3 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली पुलिस ने डिजिटल मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक के कार्यालय के साथ-साथ न्यूज़क्लिक से जुड़े कई लोगों के घरों और कार्यस्थलों पर छापेमारी की।
न्यूज़क्लिक वैसे तो ख़ुद को पत्रकारिता करने वाला डिजिटल मीडिया आउटलेट बताता है पर पिछले लगभग एक वर्ष से अलग-अलग कारणों से खबरों में बना हुआ है। पोर्टल पर बाहरी लोगों से पैसे लेकर भारत सरकार के खिलाफ लिखने के आरोप लगते रहे हैं और इस पर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई लंबे समय से चल रही है।
ज्ञात हो कि अगस्त 2023 में, न्यूज़क्लिक के खिलाफ UAPA और दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों में न्यूज़क्लिक से जुड़े 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की योजना बनाने और समन्वय करने के लिए दिल्ली पुलिस के 200 से अधिक कर्मियों ने कथित तौर पर 2 अक्टूबर की रात की बैठक में भाग लिया।
संपादक प्रबीर पुरकायस्थ सहित न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया। छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्ड ड्राइव जब्त किए गए। न्यूज़क्लिक अगस्त 2023 से जांच के दायरे में है, जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने आरोप लगाया कि यह अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा फण्ड किए जा रहे संगठनों में से एक था जो चीनी प्रचार को बढ़ावा दे रहा था।
इससे पहले फरवरी 2021 में, प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली पुलिस आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक एफआईआर के अनुसार कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए न्यूज़क्लिक के परिसरों और संपादकों के आवासों पर छापेमारी की थी। उस समय ईडी की जांच से पता चला था कि समाचार संगठन को कथित तौर पर विदेशों से धन प्राप्त हुआ है। एक खबर के अनुसार 2018 से 2021 के बीच संस्था को विदेशों से 77 करोड़ रुपये, प्राप्त हुए। इसके साथ ही संस्था की फंडिंग और आय के स्रोत पर सवाल उठ रहे हैं।
इन सब के बीच छापों पर हमेशा की भाँति राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि न्यूज़क्लिक में योगदान देने वाले पत्रकारों पर छापे का उद्देश्य बिहार में जाति सर्वेक्षण के हालिया निष्कर्षों और जाति जनगणना की बढ़ती मांगों से ध्यान भटकाना था। पार्टी मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार सामना करने पर “ध्यान भटकाने” का सहारा लेती है। देखा जाए तो यह ऐसा आरोप है जो लगभग हर सरकारी कार्रवाई पर लगता ही है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने छापेमारी का बचाव करते हुए कहा कि भारतीय जांच एजेंसियां कानून के अनुसार स्वतंत्र रूप से काम करती हैं और उनके पास ऐसे मामलों की जांच करने का अधिकार है जहां किसी विशेष छापेमारी को उचित ठहराने की आवश्यकता के बिना अवैध तरीकों या अन्य आपत्तिजनक कृत्यों के माध्यम से धन प्राप्त किया गया है।
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