अमेरिका में सब कुछ ठीक नहीं है। जब से एलोन मस्क ने ट्विटर ख़रीदा तभी से अमेरिका में हर क़िस्म की उठापठक चल रही है। कहीं ‘ट्विटर फ़ाइल्स’ सामने आ रही हैं तो कहीं बायडेन सरकार बास्केटबॉल खिलाड़ी के बदले रूस से एक खतरनाक हथियार सौदागर का सौदा कर रही है।
ये इतने बड़े विषय हैं कि बड़े मुद्दे तो वहां की मीडिया को प्रसारित अवश्य करना चाहिए लेकिन अफ़सोस कि ऐसा हो नहीं रहा क्योंकि मीडिया धरने पर बैठ गई है। कारण ये है कि अमेरिका के एक नामी मीडिया संस्थान के कर्मचारियों ने हड़ताल की घोषणा की है।
आप चाहें तो कह सकते हैं कि बड़े बड़े देशों के साथ अक्सर ऐसा होता रहता है लेकिन यह इतनी सामान्य सी बात नहीं है। चाहे बात एनडीटीवी की हो या फिर न्यूयॉर्क टाइम की, ‘वोक्स’ बहुत ही ख़राब दौर में जी रहे हैं। सारे दुनिया की सरदर्दी को अपना निजी सरदर्द मानने वाले न्यूयॉर्क टाइम में बग़ावत हो चुकी है और वो भी पैसे को ले कर, अच्छे वर्कप्लेस को ले कर, और तो और ‘वर्क फ्रॉम होम’ की माँग को ले कर भी।
भारत की लगभग हर गतिविधि में अपनी टाँग अड़ाने वाले न्यूयॉर्क टाइम्स की इस हड़ताल पर कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि न्यूयॉर्क टाइम्स के स्टाफ़ के हड़ताल पर जाने से फ़ेक न्यूज़ के बाज़ार में 99% तक गिरावट दर्ज की गई है। फॉक्स न्यूज़ न्यूयॉर्क टाइम्स के स्टाफ़ से बातचीत कर रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स का स्टाफ़ कई क़िस्म की शिकायतें सामने रख रहा है
अमेरिका के नामी अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ को 1970 के दशक के बाद, पहली बार अब अपने काम में आ रही बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। तब प्रेस वालों और अन्य स्टाफ़ की हड़ताल 88 दिनों तक चली थी, लेकिन इसके बाद से कभी भी किसी विरोध या वॉकआउट ने NYT के प्रकाशन को नहीं रोका।
New York Times workers stage first strike in 40 years
इसी सप्ताह ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में 24 घंटे की ऐतिहासिक हड़ताल की घोषणा हुई। ऐसी हड़ताल जिसमें 1,100 से अधिक स्टाफ़ शामिल हैं। मैनेजमेंट और स्टाफ़ का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन द्वारा एक नए कॉंट्रैक्ट को ले कर कुछ सहमति नहीं बन पाई हैं जिसके बाद यूनियन ने इस हड़ताल का फ़ैसला लिया है।
टाइम्स के मिडटाउन मैनहट्टन मुख्यालय के 40वें स्ट्रीट प्रवेश द्वार के ठीक बाहर एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। गिल्ड के सदस्यों ने एकजुटता दर्शाने के लिए लाल रंग का लिबास पहना। इन लोगों के हाथों में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स वॉक्स आउट’ की तख़्तियाँ और बैनर थे।
गिल्ड ने संदेश जारी कर साफ़ साफ़ लिखा है कि अख़बार ने उनकी मेहनत से मुनाफ़ा कमाया तो फिर वो स्टाफ़ के साथ उसे क्यों नहीं बाँटना चाहता। उनका कहना है कि वो कोविड महामारी के दौरान भी न्यूयॉर्क टाइम्स का साथ देते रहे। गिल्ड ने यहाँ तक लिखा कि अगर आप ‘बृहस्पतिवार और शुक्रवार’ को हमारे नाम से स्टोरी देखें तो हैरान होने की ज़रूरत नहीं है, अक्सर कंपनी हमसे एडवांस में यह सब लिखा कर रखती है।
