चायनीज फंडिग के आरोपों के चलते न्यूजक्लिक (NewsClick) समाचार पोर्टल हर जगह से घिर चुका है। बीते कुछ दिनों में लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक रिपोर्ट का मुद्दा उठाया जो कि अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित हुई थी। भाजपा सांसद दुबे ने इस रिपोर्ट का जिक्र कर विपक्ष को इसमें घेरने का प्रयास किया था। इस सबके बीच चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने में नेविल रॉय सिंघम (Neville Roy Singham) का भी नाम खूब चर्चा में है।
अमेरिकी समाचार पत्र की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि श्रीलंकाई मूल के अमेरिकी उद्योगपति नेविल रॉय सिंघम द्वारा वित्त पोषित न्यूज़क्लिक की कवरेज असल में चीन की कम्युनिस्ट सरकार का एजेंडा है। रिपोर्ट दावा करती है कि न्यूजक्लिक को चीन से 38.05 करोड़ प्राप्त हुए थे। ये धनराशि कथित तौर पर गौतम नवलखा और तीस्ता सीतलवाड़ के सहयोगियों सहित कई विवादास्पद पत्रकारों को वितरित की गई थी। सिंघम पर विभिन्न समूहों को फण्ड करने का आरोप है, जो चीन की कम्युनिस्ट विचारधारा को बढ़ावा देते हैं और उइगरों के नरसंहार को झूठ साबित करने का प्रयास करते हैं।
इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि श्रीलंकाई मूल से अमेरिका में रहने वाले नेविले रॉय सिंघम की न्यूज़ क्लिक की कवरेज चीनी सरकार द्वारा फण्ड की जा रही है। हाल ही में NYT ने एक अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जो चीन समर्थक पोर्टल को फंड करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर व्यवसाय और गैर सरकारी संगठनों का उपयोग कर रहा है। इस रिपोर्ट में यह दवा किया गया है कि न्यूज़क्लिक को 38.05 करोड़ रुपये भेजे थे।
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प्रबीर पुरकायस्थ का फ्लैट सीज
NYT की रिपोर्ट सिंघम की विवादित भूमिका पर प्रश्न करती है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व के दौरान, चीन ने अपने स्टेट मीडिया प्रभाव का विस्तार किया है, अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के साथ गठबंधन बनाया और प्रामाणिक, स्वतंत्र सामग्री के नाम पर प्रचार प्रसार करने के लिए विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है। चीन अपने इस प्रचार तंत्र के माध्यम से अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में अंतरराष्ट्रीय निंदा से खुद को बचाने में कामयाब भी रहा है।
इसके बाद दिल्ली स्थित समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ के दिल्ली स्थित साकेत वाले फ्लैट को ईडी ने सीज़ कर दिया। सितंबर, 2021 में भी ED ने प्रबीर पुरकायस्थ के परिसर पर छापेमारी की थी।
ईडी के तलाशी अभियान में दिल्ली एनसीआर स्थित न्यूज़क्लिक स्टूडियो और उससे जुड़ी संस्थाओं के साथ-साथ उनके डायरेक्टर्स और शेयरहोल्डर्स के कार्यालय भी शामिल थे। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई। ईडी ने ये कदम इस समाचार पोर्टल में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के बाद उठाया है। इसी प्रक्रिया में एजेंसी इस मामले को लेकर आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही है।
न्यूज़क्लिक की चीनी फंडिंग और ‘नामी’ विवादित चेहरों की क्रोनोलॉजी
चायनीज फंडिंग के मुद्दे के सार्वजानिक होने के बाद न्यूज़क्लिक की ओर से एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया गया, जिसमें यह लिखा गया था कि न्यूज़क्लिक को टारगेट किया जा रहा है और साथ ही, अन्य ऐसी वेबसाइट्स को भी, जो कि चीन से फण्ड ले रही होती हैं। इसमें ‘बोलने की आजादी’ जैसे बयान डाले गए हैं और ‘मीडिया की आज़ादी’ के बारे में भी प्रलाप किया है लेकिन कहीं भी इसके बारे में नहीं लिखा गया कि ये जो पोर्टल्स हैं वो चीन से पैसे पाते हैं। यहाँ पर इस किस्म की प्रतिक्रिया का ये भी मतलब होता है कि कहीं न कहीं आप भी इन आरोपों से सहमत हैं जो बातें पार्लियामेंट में उठी हैं।
माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ‘एक्स’ (ट्विटर का बदला हुआ नाम) पर विजय पटेल ने भी न्यूज़क्लिक के इस गिरोह का पर्दाफाश किया है।
ये बहस शुरू होती है नेविल रॉय सिंघम से, जिसने एक थिंक टैंक ‘ट्राइकॉन्टिनेंटल’ को फंड किया है जिसमें विजय प्रसाद डायरेक्टर के पद पर मौजूद हैं। विजय प्रसाद सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात के भतीजे हैं।
इसमें ज्यादातर ‘रिसर्चरस’, जो इस थिंक टैंक से जुड़े हुए हैं वो सभी SFI के ममेंबर्स हैं, SFI जो कि कम्युनिस्ट पार्टी की स्टूडेंट ब्रांच है।
इसमें पी साईनाथ नाम भी एक सामने आता है जो कि नेविल रॉय सिंघम फंडेड थिंक टैंक में मिलता है। आश्चर्यजनक रूप से, पी साईनाथ ने नेविल रॉय सिंघम और उनकी कंपनी ‘थॉटवर्क्स’ की मदद और समर्थन से PARI नेटवर्क की स्थापना की।
यहाँ पर एक मज़ेदार बात ये है कि पी साईनाथ को फोर्ड फाउंडेशन अवार्ड्स और रॉकफेलर फंडेड मैग्ससे अवार्ड भी मिले हैं जो कि फोर्ड फाउंडेशन द्वारा फण्ड किया जाता है, ये विवरण CIA के ही दस्तावेजों में मिलता है।
अब अगला नाम आता है मकक्लॉय का, जिसने CIA की स्थापना की थी, वो भी 1947 में जब वो रॉकफेलर में 1946-1949 के बीच ट्रस्टी थे। और फिर 1953-1958 में वो फिर से ट्रस्टी बने। इस बीच ये चेज़ बैंक के मालिक भी थे जिसका असली मालिक साल 1953-1960 के बीच रॉकफेलर रहा था। इसके बाद ये उसके बाद फोर्ड फाउंडेशन के चेयरमैन बने 1958 से 1965 के बीच।
पी साईनाथ NFI एनजीओ के ट्रस्टी भी हैं और फिलहाल उसके एडवाइजर भी। यहाँ पर आपको बता दें कि फोर्ड फाउंडेशन से इस ट्रेल की शुरुआत हुई और उसने NFI को फंड करना शुरू किया। NFI यानी नेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया। सीमा चिस्ती, जो कि CPIM लीडर सीताराम येचुरी की वाइफ है, वो बतौर फ़ेलोशिप एडवाइज़र फोर्ड फंडेड संस्था NFI में काम कर रही है।
अगला नाम जो कि फ़ेलोशिप वाली लिस्ट में शामिल है वो है धन्या राजेंद्रन (Dhanya Rajendran) का। धन्या राजेंद्रन समाचार पोर्टल दी न्यूज़ मिनट (TNM) की सह-संस्थापक भी हैं। इसी धन्या राजेंद्रन ने ‘DIGPUB’ नाम से एक संस्था को शुरू किया। अब यहाँ पर उन्होंने किसी ख़ास इंसान को डीजीपब का वाईस चेयरमैन बनाया और उसका नाम है प्रबीर पुरकायस्था; जिसका नाम चीन से करोड़ों रुपए के लेन देन के मामले में सामने आया है और अमेरिकी उद्योगपति नेविल रॉय सिंघम के साथ उनका सम्बन्ध मिला है।
अब एक बार इस लिस्ट में नज़रदौड़ाइए। जो प्रोपेगंडा वेबसाइट्स को चलाने का काम करते हैं और एकजुट हुए थे DIGIPUB को चलाते वक़्त। इसमें शामिल नाम हैं अभिशार शर्मा से लेकर बरखा दत्त तक का। ऑल्ट न्यूज़ से लेकर वायर वाली साक्षी जोशी का और अजीत अंजुम का भी।
ये लोग मिलजुलकर पिछले कई सालों से अपने दर्शकों को मूर्ख बना रहे हैं और इसी राह पर इनकी ऑडियंस भी अच्छी खासी बन चुकी है। अपना नाम जब तक ये ‘कॉमरेड’ रखकर चल रहे थे तब ये यही दावा करते रहे कि इनकी लड़ाई कैपिटलिज़्म से है। असल में ये पूरी लॉबी अच्छा ख़ासा कैपिटलिज्म में ही पल रही है और पाल भी रही है।
तो वापस आते हैं प्रबीर पुरकायस्था पर, जिन्होंने किरण चंद्र के साथ मिलकर ‘फ्री सॉफ्टवेयर मूवमेंट’ (Free Software Movement) नाम की एक संस्था शुरू की थी। किरण चंद्र ने नेविले रॉय सिंघम और उसकी कम्पनी ThoughtWorks के साथ काम किया है। और साथ ही साथ किरण एक और संस्था चलाती हैं, जिसका नाम है SWECHA है।
