बेंगलुरु में भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध विपक्षी एकता का ऐलान करने वाले दलों में 24 घंटे के भीतर ही लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया है। बेंगलुरु में एक ही मंच पर बैठने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और तृणमूल कॉन्ग्रेस के बीच पश्चिम बंगाल को लेकर बयानबाजी चालू हो गई है। इस कड़ी में कम्युनिस्ट पार्टी की नेता बृंदा करात ने बड़ा बयान दिया है।
बृंदा करात ने बीते दिनों पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान हुई भारी हिंसा की तरफ इशारा करते हुए तृणमूल की तानशाही की बात कही है। गौरतलब है कि ममता बनर्जी की टीएमसी बंगाल में 34 वर्षों के वामपंथी राज को ही खत्म करके सत्ता में आई थीं। बीते लम्बे समय से वामपंथी दल अपने विरुद्ध प्रशासन और बल के प्रयोग के आरोप ममता पर लगाते रहे हैं।
बृंदा करात ने कहा, “हमने विपक्षी दलों की बैठक में संविधान को बचाने पर चर्चा की थी। TMC की तानाशाही पंचायत चुनावों के दौरान बंगाल में दिखी थी। बंगाल में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए गठबंधन पर नेताओं से चर्चा के बाद निर्णय होगा। मैं यह कहना चाहती हूँ कि आप लोकतंत्र पर हमला करने इसे बचा नहीं सकते।”
ममता बनर्जी भी कॉन्ग्रेस से लम्बे समय से इसीलिए गुस्सा रही हैं क्योंकि कॉन्ग्रेस ने बंगाल चुनावों में वामपंथी दलों से गठबंधन कर लिया था। जहाँ वामपंथी दल राहुल को नेता मानने को तैयार हैं, वहीं ममता बनर्जी खुद को विपक्ष के चेहरे के तौर पर पेश करना चाहती हैं। ऐसे में दोनों के बीच बंगाल में किसी भी तरह की साझेदारी बन पाएगी, इस पर संशय है।
बृंदा करात का बयान भी इसी तरफ इशारा कर रहा है। जहाँ वामपंथी नेता ममता पर अविश्वास जता रहे हैं, वहीं ममता की पार्टी के नेता भी कुछ ऐसे ही बयान दे रहे हैं। TMC सांसद शताब्दी राय ने एक बयान में कहा कि हम अपनी नेता ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, इसके लिए हमारा अगला कदम कुछ हट कर हो सकता है।
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