पिछले कुछ दिनों से अर्धसैनिक बलों RSF और सेना के बीच संघर्ष में घिरे अफ़्रीकी देश सूडान में फंसे भारतीयों की निकासी के लिए केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ चालू किया गया है। भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए वायु सेना के अतिरिक्त नौसेना के जहाजों का सहारा लिया है, भारतीय नौसेना का जहाज सुमेधा सूडान के तट पर पहुँच गया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट करके बताया है कि लगभग 500 भारतीय पोर्ट सूडान पर पहुँच गए हैं और बड़ी संख्या में अभी रास्ते में हैं। इसके अतिरिक्त वायुसेना के C-130J हरक्युलिस विमानों का भी उपयोग नागरिकों के बचाव के लिए किया जाएगा।इससे पहले सऊदी अरब और फ्रांस की सहायता से लगभग 10 भारतीयों को सूडान से निकाला गया है।
सूडान में पिछले 9 दिनों से सूडान की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष छिड़ गया है। पहले से ही राजनीतिक तौर पर अस्थिरता झेल रहे सूडान में अब नागरिकों की जान पर भी खतरा बन आया है। सूडान में 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया था, इसमें उसका साथ देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेस(RSF) ने भी दिया था।
अब RSF और सूडान की सेना आमने सामने हैं। सूडान की राजधानी खार्तूम में लगातार भारी गोलाबारी चल रही है। दोनों बलों के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत सफल नहीं हुई है। सूडान में ईद के लिए लगाया गया सीजफायर भी काम नहीं कर सका और दोनों तरफ से गोलाबारी मात्र 10 मिनट रुकने के बाद पुनः चालू हो गई।
अब तक सूडान में लगभग 400 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है, 16 अप्रैल को एक भारतीय के भी गोली लगने के बाद मृत्यु की खबर आई थी। मृतक केरल का रहने वाला था। सूडान में फंसे भारतीयों में बड़ी संख्या में कर्नाटक के हक्की पिक्की जनजाति के भी लोग बड़ी संख्या में हैं, यह लोग प्राकृतिक दवाइयां बेंचने का काम करते हैं।
जानकारी के अनुसार, सूडान में लगभग 3,000 भारतीय फंसे हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने सूडान में फंसे सभी भारतीयों की प्रत्येक संभव सहायता की बात की है। सूडान में अर्धसैनिक और सैन्य बलों के बीच की लड़ाई का मुख्य कारण RSF का सेना में प्रस्तावित विलय है। RSF इसके लिए राजी नहीं है।
सूडान लम्बे समय से राजनीतिक अस्थिरता से जूझता आया है, वर्ष 2011 में लम्बी लड़ाई के बाद देश का बंटवारा भी हो गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1956 के बाद से सूडान में अब तक 35 तख्तापलट के प्रयास हुए है जिनमें से मात्र 6 ही सफल हो सके हैं। सूडान में सबसे बड़ी जनसंख्या सुन्नी मुस्लिमों की है।
सूडान में जारी इस संघर्ष में सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बरहान और RSF के प्रमुख मोहम्मद हमदान दग्लो आमने सामने हैं। RSF का कहना है कि वह लगातर आगे बढ़ रही है, लड़ाई शुरू होने के कुछ घंटे के बाद उसने दावा किया था कि उसने देश के प्रमुख संस्थानों पर कब्जा कर लिया है।
सूडान में भारतीय राजधानी खार्तूम के अतिरिक्त देश के अन्य हिस्सों में भी फंसे हैं। अब तक यूनाइटेड किंगडम, स्पेन और सऊदी समेत कई देश अपने राजनयिकों और अन्य नागरिकों को लगातार सूडान से बाहर निकाल चुके हैं। सूडान में अब बड़ी संख्या में पलायन भी चालू हो गया है।
सूडान से बाहर जा रहे विदेशी नागरिकों और राजनयिकों के साथ लूटपाट की घटनाएँ भी सामने आई हैं, पिछले दिनों क़तर के राजनयिकों के साथ लूटपाट की खबर सामने आई थी। सूडान में वर्ष 2019 में भी सैन्य तख्तापलट हुआ था जब लम्बे समय से देश की सत्ता पर काबिज उमर अल बशीर को सेना ने हटा दिया था।
भारत ने इससे पहले सफलतापूर्वक युद्धग्रस्त यूक्रेन और संघर्ष में फंसे मध्य एशियाई देशों से अपने नागरिकों को निकाला है। भारत अपने प्रयासों के साथ ही सूडान में अधिक प्रभाव रखने वाले अपने मित्र देशों से भी सहायता मांगी है। भारत ने मुख्य रूप से सऊदी अरब से मुख्यत: सहयोग माँगा है।
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान: बदहाल आर्थिकी के बावजूद जारी है कश्मीर प्रलाप