भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा उत्पादक NTPC लिमिटेड ने चालू वित्त वर्ष में अपनी निजी खदानों से कोयला उत्पादन में 62% की वृद्धि दर्ज की है। 31 अगस्त को जारी आंकड़ों के अनुसार, NTPC ने 7.36 मिलियन टन (एमटी) कोयले का उत्पादन किया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान उत्पादित 4.55 मीट्रिक टन कोयले की तुलना में 62% की भारी वृद्धि दर्शाता है।
NTPC ने अपने बयान में कहा, “सावधानीपूर्वक बनाई गई योजना, संसाधन संग्रहण और नियमित निगरानी के दम पर, NTPC ने कोयला उत्पादन में मानसून के दौरान भी अब तक पर्याप्त वृद्धि हासिल कर ली है और इस विकास को आगे भी बनाए रखने की उम्मीद है जो निर्बाध, विश्वसनीय और सस्ती बिजली का उत्पादन सुनिश्चित करने में मदद करेगी।”
NTPC ने अपनी निजी खानों से बिजली उत्पादन के लिए अब तक 7.52 मीट्रिक टन कोयला भेजा है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 5.47 मीट्रिक टन कोयला भेजा गया था, जिसमें 37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
कैसे हुई वृद्धि ?

कंपनी ने कहा कि, “NTPC ने अपनी खदानों से उत्पादन बढ़ाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कोयला उत्खनन के मौजूदा बेड़े के आकार में बढ़ोतरी के साथ साथ उच्च क्षमता वाले डंपरों ने मौजूदा खदानों को अपना उत्पादन बढ़ाने का रास्ता मुहैया करा दिया है।”
हाल ही में, NTPC को अपने non-convertible debentures निजी क्षेत्र को जारी करके 12,000 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिली है। रिपोर्टों के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी को कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB), ब्रुकफील्ड, अबू धाबी के TAQA और नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) सहित दर्जन भर कंपनियों से ब्याज मिला है।
वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन बढ़कर 1.23 बिलियन टन होगा: केंद्र
देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, गत सप्ताह ही केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन को 1.23 बिलियन टन (BT) तक बढ़ाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने एक अरब टन dry fuel कोयले के उत्पादन और देश भर में इसके निर्बाध परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आधुनिक बनाने की योजना तैयार की है।
विभिन्न कोयला क्षेत्र इसमें कैसे योगदान देंगे ?

नॉर्थ करनपुरा कोलफील्ड झारखंड राज्य का एक प्रमुख कोयला क्षेत्र है, जो सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की कमान में आता है। इस कोयला क्षेत्र में लगभग 19 बिलियन टन का कोयला संसाधन है। CCL ने वित्त वर्ष 2025 तक लगभग 135 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें से लगभग 85 MT का उत्पादन उत्तरी करनपुरा कोलफील्ड की निम्न ग्रीनफील्ड / ब्राउनफील्ड कोयला खनन परियोजनाओं से होने की संभावना है।
- आम्रपाली कोयला खदान – 25 मीट्रिक टन
- मगध कोयला खदान 51 – मीट्रिक टन
- चंद्रगुप्त कोयला खदान – 15 मीट्रिक टन
- संघमित्रा कोयला खदान – 20 मीट्रिक टन
वर्तमान में, उत्तरी करनपुरा कोयला क्षेत्र से कोयले की निकासी रेलवे की बरकाकाना-डाल्टनगंज शाखा रेलवे लाइन द्वारा की जाती है। इसके लिए CCL द्वारा 44.37 किमी लंबी तोरी-शिवपुर डबल रेलवे लाइन बनाई गई है। उसी रूट पर 894 करोड़ रुपए की लागत से तीसरी रेलवे लाइन निर्माणाधीन है, जिसके मई 2023 तक चालू होने की संभावना है।
इसके अलावा, शिवपुर-कठौटिया, में 49 किमी लंबी एक नई रेल लाइन प्रस्तावित है और इसका निर्माण एक विशेष SPV का गठन करके किया जा रहा है, यह बहुप्रतीक्षित रेलवे लाइन बंगाल के हावड़ा से लेकर दिल्ली तक के रेलवे मार्गों पर कोडरमा के रास्ते कोयला परिवहन के लिए एक नया मार्ग प्रदान करेगी। इससे मध्यभारत में कोयले का परिवहन आज की तुलना में कहीं सरल ज्यादा हो जाएगा।