किरण का चीन में कई बार आना जाना भी होता रहा है और हम सभी ये भी जानते हैं कि चीन का सायबर हैकिंग को लेकर क्या रिकॉर्ड रहा है। अक्सर ट्विटर पर उनकी ऐसी सामग्री को प्रतिबंधित भी किया गया है।
किरण चंद्र को भी कभी फ़ोन टैपिंग में तो कभी जीमेल हैकिंग में संलिप्त पाया गया है। यह भी सोर्सेज से पता लगाया जा चुका है कि किरण ने चीन से ऑपरेट होने वाली वेबसाइट्स तैयार की हैं, जिनमें से एक तीस्ता सीतलवाड़ की ’सबरंग’ भी है और सीपीआईएम की भी कुछ वेबसाइट्स बनाई गयी हैं। और इस पूरे इकोसिस्टम की मज़ेदार बात ये है कि तीस्ता को भी फोर्ड फाउंडेशन ने फण्ड किया है और न्यूज़क्लिक ने भी सिंघम के जरिए इन्हें फण्ड दिया है।
ED की याचिका पर न्यूज़क्लिक स्टूडियो और निदेशक को नोटिस जारी
ताजा जानकारी के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के मालिक पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक प्रबीर पुरकायस्थ को नोटिस जारी किया है।
ये नोटिस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में जारी किए गए थे, जिसमें उस अंतरिम आदेश को हटाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसने ईडी को उपरोक्त संस्थाओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था। प्रवर्तन एजेंसी को अंतरिम अदालत के आदेश द्वारा समाचार पोर्टल के खिलाफ कोई भी कठोर कदम उठाने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
5 साल में मनी लॉन्ड्रिंग के 25 मामले, ED का खुलासा
समाचार वेबसाइट न्यूज़ 18 के अनुसार, सायबर धोखाधड़ी सहित कई घोटालों के माध्यम से भारत से चीन और दुबई में भेजी गई धन राशि, संबंधित मामले, जांच और पता लगाने वाले दस्तावेज इस नवंबर में होने वाली एफएटीएफ की समीक्षा प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंश होंगे।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी और उनके वित्तपोषण की निगरानी के लिए वैश्विक कार्रवाई का मामला देखने वाली संस्था नेतृत्व करता है। संगठन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एफएटीएफ इस बात पर शोध करता है कि धन का शोधन कैसे किया जाता है और आतंकवाद को वित्त पोषित किया जाता है, जोखिमों को कम करने के लिए वैश्विक मानकों को बढ़ावा देता है और यह आकलन करता है कि देश प्रभावी कार्रवाई कर रहे हैं या नहीं।
News18 ने खुलासा किया है कि प्रवर्तन निदेशालय पिछले पांच वर्षों के लगभग 25 मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच कर रहा है। इन मामलों का संबंच चीन से मिला है। इसमें चीनी कंपनियां, संगठन और बीजिंग के हितों से जुड़े व्यक्ति या व्यवसायी शामिल हैं। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इसमें से एक मामले में 40 से 50 या फिर अधिक एफआईआर एक साथ हो सकती हैं और हजारों लोगों या सरकारी सहित कई संगठनों को प्रभावित कर सकती हैं।
चीन से संचार और सहयोग सीधे तौर पर नहीं होता है, क्योंकि कभी-कभी ये रास्ते कई विदेशी स्थानों से होकर गुजरते हैं, ऐसे में जब भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले ऐसे देशों से जुड़े मिलते हैं भारत पश्चिम एशियाई देशों को संचार भेजता रहता है।
वरिष्ठ ईडी अधिकारियों का कहना है कि भारत द्वारा कई देशों को भेजे गए कुल संचार या सहयोग अनुरोधों में से लगभग 18% पश्चिम एशियाई देशों को भेजे गए थे। दुबई इस क्षेत्र में चार्ट में सबसे ऊपर है क्योंकि इसे मनी लॉन्ड्रिंग का केंद्र माना जाता है।
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