भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी एनडीए की सरकार को 9 वर्ष पूरे हो गए हैं। 2024 में मोदी सरकार 10 वर्ष पूरे करने के साथ अपने तीसरे कार्यकाल के लिए जनता के समक्ष होगी। 9 वर्षों के सफर पर विपक्षी दल सवाल कर रहे हैं तो सत्ता पक्ष उपलब्धियां गिना रहा है। पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्योप के दौर तो चलते ही रहेंगे। इन सब के बीच जिसे सुनना और समझना आश्यक है वो हैं लोकतंत्र को बनाए रखने वाले ‘लोक’ यानि जनता। शासन की सफलता एवं विफलता जनता पर ही निर्भर करती है। 9 वर्ष पूर्व जिस परिवर्तन के लिए जनता ने सत्ता परिवर्तन किया था उससे जनता को क्या मिला है यह देखना आश्यक है।
मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ सत्ता में आई और इसी तर्ज पर योजनाओं का निर्माण कर हर वर्ग को सरकार के साथ जोड़ लिया। सरकार ने योजनाएं बनाई, लागू की पर इनसे महत्वपूर्ण घोषणा की कि जिस योजना का शिलान्यास हम करते हैं उसका लोकर्पण भी हम ही करते हैं। यह ऐसी बात है जिसकी आदत देश को नहीं थी लेकिन जनता द्वारा पिछले 9 वर्षों में यही देखा गया है। जनकल्याण और विकास के लिए लागू की गई सभी योजनाओं की शुरुआत करने के साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार ने उनको पूरा कर देश को समर्पित किया। इसका अर्थ जुमलों की सरकार के नरैटिव को बड़े शोर से ध्वस्त करते हुए सरकार ने योजनाओं को समय पर पूरा किया, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी पर गहरी चोट की एवं विकास की गति को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया।
भाजपा सरकार की योजनाओं से अधिक उनके कार्यान्वयन ने जनता को सुशासन के नए मॉडल पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया है। सत्ता में आने के साथ ही सरकार ने सर्वप्रथम JAM ट्रिनिटी को सामने रखा। इसने सामाजिक ढ़ांचे में क्रांतिकारी बदलाव किया और सरकार की आगामी सभी योजनाओं के कार्यान्वयन को सफलता लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि सरकार 1 रुपया भेजती है, लोगों तक 15 पैसे पहुंचते हैं। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार ग्रासरूट स्तर तक पांव फैलाए हुए है। मोदी सरकार द्वारा सभी योजनाओं में JAM ट्रिनिटी को लागू करके राजीव गांधी द्वारा उठाई गई समस्या को दूर कर दिया है। अब इसके माध्यम से जो हल निकला है उसका फायदा समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुँच रहा है। किसान सम्मान निधि, उज्जवला योजना, फसल बीमा योजना, आयुष्मान योजना, प्रधान मंत्री स्वनिधि योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य योजनाओं के लाभ के लिए आवेदन करने पर जनता यह विश्वास कर पा रही है उनके हिस्से के लाभ में कोई भ्रष्टाचार होने की संभावना नहीं है।
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केंद्र सरकार की 9 वर्षों की उपलब्धियों में एक उपलब्धि लालफिताशाही और अफसरशाही के उन्मूलन को माना जा सकता है। जनता अब यह स्वीकार कर पा रही है कि उनके कार्यों के लिए अफसरों पर उनकी निर्भरता घटी है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम द्वारा इस दिशा में जो प्रयास है उसका असर तो उल्लेखनीय है ही, साथ ही सिंगल विंडो सिस्टम, ऑनलाइन पोर्टल और सरकारी महकमों को एक क्लिक पर जनता तक पहुँचाकर जनता के हाथ में सुशासन का रिमोट थमाया गया है।
