हाल ही में नूंह जिले में मुस्लिम आतंकियों द्वारा की गयी हिंसा के सिलसिले में हरियाणा पुलिस ने कई रोहिंग्या घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है। नूंह के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया ने कहा कि रोहिंग्या घुसपैठियों ने तौरू में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था, जिसके कारण बुल्डोजर से अभियान चलाया गया। लेकिन अब जानकारी सामने आई है कि ये रोहिंग्या घुसपैठिए 31 जुलाई को हुई हिंसा में हिन्दुओं पर हमला करने में शामिल थे।
पुलिस ने समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा, “हमने हिंसा में शामिल होने वाले रोहिंग्या घुसपैठियों की एक सूची तैयार की है और हमारे पास इसके सबूत हैं और इसके आधार पर टीमों ने उन्हें गिरफ्तार किया है।”
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इन रोहिंग्याओं की मदद के लिए सब्बर क्याव मिन नामक व्यक्ति ने रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव संगठन की स्थापना की है। बताया जा रहा है कि सब्बर क्याव मिन अब गिरफ्तार हुए रोहिंग्या की मदद करेंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स ने भी रोहिंग्या को शरणार्थी कहकर सम्बोधित किया है। हालाँकि भारत सरकार ने रोहिंग्या को शरणार्थी का दर्जा नहीं दिया है।
वहीं ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी दंगे में रोहिंग्या मुसलमानों की भूमिका सामने आ रही है। नूंह दंगे से पहले देश की राजधानी दिल्ली में फरवरी, 2020 में हुए दंगों के दौरान भी इनकी भूमिका सामने आई थी। इसके बाद यह भी खबर आई कि इन घुसपैठियों ने दिल्ली से निकलकर आसपास के इलाकों में भी बसना शुरू कर दिया है।
वर्ष 2021 में समाचार पत्र जागरण में “हरियाणा में बड़ा खतरा बने रोहिंग्या, दिल्ली से निकाले गए तो मेवात में मिल रही शरण” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकशित हुई। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के मेवात में सबसे ज्यादा संख्या है। और वहीं के लोग अपने घरों में शरण शरण दे रहे थे।
इस रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार के तब के आंकड़े बताते हैं कि पूरे प्रदेश में 600 से 700 परिवार रोहिंग्या मुसलमानों के हैं। अकेले मेवात में करीब 2000 रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। लेकिन, विश्व हिंदू परिषद सरकार के इन आंकड़ों को प्रमाणिकता के आधार पर सही नहीं मानती।
तब विश्व हिन्दू परिषद ने भी जमकर इसका विरोध किया था। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल के अनुसार इनकी संख्या लाखों में हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान मेवात (नूंह), फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल और यमुनानगर जिलों में रहते हैं। बाकी जिलों में भी इनकी उपस्थिति है, लेकिन उनके आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड बन जाने की वजह से उन पर जल्दी से शक किया जाना मुश्किल हो रहा है।
क्या है रोहिंग्या विवाद
वर्ष 2012 में म्यांमार में रोहिंग्या ने हिंसा शुरू की थी। इसके बाद इन्हें वहां से पीटकर भगाया गया। उस दौरान भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद म्यांमार जाकर इन रोहिंग्या को 1 मिलियन डॉलर की मदद बाँट रहे थे। इसके बाद इन रोहिंग्या ने भारत में घुसपैठ शुरू की।
कुछ ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली थी। लेकिन जब इन्हे बांग्लादेश से भगाया गया तो उन्होंने असम, पश्चिम बंगाल के जरिए भारत में प्रवेश करना शुरू कर किया। हालात ये हैं कि अब ये दिल्ली, जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, असम, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में मौजूद हैं। वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने जानकारी दी थी कि देश में करीब 60 हजार से ज्यादा अवैध रोहिंग्या घुसपैठिए रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 49,127 है। हालांकि, इनकी संख्या इससे बहुत ज्यादा होने के अनुमान हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत संयुक्त राष्ट्र की तरह इनको शरणार्थी का दर्जा नहीं देता है। भारत सरकार का स्पष्ट रुख है कि ये घुसपैठिए हैं और इन्हें वापस भेजा जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत कभी नागरिक के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। सरकार ने अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। उसने कहा था कि इन्हें उनके देश भेज दिए जाने की योजना है।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपराध करने वालों में 20% रोहिंग्या: BSF रिपोर्ट