One District, One Product यानी एक जिला, एक उत्पाद! वो योजना जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध होगी।
भारत सरकार द्वारा वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए ODOP को शुरू किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य है भारत के हर राज्य के हर जिले का आर्थिक विकास और अधिक से अधिक रोजगार पैदा करना।
इसके साथ ही यह योजना भारत की विरासत को पुनर्जीवित करने में सहायक सिद्ध हो रही है जिससे हमारे पारंपरिक कौशल को पहचानने, सुरक्षित रखने और उसकी सहायता से सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को पुनः स्थापित किया जा रहा है।
One District, One Product 24 जनवरी, 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में लागू की गई। राज्य सरकार का दृष्टिकोण यह था कि उत्तर प्रदेश के पचहत्तर जिलों में से प्रत्येक से एक अद्वितीय उत्पाद की पहचान हो और उसके लिए एक विशिष्ट पारंपरिक औद्योगिक केंद्र बनाया जाए।
उदाहरण के तौर पर अयोध्या की जैगरी, फ़िरोज़ाबाद के ग्लास वेअर, हाथरस की हींग, कन्नौज के परफ्यूम, लखनऊ की एम्ब्रॉयडेड चिकनकारी, मेरठ के स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स, वाराणसी की बनारसी सिल्क साड़ी और बलिया की बिंदी, समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों के उत्पादों को पहचान मिल रही हैं। साथ ही कारीगरों का आत्म विशवास भी बढ़ कर सामने आ रहा है।
75 ज़िले यानी 75 उत्पाद के लिहाज़ से देखें तो खुद में ही यह बड़ी संख्या है। एक जिले की ताकत के आधार पर, ODOP एक जिले की वास्तविक क्षमता को साकार करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार और ग्रामीण उद्यमिता पैदा करने की दिशा में एक ऐसा कदम रहा है जिससे उत्तर प्रदेश ने 2018 के बाद से राज्य की एक्सपोर्ट कैपेसिटी में 30% से अधिक की वृद्धि की है। इसके लॉन्च के बाद 2019-2020 में लगभग करोड़ रुपये 89,000 का चौंका देने वाला एक्सपोर्ट दर्ज किया गया है।
उत्तर प्रदेश में ODOP योजना की सफलता ने कई अन्य राज्यों को स्थानीय उत्पादों के जिला-स्तर पर पुनरुद्धार के लिए इसी तरह की पहल करने के लिए प्रेरित किया और 29 अगस्त 2022 में केंद्र सरकार ने इस योजना को देश के सभी राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया। आज ODOP विश्व की लोकप्रिय योजनाओं में से एक हैं।
उत्तराखंड में भी इस योजना को लागू किया गया। लेकिन उत्तराखंड में इसको लेकर बदलाव देखा गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 25 अक्टूबर 2021 को जारी शासनादेश के माध्यम से एक जनपद दो उत्पाद योजना का शुभारंभ किया गया।
इस योजना के तहत उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के स्थानीय उत्पादों को चिन्हित कर उनमें से किन्हीं दो उत्पाद को विकसित किया जाएगा। जैसे बागेश्वर के कॉपर क्राफ्ट, मंडुवा बिस्किट्स, अल्मोड़ा की ट्वीड और बाल मिठाई, चंपावत की आयरन क्राफ्ट और हैंड वोवन प्रोडक्ट्स, चमोली के हैंडलूम्स, हेंडीक्राफ्ट और एरोमैटिक हर्बल्स, देहरादून की बेकरी और मशरूम प्रोडक्ट्स, हरिद्वार की जैगरी और हनी, नैनीताल का ऐपण क्राफ्ट और कैंडल क्राफ्ट, पिथौरागढ़ का वूलेन कारपेट और मुंसियारी राजमा, पौड़ी के हर्बल प्रोडक्ट्स और वुडेन फर्नीचर, रुद्रप्रयाग के हैंडीक्राफ्ट्स टैम्पल शेप्स और प्रसाद प्रोडक्ट्स, टिहरी के नेचुरल फाइबर और टिहरी नथ, उधम सिंह नगर का मेंथा ऑयल और मूँज ग्रास प्रोडक्ट्स, उत्तरकाशी के वूलन हैंडीक्राफ्ट और एप्पल बेस्ड प्रोडक्ट्स
इस योजना से राज्य निश्चित रूप से आत्मनिर्भर एवं समृद्ध होगा। इसके साथ ही उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके अनेक जड़ी-बूटियों के केंद्र रहे हैं। यहाँ के जंगलों में आज भी कई तरह की जड़ी बूटियाँ पाई जाती हैं जिसका उपयोग निरोग रहने में आदिकाल से चला आ रहा है। इसी को देखते हुए एक जनपद, दो उत्पाद योजना के माध्यम से राज्य के तीन जिले चमोली, पौड़ी और उधम सिंह नगर में विशेषतर जड़ी-बूटियों पर ध्यान दिया गया हैं।
