राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान जिन संगठनों से मुलाक़ात की थी उन्होंने अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी आगामी यात्रा के दौरान राजकीय रात्रिभोज पर आमंत्रित ना करने की अपील की है। मुस्लिम ब्रदरहुड और अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े हुए संगठनों ने यह अपील एक पत्र के जरिए की है। प्रधानमंत्री मोदी 21 से 24 जून के बीच अमेरिका की राजकीय यात्रा पर रहेंगे और इस दौरान वह अमेरिकी कॉन्ग्रेस को भी संबोधित करेंगे।
भारत के अंदर धार्मिक मामलों पर घृणा और अमेरिका में झूठी जानकारियाँ फैलाने वाले संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने यह पत्र जारी किया। इस संगठन के साथ 16 अन्य संगठनों ने भी इस पत्र पर पर अपना समर्थन दिया है। इनमें से कई संगठनों ने वर्ष २021 के दौरान भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस नेता राहुल गांधी के न्यू यॉर्क में 4 जून को हुए कार्यक्रम के आयोजन में कई ऐसे व्यक्ति शामिल थे जिनके सम्बन्ध भारत विरोधी गैंग से रहे हैं। इसमें एक प्रमुख नाम मिन्हाज खान का है, जिसके सीधे सम्बन्ध इसी इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल से हैं जिसने प्रधानमंत्री मोदी को बुलाने के विरुद्ध पत्र लिखा है।
इंडियन अमेरिकन मुल्सिम काउंसिल ने वर्ष 2013-14 के दौरान एक अमेरिकन लॉबी फर्म को 55,000 डॉलर भी दिए थे। यह धनराशि अमेरिका में कथित तौर से मानवाधिकारों पर काम करने वाली संस्था USCIRF को दी गई थी ताकि इसकी रिपोर्ट में भारत की छवि को बिगाड़ा जा सके।
इसके अतिरिक्त, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल का ही एक एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रशीद अहमद भी जमात ए इस्लामी से संबंधित संगठनों से जुड़ा हुआ है। इसमें एक प्रमुख नाम ‘इस्लामिक मेडिकल असोसिएसन ऑफ़ नार्थ अमेरिका’ है जिसने कोरोना महामारी के दौरान भारत के नाम पर लाखों डॉलर दान में लिए थे और बाद में उन पैसों की हेरफेर की थी।
इसके अतिरिक्त पत्र लिखने वालों में शामिल एक और संगठन ‘हिन्दूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ (Hindus For Human Rights) भी है। इसने भी राहुल के एक कार्यक्रम की मेजबानी में सहयोग किया था। इस संगठन की को-फाउंडर सुनीता विश्वनाथन लगातार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और भारत-विरोधी तत्वों की शह पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करते आई है जिनमें भारत के विरुद्ध जहर उगला जाता रहा है।
पत्र लिखने वालों में अमेरिकन सिख काउंसिल और ‘दलित सॉलिडेरिटी’ जैसे संगठन भी शामिल है। भारत विरोधी प्रोपगैंडा को तोड़ने वाले डिसइन्फो लैब की एक रिपोर्ट बताती है कि यह अमेरिकन सिख काउंसिल अमेरिका के अंदर ISI के खालिस्तान एजेंडे को बढाने और भारतीय अधिकारियों के विरुद्ध घृणा फैलाने का काम करती आई है।
गौरतलब है कि अमेरिका में राहुल गांधी से मिलने के तुंरत बाद इन संगठनों ने प्रधानमंत्री की आगामी अमेरिका यात्रा के खिलाफ अपना एजेंडा चालू कर दिया है। इन संगठनों द्वारा जारी किए गए पत्र में भारत के प्रधानमंत्री को नाजियों से प्रेरणा लेने वाली हिंदुत्व विचारधारा का चैम्पियन बताया गया है।
पत्र में लगातार भारत के आंतरिक हालातों पर झूठी जानकारी परोसी गई है और एक-आधी घटना को ऐसे दिखाने की कोशिश की गई है कि भारत में मुसलमानों के नरसंहार की बात होती हो। सच्चाई सें कोसों दूर इस रिपोर्ट में ऐसी कई फर्जी रिपोर्ट का जिक्र किया गया है जिन्हें तैयार करने वाले अधिकाँश ISI से जुड़े हुए लोग या भारत-विरोधी गैंग के सदस्य हैं। इन रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों पर लगातार भारत सरकार और विशेषज्ञ प्रश्न उठाते रहे हैं और इनकी भारत विरोधी मानसिकता को उजागर करते रहे हैं।
पत्र में कहा गया है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा लाया गया CAA बिल भारत के 25 करोड़ मुसलमानों की नागरिकता छीनने का प्रयास है, जो कि सफ़ेद झूठ है। वास्तव में इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों जैसे प्रताड़ित अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देना था।
भारत के विषय में मिथ्या फैलाकर अपना कारोबार चलाने वाला यह सोरोस और ISI गैंग भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों से परेशान है और इसको रोकने के लिए वह अब भारत के विरुद्ध अपने झूठों को और तेजी से फैला रहा है। इस काम में उसकी सहायता भारत के भी कुछ ऐसे नेतागण कर रहे हैं जो चुनावों में जनता के बीच प्रधानमंत्री मोदी को हराने में असफल रहे हैं।
यह भी पढ़ें: जॉर्ज सोरोस: NGO के जरिए देश-विदेश की सत्ता पलटने की साजिशें, आतंकियों का हितैषी