दिल्ली के प्रदूषण ने एक बार फिर पराली जलाने के मुद्दे को चर्चा में ला दिया है। पराली के धुएं से आई हवा की गुणवत्ता में कमी पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई पहल पर जोर दिया है।
गडकरी ने उम्मीद जताई है कि जैसे-जैसे पराली का मूल्य बढ़ेगा, इसके उपयोग के लिए एक मजबूत बाजार स्थापित किया जाएगा। इससे अंततः इस समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। इसकी व्याख्या करते हुए केंद्रीय मत्री ने जानकारी दी है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पराली से बिटुमेन, बायो-सीएनजी, एलएनजी का निर्माण किया जा रहा है। सरकार पराली के लिए एक अच्छा बाजार बनाने का प्रयास कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गडकरी ने पराली से बिटुमेन, बायो सीएनजी, एलएनजी बनाने की बात कही है। यहां तक कि सीएनजी, एलएनजी बनाने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में 185 परियोजनाएं शुरू हो गई हैं। साथ ही पराली से पानीपत में इथेनॉल, बायो बिटुमेन और विमानन ईंधन बनाया जा रहा है। सरकार इनमें तेजी लाने के लिए काम कर रही है।
गडकरी का कहना है कि वो जब पंजाब में थे तो उन्होंने वहां सुझाव दिया था कि एक नीति बनाई जानी चाहिए और पराली से संपदा में बदलने के लिए किसानों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि ऐसी नीति समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने में फायदेमंद साबित होगी।
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी गई एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन समिति ने पंजाब राज्य सरकार और इसकी प्रशासनिक एजेंसियों को वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय कमी लाने के लिए पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने की दिशा में तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।
साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में पराली जलाने से उत्पन्न धुएं के कारण होता है। इसी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों में किसानों और सरकारों को पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया है।
वर्तमान स्थिति की बात करें दिल्ली की हवा की गुणवत्ता अभी भी ‘गंभीर’ श्रेणी के करीब है। जहां सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 तक पहुंच गया था। वहीं, 24 घंटे का औसत एक्यूआई मंगलवार को 397, सोमवार को 358 और रविवार को 218 रहा है।
हालांकि दिवाली से पहले हुई बारिश के कारण पराली जलाने की घटनाओं से थोड़ी राहत मिलने के बावजूद, दिवाली के बाद पराली जलाने के मामलों में वृद्धि हुई है। जहां पिछले दो दिनों में पंजाब में इस प्रकार की 2,600 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं।
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