मोदी लहर रोकने के लिए कुछ दिन पहले विपक्षी दल पटना में एकत्रित हुए थे। इस बैठक की ख़ास बात ये थी कि यहाँ लगभग हर नेता स्पेशल चार्टर्ड प्लेन से ज़मीन पर उतरा था। हमने तब भी इस बात को सामने रखा था कि क्या मोदी लहर रोकने के लिए चार्टर्ड प्लेन ही अब विपक्ष के पास आख़िरी रास्ता बाक़ी है? (Opposition party leaders united in Patna to plan a roadmap for the upcoming 2024 Lok Sabha elections)
बिहार में कुछ दिन पहले एक ऐतिहासिक घटना हुई। ऐतिहासिक घटना विपक्ष के तमाम नेताओं का जुटान नहीं बल्कि पटना में एक ही दिन में उतरने वाले चार्टर्ड प्लेन है। ऐसा शायद ही पटना के इतिहास में कभी हुआ हो जब महंगे खर्च पर लग्जरी सुविधा देने वाले चार्टर्ड प्लेन पटना में एक दिन में इस तरह उड़े हों। यही वजह है कि पटना में पिछला शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक था क्योंकि उस दिन पटना में आठ चार्टर्ड प्लेन ने उड़ान भरी।
आने वाले आम चुनावों से पूर्व PM नरेंद्र मोदी के खिलाफ पटना में राजनीतिक दलों की बैठक के लिए पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार के दिन कई नेता पहुँचे। इन नेताओं के आने और जाने की बहुत अधिक खबर अख़बारों में नहीं दिखाई दी मगर शुक्रवार को दोपहर बाद से शाम तक आसमान पर कुछ-कुछ अंतराल पर छोटे विमान देखकर लोग हैरान थे।
सत्ता का वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत करना विपक्ष की लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है
इस बैठक के लिए पटना में जितने भी विपक्षी नेता आए, चाहे वे सत्ता में हो या ना हों, सब के सब कॉर्पोरेट जेट से आए। इनमें से कोई भी यात्री विमान से नहीं आया था। पहले कहा गया कि कांग्रेस के अयोग्य घोषित सांसद राहुल गांधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ही चार्टर्ड प्लेन से आ रहे हैं। लेकिन, उनके पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ चार्टर्ड प्लेन से ही पटना पहुँच गई थीं।
दिल्ली के आम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान भी एक चार्टर्ड प्लेन से पहुंचे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी चार्टर्ड प्लेन से ही पटना उतरे। यानी, बैठक से एक दिन पहले पहुँचे ये चारों मुख्यमंत्री तीन चार्टर्ड प्लेन से आए। मार्क्स और लेनिन वाले दीपाँकर भी चार्टर्ड के आराम से ही उतरे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी एक ऐसे नेता थे जो आये यात्री विमान से थे लेकिन लौटे चार्टर्ड प्लेन से। शायद उन्हें भी मीटिंग में समझ आ गया होगा कि वो क्यों अपने आराम से समझौता करें?
इस सबके पीछे बंदोबश्त था नीतीश कुमार का जो शायद नहीं चाहते थे कि एयरपोर्ट पर इन नेताओं की तस्वीरें सामने आएँ। वो ये भी नहीं चाहते थे कि विपक्ष के इन सभी पोटेंशियल प्रधानमंत्रियों की असलियत भारत की जनता देखे।
चार्टर्ड से उतरने वाले इन सभी नेताओं को देखिए। उद्धव ठाकरे सत्ता में नहीं हैं, शरद पवार सत्ता में नहीं है फिर भी वह अलग-अलग कॉर्पोरेट जेट से भाड़े पर आए। शरद पवार के चार्टेड प्लेन का किराया सुनकर आप इन नेताओं की हैसियत का भी अंदाज़ा लगाइए। उद्धव ठाकरे जिस लग्ज़री विमान से पटना पहुँचे उसका नाम है Embraer’s Legacy 650। मुंबई से पटना के लिए इस विमान में एक साइड की यात्रा का खर्च होता है 32,74,500 रुपए और यदि आप इसे वापसी के लिए भी बुक करते हैं तो आपको देने होते हैं 65,49,000/- रुपए। यानी बिना कुर्सी के भी ये नेता इतना खर्च करने में सक्षम हैं और क्या ये उनकी अपनी जेब से खर्च हुआ है?
दुनिया को दिखाने के लिए हवाई चप्पल और सूती साड़ी का दिखावा करने वाली ममता एक बिजनेस ग्रुप के कॉर्पोरेट जेट में आई। केजरीवाल और भगवंत मान तो ख़ैर आम आदमी हैं। यानी ये सारे के सारे नेता कारपोरेट जेट से पटना आए और वहां बैठकर महंगाई बेरोजगारी और मोदी हटाओ पर चर्चा की गई। इसके अलावा इन सभी का कॉर्पोरेट हटाओ देश बचाओ का नारा सभी को याद ही है।
अब ये तो थी ऐशों आराम और लग्ज़री की कहानी, अब चार्टर्ड प्लेन की यात्रा में परिवार वाद से ग्रसित मानसिकता भी देखिए।
लग्ज़री यात्रा कर ज़मीन पर उतरे ये ज्यादातर नेता अपनी बेटियां और बेटे साथ में लेकर पटना पहुँचे थे। ज़ुबान पर मोदी हटाओ का नारा रखने वाले ये सभी नेता सत्ता में सिर्फ़ और सिर्फ़ उस ख़ज़ाने को हड़पने का सपना लेकर पहुँचना चाहते हैं, जिससे ये अपनी ऐशो आराम वाली ज़िंदगी के साथ अपने परिवार को भी वो दुनिया दिखा सकें जिसकी नींव भारत के पहले प्रधानमंत्री नेहरू रखकर गये थे। राजीव गांधी भी अपने ससुराल वालों को घुमाने प्रतिबंधित लक्षद्वीप ले ज़ाया करते थे। जहां खाने का सामान एयरलिफ्ट हुआ करता था। जो परिवार भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS विराट का इस्तेमाल टैक्सी की तरह किया करते थे।
ये परिवारवाद का ब्रिटिश और अमेरिकी मॉडल इस देश में एक परिवार थोपकर गया और अब केंद्र और कुर्सी पर जिनकी नज़र है वो एक बार उसे पाने के लिए इसी वजह से हर किसी की चरणवंदना करने के लिए तैयार हैं। वरना आज एक छत के नीचे बैठे ये सभी विपक्षी दल क्या एक दूसरे के लिये हमेशा से इतने ही ज़्यादा समर्पित थे? इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और JDU लीडर नीतीश कुमार ही हैं। अब ये परिवारवाद का मॉडल देश पर थोपने के लिए ये बैठकें हो रही हैं, जबकि इतिहास गवाह रहा है कि जिस भी देश या जिस भी इंडस्ट्री ने परिवारवादी या नेपोटिज्म की राह पकड़ी वो सिर्फ़ बर्बाद ही हुए।