असम में परिसीमन को मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश के मंत्रिमंडल ने 4 जिलों को मौजूदा जिलों में विलय करने का निर्णय किया है। इसके साथ ही प्रदेश में 14 स्थानों की सीमाएँ फिर से तय की जाएगी। नई दिल्ली में हुई असम कैबिनेट की बैठक में इस बात पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा, जिसके बाद राज्य में जिलों की संख्या 35 से घटकर 31 रह जाएगी। इस फैसले के तहत बिश्वनाथ जिले को सोनितपुर, होजई को नागाँव, बजाली को बारपेटा और तमुलपुर को बक्सा में मिला दिया जाएगा।
यह फैसला सामने आने के बाद कई राजनीतिक दल और संगठनों द्वारा राज्य सरकार का विरोध भी किया जा रहा है। इन दलों और संगठनों द्वारा देश में चुनाव आयोग की परिसीमन प्रकिया से पहले फैसला लेने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की जा रही है।
वहीं, जिलों के विलय के निर्णय पर प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि “वे आज लिए गए निर्णयों से सहज तो महसूस नहीं कर रहे हैं लेकिन कभी-कभी हमें प्रशासनिक जरूरतों और प्रदेश के बेहतर भविष्य के लिए कुछ उपाय करने पड़ते हैं।”
इसके साथ ही हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के संबंध में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) से किसी भी तरह के समर्थन की आवश्यकता नहीं है।
मुख्यमंत्री सरमा का कहना है कि होजाई जिला भंग कर दिया गया है और भविष्य में इसे फिर से बनाया जाएगा। इसमें AIUDF या AAMSU को शामिल होने की जरूरत नहीं है। होजई को बनाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और भविष्य में असम में किसी भी चीज के निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी।
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उन्होंने यह भी बताया कि यह एक परिवर्तनकारी फेज है, जिसमें परिसीमन की कवायद खत्म होने के बाद वे 4 जिलों को पुन: परिभाषित करेंगे। हालाँकि, इस दौरान 4 जिलों में प्रशासनिक, न्यायिक और पुलिस कार्यालय हमेशा की तरह कार्यरत रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रशासनिक कारणों के चलते राज्य के 14 क्षेत्रों की सीमाओं का पुन: निर्धारण किया जाएगा।
हिमंता बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि ये फैसले हमने साल के आखिरी दिन में लिए थे क्योंकि चुनाव आयोग ने परिसीमन की कार्यवाही पहले ही शुरू कर दी है और कल से, कार्यवाही खत्म होने तक हम ऐसा कोई उपाय नहीं कर पाएंगे। भले ही हम एक-एक कर ये कदम उठाएँ लेकिन हमें उन्हें एक बार में एक साथ जोड़ना है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने 27 दिसम्बर, 2022 को 126 विधानसभा एवं 14 लोकसभा संसदीय सीटों के निर्वाचन क्षेत्र को पुन: परिसीमन करने के लिए कहा था। साथ ही 1 जनवरी, 2023 को नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर रोक भी लगा दी थी। इसलिए राज्य सरकार ने अपना फैसला 31 दिसम्बर, 2022 को ही ले लिया था।
उस समय भी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि इस फैसले की जरूरत थी, मंत्रिमंडल के सहयोगियों द्वारा इन क्षेत्रों का दौरा कर स्टेकहोल्डर्स से बात की जाएगी। उन्हें उम्मीद है कि जनता उनके विचार को समझेगी और सहयोग करेगी।
वहीं, दूसरी ओर प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन ULFA-I के साथ बातचीत के संबंध में सरमा ने कहा कि जब तक संप्रभुता है, वे उनके साथ बातचीत नहीं कर सकते। असम के लोगों को राज्य सरकार के साथ-साथ ULFA का रास्ता निकालना होगा ताकि सरकार और ये संगठन दोनों गतिरोध से बाहर आ सके क्योंकि असम का चहुँमुखी विकास सर्वोपरि है।