भाजपा सरकार की सभी योजनाओं में इंटरनेट या डिजिटल क्रांति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तकनीक और शासन के गठजोड़ ने लोककल्याण की योजनाओं की सफलता सुनिश्चित की है और इसका फायदा भी लोक को ही मिल रहा है। यूपीआई सरकार की सफलतम योजनाओं में से एक रही जिसने देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को असाधारण रूप से बढ़ा दिया है। यूपीआई को लेकर विपक्षी पार्टियों के पूर्वाग्रह की किस तरह आम भारतीय इसे इस्तेमाल करेगा को लोक रिकॉर्ड स्तर पर जवाब दिया है। यूपीआई ट्रांजैक्शन का वित्त वर्ष 2017 में 1.8 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 8,375 करोड़ हो जाना इसकी सफलता और लोगों के लाभ को दर्शा रहा है।
ट्रिनिटी पर चर्चा हो रही है तो इसे जारी रखते हुए डिजिटल इंडिया-यूपीआई-जनधन योजना की बात करते हैं जिसने ऐसा सफल सामंजस्य पेश किया जिससे आज जनता को अपने आर्थिक अधिकारों के लिए लालफीताशाही से गुजरने की आवश्यकता नहीं है। योजना की घोषणा के साथ ही अंतिम व्यक्ति तक उसका लाभ पहुँचना सुनिश्चित हो गया है।
नए शासन मॉडल में जनता ने देखा है कि किस प्रकार सरकार की योजनाएं क्रमवार तरीके से उन तक लाभ पहुँचा रही है। सरकार ने प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेश किया है। नए एम्स, एमबीए महाविद्यालयों के साथ छात्रवृतियों की संख्या बढ़ाई है। इस विकास में नॉर्थ-ईस्ट को शामिल करना भी मोदी सरकार का सफलतम कदम कहा जा सकता है। शिक्षा पूर्ण होने पर सरकार के पास युवाओं के लिए स्टार्ट-अप इंडिया, मुद्रा योजना, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं हैं जिसने युवा वर्ग में नौकरी ही नहीं व्यापार स्थापित करने की मानसिकता का विकास किया है।
मानसिकता का विकास महत्वपूर्ण है। यही मोदी सरकार की उपलब्धि भी कही जा सकती है। योजनाओं की सूची लंबी है पर इससे महत्वपूर्ण विकास जनता की मानसिकता में हुआ है। लोकतांत्रित रूप से चुनी हुई सरकार जिन मूल्यों पर काम करती है वही जनता का उसमें विश्वास तय करता है। पिछले 9 वर्षों में जिस शासन मॉडल को लोक ने देखा है वे उससे लोकतंत्र को मजबूत होता देख रहे हैं। वे अपनी राष्ट्रनिर्माण में किसी चमत्कारिक नेता की नई स्वयं की भागीदारी पर विश्वास कर रहे हैं।
मानसिकता में बदलाव ही देश को गुलामी या औपनिवेशिक सोच से आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहा है। जनता इसे साकार कर भी रही है और संभव होते देख भी रही है। लोकतंत्र की इस नई तस्वीर में लोक ने भारतीयता के पुनरुत्थान को देखा है। ब्रिटिश शासन के दौरान प्रतिबंधित साहित्यिक कार्यों का पुनरुद्धार किया जाना, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के जरिए भारतीय युद्ध सैनिकों का सम्मान देना तो मात्र शुरुआत रही। जनता ने प्रतीक चिह्नों से लेकर औपनिवेशिक नियमों में बदलाव को स्वीकार कर दर्शाया है कि वे विकास के पथ पर पूर्ण भारतीयता के साथ ही बढ़ने को तैयार हैं।
भाजपा सरकार के यह 9 वर्ष लोकतंत्र एवं मानसिकता में आए बदलाव के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। देश के विकास तंत्र का हिस्सा बनकर आज लोक इसका श्रेय सरकार को दे रहे हैं और सरकार इसका श्रेय 140 करोड़ देशवासियों को।
स्वभाविक रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पास जनता को रिपोर्टकार्ड में दिखाने के लिए योजनाओं की लंबी फेहरिस्त होगी। हालांकि शासन की सफलता में योगदान का एक अंश योजना से नहीं बल्कि जनता का उस योजना में विश्वास से भी आता है। विपक्ष को निराश करते हुए लोक का शासन तंत्र में यह विश्वास मजबूत करने में सरकार सफल रही है। इसका फायदा अगर सरकार को आगामी चुनावों में मिलता है तो विपक्षी दलों को नीतियों में बदलाव के साथ ही यह स्वीकार कर लेना होगा कि करम प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करइ सो तस फल चाखा।