रेवड़ियों का वादा करके सत्ता में आई कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार जनता के पैसे की बर्बादी के नए आयाम बना रही है। बीते दिनों कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि कर्नाटक में विकास के कामों के लिए कोई भी पैसा नहीं दिया जाएगा क्योंकि उन्हें अब चुनाव में की गई ‘गारंटी’ पूरी करनी हैं।
अब वही कर्नाटक के बेंगलुरु में नगर निगम सरकार भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की तांबे की प्रतिमा लगाने के लिए अखबारों में निविदाएं निकाल रहा है। यह स्थिति तब है जब पहले से ही वहां पर राजीव गांधी की पत्थर की प्रतिमा लगी हुई है। इस कदम को लेकर अब पार्टी के भीतर से भी प्रश्न उठ रहे हैं। समाचार वेबसाइट आईएएनएस ने यह जानकारी दी है।
गौरतलब है कि बीते दिनों कॉन्ग्रेस सरकार में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि विधायकों को अपने क्षेत्रों के लिए कोई भी फंड नहीं मांगने चाहिए क्योंकि अभी सारा पैसा हम अपनी गारंटियों को पूरा करने में लगाएंगे। राज्य सरकार गारंटी पूरी करने के लिए अब कर्नाटक के विकास को भी पीछे कर रही है।
विकास के कामों को बंद करने के बाद अब कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार की दृष्टि अनुसूचित जाति/जनजाति के कल्याण के लिए उपयोग किए जाने वाले फंड पर पड़ गई है। कॉन्ग्रेस सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए अब इस फंड से 11,000 करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है।
एक अनुमान के अनुसार, कॉन्ग्रेस द्वारा दी गई पांच गारंटियों का बोझ हर साल लगभग 52,000 करोड़ रुपए होगा। इन गारंटियों का फंड जुटाने के लिए सरकार अब विकास के कामों सहित बाकी कल्याणकारी कामों को भी बंद करने पर तुली हुई है। गौरतलब है कि हाल ही में कर्नाटक सरकार अपना चावल देने का वादा नहीं पूरा कर पाई थी क्योंकि देश भर में चावल की कीमतें बढ़ गई थी और वह चावल खरीद नहीं पाई थी।
कर्नाटक सरकार का वर्ष 2023-24 का बजट कुल 3.24 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें से सरकार का लगभग 60,000 करोड़ का खर्चा मात्र पेंशन और कर्जों के ब्याज के भुगतान में होगा। इसके अतिरिक्त भी सरकार को तनख्वाह समेत शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य खर्चे करने हैं।
कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के अनुसार, वह इस वर्ष लगभग 66,000 करोड़ रुपए बाहर से उधार लेगी जिससे राज्य के खर्चे पूरे किए जा सकें। इन सभी परिस्थितियों में भी कॉन्ग्रेस लगातार ऐसे खर्चे कर रही है जिनकी आवश्यकता नहीं जबकि विकास के कामों के लिए दिया जाने वाला बजट घटा रही है।
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