कल बुधवार (23 अगस्त, 2023) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO ) के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया। इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देशभर में खुशियां मनाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस लैंडिंग को नए भारत का क्षण बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि अब सूर्य और शुक्र से जुड़े मिशन की बारी है।
भारत की इस उपलब्धि पर कई वैश्विक नेताओं ने भारत को शुभकामनाएं दीं। इसी बीच अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ का विवादास्पद कार्टून सामने आया। जिस पर भारतवासियों ने इस न्यूज़ एजेंसी को जमकर लताड़ तो लगाई ही साथ ही भारत की सफलता का अच्छा ख़ासा पाठ भी पढ़ाया।
यह आवश्यक भी था क्योंकि भारत अपने परिवर्तन के बेहद अहम दौर से गुजर रहा है। जिस देश में हर घर, हर गाँव पानी, शौचालय और बिजली पहुँचने में आज़ादी के बाद ७५ वर्ष लगे, वो आज चंद्रमा की ज़मीन पर अपने उपग्रह का साक्षी बन रहा है। इस पल का गवाह प्रत्येक भारतवासी बना। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि यह पल भारत की औपनिवेशिक दासता से मुक्ति के संकल्प के बीच हमें मिला है। इस पल की अहमियत हर वो भारतवासी जानता है जिसने पश्चिम की भारतवासियों के प्रति नस्लीय घृणा एवं अभिजात्यता को परखा है।
क्या है मामला
दरअसल, वर्ष 2014 में भारत के मंगलयान ने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था जो पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में अपना यान भेजने में कामयाब रहा।
इस पर अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक कार्टून छापा जिसमें दिखाया गया था कि एक किसान, बैल को लेकर मंगल ग्रह पर पहुंचकर दरवाज़ा खटखटा रहा है और अंदर तीन-चार विकसित, पश्चिमी देशों के ‘सभ्रांत’ बैठे हुए हैं और इसके दरवाज़े पर लिखा हुआ है ‘एलीट स्पेस क्लब’। यानी कुल मिलाकर भारत को गरीब, पिछड़ा देश बताकर हमारी खिल्ली उड़ाई जा रही थी।
अब चंद्रयान 3 की सफलता के बाद यह कार्टून फिर सामने आया है लेकिन इस बार भारतवासियों ने इसका इस्तेमाल ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ को आईना दिखाने हेतु किया है।
सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ (ट्विटर) पर यूजर्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स को टैग कर सवाल पूछा है कि अब उनका क्या कहना है?
ज्ञात हो कि ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ हो या ‘वाशिंगटन पोस्ट’, अमेरिका के ये प्रमुख समाचार पत्र अधिकतर भारत-विरोधी एजेंडा रखने के लिए ही जाने जाते हैं।
वर्ष 2014 के बाद समय समय पर दोनों अख़बारों में ऐसे कॉलम्स छपते ही रहते हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ़ भारत की छवि पर हमला करना होता है। ऐसे में इस बार चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स एवं अन्य भारत-विरोधी संस्थानों को भारत की बढ़ती शक्ति का अंदाज़ा स्वयं ही हो गया होगा। इस बात की पुष्टि दुनिया के सभी बड़े राष्ट्रप्रमुखों द्वारा दिए गए बधाई सन्देश करते हैं।