चमोली जिले में एरोमैटिक हर्बल आइटम के उत्पाद पर काम किया जा रहा है। इस जिले में कई हजारों साल पुरानी जड़ी बूटियां आज भी पाई जाती हैं।
इसी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने अगस्त 2020 में चमोली राज्य के Herbal Research & Development institute’ (HRDI) Gopeshwar, में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए मंडल में एक हर्बल म्यूजियम विकसित किया और किसानों के साथ बेपत्ती आधारित उत्पादों को बढ़ावा दिया जो आत्मनिर्भर कृषि की पहल की और बढ़ते कदम को दर्शाता हैं।
इसके साथ ही अगस्त 2021 में भारत को उत्तराखंड के चमोली जिले के माना में अपना पहला ‘सर्वोच्च’ हर्बल पार्क मिला है। जो 11000 फीट की ऊंचाई पर भारत-चीन सीमा के करीब स्थित है। इस हर्बल पार्क को चार वर्गों में बांटा गया है।
पहले खंड में भगवान बद्रीनाथ से जुड़ी पादपों की प्रजातियां यानी बदरी तुलसी, बदरी बेर, बदरी वृक्ष और भोजपत्र का पवित्र वृक्ष शामिल हैं। दूसरे खंड में अष्टवर्ग की प्रजातियां यानी सिद्धि, वृद्धि, जीवक, काकोली, क्षीरकाकोली, मैदा और महामैदा शामिल हैं। तीसरा खंड, सौसुरिया प्रजाति का है और इसमें ब्रह्मकमल शामिल है, जो उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। और चौथा खंड अन्य विविध महत्वपूर्ण अल्पाइन प्रजातियों को शामिल करता है। इनमें अतिश, मीठा विश और कोरू शामिल हैं। यह औषधीय जड़ी-बूटियां हैं।
यहीं नहीं, चमोली के पहाड़ों में पैंतीस सौ मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला बेहद ही कीमती कीड़ा जड़ी यानी worm herb का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता हैं। इसमें प्रोटीन, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को ताक़त देते हैं।
खास बात है कि यह किडनी और फेफड़ों को मजबूत करने, रक्त उत्पादन में वृद्धि, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, रक्तचाप को रोकने में भी इसे बेहद शक्तिशाली और प्रभावी दवा माना जाता है।
इसके साथ ही पौड़ी में कई प्रकार के हर्बल प्रोडक्ट्स पर काम किया जा रहा है। जो सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं जैसे हर्बल टी, हर्बल जूस, वाइल्ड हनी, सीड ऑइल, ऑर्गेनिक ग्रीन टी, ड्राई हर्ब्स और आयुर्वेदिक हर्ब्स जैसे कई अनगिनत हर्ब्स।
वहीं ऊधम सिंह नगर में मेंथा ऑयल पर कार्य किया जा रहा है। मेंथा एक सुगंधित जड़ी बूटी है, जिसे भारत में जापानी पुदीना के नाम से भी जाना जाता है। जो ख़ास उत्तराखंड के उधम सिंह नज़र में पाया जाता है।
उत्तराखंड जड़ी बूटियों से भरपूर राज्य है। यहाँ हर प्रकार की जड़ी बूटियां मिल जाएँगी। और केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उत्तराखंड की जड़ी बूटियों का ख़ास चलन देखा जाता है। सरकार द्वारा इन हर्ब्स प्रोडक्ट्स पर योजना के माध्यम से कार्य राज्य में नए रोजगार और विकास के द्वार खोल रहा है।
राज्य में हमेशा से ही पलायन एक बड़ी समस्या रही है। वहीं इसी बीच one district two products scheme के माध्यम से उत्तराखंड के नागरिकों को रोजगार मिल रहा है। जिसकी उत्तराखंड को हमेशा से ही ज़रूरत थी।
आज ODOP scheme द्वारा भारत ही नहीं बल्कि भारत के कारीगरों को भी सम्मान मिल रहा है। पुरुष संग महिलाएं भी इस योजना में काम कर रही हैं जिससे महिलाओं में भी सशक्तिकरण के साथ-साथ नई आभा देखी जा रही हैं। यह योजना लोकल और कल्चरल इकॉनमी को रिवाइव करने में न केवल मदद करेगी बल्कि स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भरता का भाव भी देगी जो भारत के आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।