इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट मजाक का विषय बन गए थे। शरद जोशी ने तभी तो लिखा था कि “सरकार विकास के लिए ठोस ही क़दम उठाती है, लेकिन वो क़दम इतने ठोस होते हैं, कि उठ ही नहीं पाते”
ऐसी पॉलिसी पैरालिसिस की परिस्थितियों से निकलकर आज एक देश के तौर पर हम उस गतिशीलता पर, उस प्रगतिशीलता पर खड़े हैं जहाँ हमारे देखते-देखते चंद महीनों में या फिर कुछ-एक वर्ष में प्रोजेक्ट पूरे हो जाते हैं।
ऑक्सफॉर्ड और गेट फाउंडेशन ने यह पता लगाने के लिए कि ये हुआ कैसे- एक केस स्टडी की। उनकी रिपोर्ट से पता चलता है कि यह Paradigm Shift पीएम मोदी के कारण हुआ है। आइए विस्तार से समझते हैं।
1985 की बात है। असम समझौते में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने के लिए संयुक्त रेल-सड़क पुल बनाने की योजना तैयार की गई थी। 1985 में योजना बनी थी और लगभग 13 साल बाद 1998 में इसे स्वीकृति दी गई।
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1998 से यह योजना ऐसी ही पड़ी रही- चलती रहे- अटकी रही- बनती रही। 2015 में प्रगति के अंतर्गत इस प्रोजेक्ट का पीएम मोदी रिव्यू करते हैं और दिसंबर 2018 में पीएम मोदी ही इसका उद्घाटन कर करते हैं।
बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के ऐसे 340 प्रोजेक्ट हैं जो वर्षों से, कुछ तो दशकों से पड़े हुए थे- अटके हुए थे और प्रगति में पीएम मोदी के रिव्यू करने के बाद उनके निर्माण में तेजी आई।
यह बात हम नहीं कह रहे हैं न ही भाजपा कह रही है न ही कोई सरकारी एजेंसी या फिर मंत्रालय कह रहा है बल्कि ऑक्सफॉर्ड की एक स्टडी ऐसा कह रही है।
“How India’s PRAGATI digital platform has accelerated its infrastructure revolution – a Saïd Business School-Gates Foundation case study” हैडलाइन से ऑक्सफोर्ड ने अपनी रिपोर्ट पब्लिश की है।
इस रिपोर्ट में उन्होंने प्रगति प्लेटफॉर्म से कैसे पीएम मोदी इन्फ्रास्ट्रक्चर डिलिवरी को गति दे रहे हैं। इस पर अपनी स्टडी पब्लिश की है।
इसमें वे लिखते हैं कि प्रगति के अनुभव से दूसरे विकासशाली देशों के पास भी अवसर है कि वे भी अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में क्रांति कर सकते हैं।
अब आप कहेंगे कि PRAGATI है क्या? कैसे इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर को गति मिल रही है? आप ये भी कहेंगे कि पीएम मोदी की इसमें क्या भूमिका है?
तो देखिए Pro-Active Governance and Timely Implementation इसको शॉर्ट कर दें तो PRAGATI बना जाता है। 2015 में पीएम मोदी ने PRAGATI Portal लॉन्च किया था।
इससे पीएम मोदी इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित प्रोजेक्ट्स को स्वयं रिव्यू करते हैं- कौन-से प्रोजेक्ट का क्या स्टेटस है? कितना टाइम हो गया? कितना टाइम और लगेगा? किस स्पीड से काम हो रहा है? किस स्पीड से होना चाहिए?
अलग-अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से संबंधित ऐसे तमाम पहलुओं पर पीएम मोदी प्रत्येक महीने संबंधित अधिकारियों और लोगों के साथ बैठक करते हैं और ज़रूरी दिशा-निर्देश देते हैं।
इसका अर्थ ये है कि एक-एक प्रोजेक्ट के निर्माण की निगरानी पीएम मोदी स्वयं कर रहे हैं। ऑक्सफोर्ड ने भी अपनी स्टडी में इसको स्वीकार किया है।
उन्होंने लिखा है, “9 वर्ष पहले स्थापित हुई PRAGATI का भारत के बुनियादी ढांचे के विकास पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। जून 2023 तक 205 बिलियन डॉलर की 340 परियोजनाएं प्रगति की समीक्षा प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं। भारत के शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी की भागेदारी PRAGATI प्लेटफॉर्म की मुख्य विशेषता और इसकी सफलता का आवश्यक घटक है ”
शायद अब आपको स्पष्टता हो रही होगी कि कैसे आपके आस-पास के बड़े प्रोजेक्ट्स जल्दी-जल्दी बन रहे हैं और कैसे देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर रफ्तार से बनता जा रहा है।
जी हाँ, पीएम मोदी इसके लिए दिन–रात जुटे हैं। एक-एक प्रोजेक्ट की समीक्षा वे स्वयं करते हैं और उसे कैसे आगे बढ़ाना है- क्या करना है- वे स्वयं गाइड करते हैं।
इसलिए शायद पीएम मोदी कहते हैं जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास मैं करता हूँ, उसका उद्घाटन भी मैं ही करता हूँ। भारत जैसे देश के लिए यह बहुत बड़ा परिवर्तन है।
कुछ लोग कह सकते हैं कि अरे इतनी बड़ी बात नहीं है। सरकार का यही तो काम है। इसलिए मैं एक और उदाहरण से आपको बताना चाहती हूं कि पहले सरकारें कैसे काम करती थी।
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देखिए, Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail Link को 1995 में अप्रूव किया गया था लेकिन 2015 में जब यह प्रोजेक्ट PRAGATI के पास समीक्षा के लिए आया तब तक कंस्ट्रक्शन का काम भी शुरू नहीं हुआ था यानी कि 20 साल में प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ।
2015 की प्रगति समीक्षा के बाद 2020 में जब दोबारा प्रगति समीक्षा के लिए प्रोजेक्ट आया तब तक Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail Link प्रोजेक्ट का तीन-चौथाई काम पूरा हो चुका है और आने वाले कुछ ही महीनों में पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
Bengaluru Metro Rail Corporation Limited का प्रोजेक्ट हो, महाराष्ट्र का नवीं मुंबई एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट हो या फिर ऐसी तमाम और परियोजनाएं। इन सभी परियोजनाओं के तेजी से निर्माण में पीएम मोदी सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यह बात ऑक्सफॉर्ड की स्टडी में सामने आई है।
अंत में 2013 को भी एक बार याद कीजिए। जब भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी के तौर पर मोदी जी रफ्तार की, तरक्की की, तेजी की, स्पीड की बात करते थे।
उस समय कई कथित पत्रकार उनका मजाक उड़ाते थे। वे कथित पत्रकार तो आज पता नहीं कहां हैं लेकिन पीएम मोदी जो 2013 में कहते थे, वही उन्होंने करके दिखाया और आज पूरी दुनिया उस पर मुहर लगाती दिखाई दे रही है।