20 नवम्बर को नेपाल में हुए संघीय और प्रांतीय चुनावों की मतगणना 6 दिन बाद अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (एफपीटीपी) वोटों की गिनती से निकले चुनाव परिणाम की तस्वीरें लगभग स्पष्ट हो चुकी हैं।
यह लिखे जाने तक (सुबह 10 बजे), 165 एफपीटीपी सीटों में से 156 सीटों पर चुनाव परिणामों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है जबकि 6 सीटों पर मतगणना जारी है और 3 निर्वाचन क्षेत्रों की मतगणना अभी तक शुरू नहीं हुई है।
नेपाल में संसद की 275 सीटों में 165 सदस्य एफपीटीपी के तहत चुने जाते हैं जबकि 110 सांसद आनुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत चुने जाते हैं। चुनाव आयोग के प्रवक्ता शालिकग्राम शर्मा के अनुसार, “हम तीन निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर दो-तीन दिनों में एफपीटीपी वोटों की गिनती पूरी कर लेंगे।”
प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कॉन्ग्रेस प्रतिनिधि सभा (संसद) में 53 सीटों पर जीत और 3 सीटों की बढ़त के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल 41 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है और 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं।
नेपाली कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे पुष्प कमल दहल की पार्टी सीपीएन (माओवादी) ने भी 17 सीटों पर जीत दर्ज़ की है। अभी तक आए परिणामों को देखें तो सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दोनों ही गठबंधन 138 सीटों के बहुमत के आँकड़े को छूते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
चुनाव परिणामों की स्थिति स्पष्ट होते ही सबसे बड़े दल कॉन्ग्रेस और दूसरे नंबर पर रहे सीपीएन-यूएमएल, दोनों मुख्य दलों ने अपने-अपने सहयोगी दलों के गठबंधन के साथ सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सीपीएन (माओवादी) प्रमुख पुष्प कमल दहल ने मुलाकात की और अपने मौजूदा गठबंधन को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री के सहयोगी भानु देउबा ने कहा कि प्रधानमंत्री देउबा और दहल दोनों चार दलों- कॉन्ग्रेस, माओवादी, सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय जनमोर्चा के चुनावी गठबंधन को निरंतरता देने पर सहमत हुए हैं।
सीपीएन-यूएमएल ने भी सरकार गठन के लिए अपने प्रयास शुरू किए हैं।पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने दहल को गोरखा-2 में जीत की बधाई देते हुए भविष्य में साथ काम करने की पेशकश की।
ज्ञात हो कि सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली भी प्रारंभिक मतगणना के परिणामों के तुरंत बाद दहल सहित विभिन्न दलों के नेताओं के पास पहुंचे थे। दरअसल, ओली यह मानकर चल रहे थे कि उनका दल दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरेगा और किसी भी दल को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं होगा।
सीपीएन-यूएमएल के उप महासचिव बिष्णु रिमल ने कहा, “हमारी स्थिति स्पष्ट है। देश की स्थिरता के लिए और राजनैतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए और यूएमएल को एक साथ आना चाहिए लेकिन अगर कॉन्ग्रेस ऐसा नहीं चाहती है और वह अपने मौजूदा गठबंधन के साथ ही सरकार बनाती है तो हमारे लिए सरकार में शामिल होना जरूरी नहीं है। सीपीएन-यूएमएल कॉन्ग्रेस की सरकार को अगले पाँच वर्ष के लिए बाहर से समर्थन दे सकती है।”
प्रचंड का दल सीपीएन माओवादी चुनाव परिणामों से नाखुश है। बावजूद इसके, इन परिणामों के बाद नेपाल सरकार में पुष्प कमल दहल प्रचंड किंगमेकर हो सकते हैं। कॉन्ग्रेस-माओवादी गठबंधन इस बार दो अलग-अलग विचारधाराओं का गठबंधन है। 2017 में, माओवादियों और यूएमएल ने गठबंधन के तहत चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया था।
पिछले कार्यकाल में, ओली की यूएमएल 98 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। जबकि, देउबा की नेपाली कॉन्ग्रेस के पास केवल 61 सीटें थीं। इसके बाद प्रचंड की माओवादी पार्टी की 53 सीटें थीं।
चुनाव आयोग द्वारा अंतिम परिणाम राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को अवगत कराए जाने के बाद ही सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। भारत की तरह ही नेपाल के संविधान के अनुसार, संसद में सबसे बड़े दल के नेता को प्रधानमंत्री चुना जाता है।
किसी भी दल को बहुमत न होने की स्थिति में राष्ट्रपति सदन के ऐसे सदस्य की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति करता है जो दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से बहुमत हासिल कर सकता है।