ये हड़ताल इस वजह से भी ख़ास है क्योंकि 40 से अधिक सालों में देश के प्रमुख समाचार पत्र में पत्रकारों के नेतृत्व वाला यह सबसे बड़ा श्रमिक प्रदर्शन है। न्यूयॉर्क टाइम्स गिल्ड की 24 घंटे की हड़ताल से इस नए कॉंट्रैक्ट की प्रक्रिया में चल रही धीमी रफ़्तार के सिलसिले में लेखक, संपादक, सिक्योरिटी गार्ड्स और अन्य कर्मचारियों की बढ़ती निराशा को सामने रखा है। ये भी बताया जा रहा है कि स्टाफ़ वेतन में पर्याप्त वृद्धि व कुछ अन्य लाभ के साथ-साथ काम करने में नरमी (यानी वर्क फ्रॉम होम जैसी आजादी) चाहते हैं, जिसे लेकर ही यह हड़ताल है।
‘न्यूजगिल्ड ऑफ न्यूयॉर्क’ का कहना है कि पिछला कॉंट्रैक्ट मार्च 2021 में समाप्त हो गया था जिसके बाद से हो रही बार्गेनिंग से वे तंग आ चुके हैं। अब इस सप्ताह गिल्ड लीडर्स ने कहा कि कंपनी यानी न्यूयॉर्क टाइम्स की घटती गुडविल, श्रमिकों के साथ वाजिब कॉंट्रैक्ट ना करना कुछ ऐसे कारण हैं जिन्होंने उन्हें प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया।
गिल्ड के सदस्य माइकल पॉवेल जो न्यूयॉर्क टाइम्स के राष्ट्रीय डेस्क के लिए फ्री स्पीच मामलों को कवर करते हैं, उनका कहना है कि बढ़ती हुई महंगाई में उनकी सेलरी हर साल घटाई जा रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की ही एक पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता खोजी पत्रकार निकोल जॉन्स का कहना है कि वो क्रोधित नही हैं लेकिन निराश हैं। ऐसे ही अन्य स्टाफ़ का कहना है कि न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी जगह पर काम करने के लिए आर्थिक रूप से संघर्ष नहीं करना चाहिए कंपनी जब अच्छा कमाती है तब भी यह स्टाफ़ उनके साथ था तो फिर आज क्यों नहीं।
टाइम्स में पत्रकारों और अन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘द न्यूजगिल्ड ऑफ़ न्यूयॉर्क’ ने अपने पाठकों को लिखे एक पत्र में कहा है कि ‘हम समाचार पत्र की सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन आज दशकों में पहली बार हम उस मिशन को एक अलग तरीके से पूरा कर रहे हैं’।
मंगलवार (दिसंबर 6, 2022) देर रात 12 घंटे से अधिक समय तक चली दोनों पक्षों के बीच बातचीत बुधवार रात तक जारी रही, लेकिन यह बेनतीजा रही और उसके बाद से कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। कंपनी ने कहा कि वह इस फैसले से निराश है, लेकिन वह अपने पाठकों को बिना किसी व्यवधान के सेवा देना जारी रखेंगे।
द टाइम्स के एक अधिकारी ने सीएनएन से बातचीत में यह स्वीकार किया है कि लाखों पाठकों पर निर्भर इस अख़बार में हड़ताल निश्चित रूप से उनके लिए मुश्किलें पैदा करेगी। हालाँकि मैनेजमेंट का कहना है कि वो कुछ समय के लिये काम को आउटसोर्स कर सकते हैं और उन लोगों की मदद ले सकते हैं जो अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी इस संघ का हिस्सा नहीं हैं।
न्यूज गिल्ड ऑफ न्यू यॉर्क के अध्यक्ष सूजन डिकारवा का कहना है कि मैनेजमेंट चाहता है कि वो बंद कमरों में बातचीत करें लेकिन उनका कहना है कि यूनियन इस लोकतंत्र संघ शक्ति के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए वो बंद कमरे में बातचीत नहीं करेंगे।
बताया जा रहा है कि ये हड़ताल ऐसे समय पर सामने आई है जब अमेरिका के मीडिया उद्योग में छंटनी और कटौती चल रही है। हाल ही के सप्ताहों में, सीएनएन ने सैकड़ों कर्मचारियों को निकाला, समाचार पत्र गनेट ने 200 नौकरियों में कटौती की।
इसी कड़ी में पिट्सबर्ग पोस्ट और फोर्टवर्थ स्टार जैसे कुछ मीडिया संस्थान के स्टाफ़ बेहतर सेलरी की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहें हैं।