बुधवार 13 सितंबर को I.N.D.I. अलायन्स की समन्वय समिति ने आगे होने वाले आम चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने के लिए एक बैठक की। इस बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें सार्वजनिक रैलियों का आयोजन, सीट बंटवारे पर बातचीत, जाति जनगणना की मांग तथा कुछ मीडिया घरानों के साथ जुड़ाव को प्रतिबंधित करना शामिल है।
I.N.D.I. अलायन्स विपक्षी दलों का एक ऐसा गठबंधन है, जो वर्ष 2024 में होने वाले आगामी आम चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को चुनौती देना चाहता है। भारत में प्रमुख दलों में एनसीपी, एसपी, जेएमएम, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई (एम), आरजेडी, सीपीआई, आदि शामिल हैं। यह अलायन्स के समन्वय समिति की यह पहली बैठक थी।
बैठक नई दिल्ली स्थिति एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर बुलाई गई थी और इसमें 12 विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस बैठक में ईडी के समन के कारण टीएमसी के अभिषेक बनर्जी उपस्थित नहीं हो सके। भोपाल में एक सार्वजनिक रैली, सीट-बंटवारे, मीडिया सहभागिता रणनीति तथा जाति जनगणना से संबंधित मुख्य चर्चाएं हुई तथा कई निर्णय लिए गए।
बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में समिति की ओर से बताया गया कि राज्य स्तरीय टीमों के साथ सीट आवंटन के लिए बातचीत शुरू करने का निर्णय लिया जा चुका है। विज्ञप्ति के अनुसार महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को उजागर करते हुए पहली सार्वजनिक रैली अक्टूबर में भोपाल में होगी। जातीय जनगणना कराने के लिए समर्थन व्यक्त किया गया। एक उप-संगठन को उन टीवी एंकरों के नाम जारी करने का अधिकार दिया गया जिनके सुझाव तथा शो से विपक्षी गठबंधन केआर नेता दूर रहेंगे।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने चर्चा की जानकारी दी। सीटों के बँटवारे को लेकर बोलते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि; जो सीटें I. N. D. I . अलायन्स के दलों के पास पहले से हैं उनके बारे में बात करने की आवश्यकता है। जो सीटें एनडीए के घटक दलों के पास हैं, केवल उन सीटों के बँटवारे के बारे में विचार करने की आवश्यकता है। कुल 14 सदस्यीय समन्वय समिति की भी घोषणा की गयी।
इस बैठक ने अगले आम चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों द्वारा औपचारिक तैयारियों की शुरुआत की। हालांकि, गठबंधन विस्तार करना तथा सीटों पर बातचीत पर अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है। भाजपा ने बैठक की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य “हिंदुओं को खत्म करना” है। साथ ही बीजेपी ने छुपे एजेंडे का आरोप लगाते हुए बैठक की आलोचना की।