उत्तराखंड स्थित औली में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए संयुक्त अभ्यास पर चीन ने आपत्ति व्यक्त की है। इस पर भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत अपने निर्णयों में किसी तीसरे देश को बोलने का अधिकार नहीं देता।
भारत की इस प्रतिक्रिया का समर्थन अमेरिकी राजदूत ने भी किया है। अमेरिका का कहना है कि वॉशिंगटन भी चीन को भारत द्वारा दिए गए जवाब का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय और सीमा संबंधी विवादों में अमेरिका भारत के साथ है।
भारत-अमेरिका का संयुक्त सैन्य ‘युद्ध अभ्यास 2022’ औली में किया गया, जो कि 10,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। चीन को इस अभ्यास से मुख्य परेशानी इसके स्थान से है, जो कि एलएसी से मात्र 100 किमी की दूरी पर है।
चीन ने वास्तविक सीमा रेखा (LAC) के पास सैन्य अभ्यास पर आपत्ति जताई है। चीन के अनुसार ये दोनों देशों के बीच 1993 और 1996 में हुए द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ है। विदेश मंत्रायल के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साफ शब्दों में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत किसी तीसरे देश को अंदरूनी मामलों में बोलने का अधिकार (वीटो) नहीं देता है। वहीं अमेरीका के साथ जारी सैन्य अभ्यास को चीन ने ‘सीमा समझौते की भावनाओं’ का उल्लंघन बताया है जो कि ‘द्विपक्षीय विश्वास’ बनाने में मदद नहीं करता है।
चीन द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए बागची ने कहा कि वो इस बात पर जोर देते हैं कि चीन 1993 और 1996 में हुए समझौतों का स्वयं द्वारा उल्लंघन किए जाने के बारे में दोबारा सोचे। शायद बागची हाल ही में चीन द्वारा सीमा समझौतों को तोड़ने की बात कर रहे थे, जिसमें गलवान घाटी संघर्ष भी शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि भारत किसी भी देश के साथ सैन्य अभ्यास करने का अधिकार रखता है और इसे प्रभावित करने का वीटो किसी तीसरे देश के पास नहीं है।
क्या है 1993 और 1996 का सीमा समझौता
भारत-चीन सीमा क्षेत्र पर शांति बनाए रखने के लिए किया गया वर्ष 1993 का समझौता दोनों देशों के बीच हुआ मूलभूत समझौता है। इसी समझौते से ‘LAC’ का नया शब्द चलन में आया था। समझौते के अनुसार दोनों देशों की सेनाओं के बीच जुड़ाव के तरीकों, समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान, दोनों पक्षों द्वारा एलएसी के नियमों का सख्ती से पालन और विश्वास बढ़ाने की उपाय (CBMs), बैठकों और आकस्मिकताओं के मामले में मैत्रीपूर्ण परामर्श को लेकर बात की गई थी।
वहीं, भारत-चीन सीमा क्षेत्र में विश्वास को बढ़ावा देने के लिए 1996 का समझौता किया गया था जिनमें 5 बिंदू मुख्य स्थान रखते हैं-
- संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए परस्पर सम्मान
- गैर-आक्रमक रवैया
- एक-दूसरे के आतंरिक मामलों में दखल ना देना
- समानता और पारंपरिक लाभ
- दीर्घकालिक अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना।
समझौता दोनों देशों को पारस्परिक रूप से अपनी सेनाओं को सहमत भौगोलिक क्षेत्र में रखने का आह्वान करता है। समझौते के अनसार, एलएसी के दो किलोमीटर के भीतर कोई भी पक्ष आगे नहीं आएगा, प्रकृति को हानि नहीं पहुँचाएगा, खतरनाक रसायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं करेगा, विस्फोट संचालन, बंदूक और विस्फोटकों से एक-दूसरे पर हमला नहीं करेगा।
यह समझौता दोनों देशों को समय-समय पर बातचीत करने, फ्लैग मीटिंग का आयोजन करने और दूरसंचार के माध्यम से आदान-प्रदान करने और सहयोग को मजबूत करने के लिए अनुकूल तंत्र का विकास करने की बात करता है।