गुरुवार को दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में भाषण देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि वर्ष 2024 से जेपी मॉर्गन के इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत को शामिल करने से देश में संभावित 23 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1 लाख 84 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक विदेशी निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। उन्होंने एनडीए सरकार द्वारा किए गए नीतिगत आर्थिक सुधारों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण देश की आर्थिक वृद्धि को बल मिला है।
कुछ समय पहले ही जारी एक बयान के मुताबिक, जेपी मॉर्गन ने जून 2024 से अपने व्यापक रूप से ट्रैक किए जाने वाले GBI-EM बॉन्ड इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल करने की योजना की घोषणा की थी। इस समावेशन पर कई वर्षों से काम चल रहा था। इससे देश के ऋण बाजारों में अरबों डॉलर की स्थिर विदेशी पूंजी के आकर्षित होने की उम्मीद है।
जेपी मॉर्गन का आकलन है कि 330 अरब डॉलर यानी 26 लाख 40 हजार करोड़ रुपए मूल्य के 23 भारतीय बांड जोड़े जाने के लिए उपयुक्त हैं। ये बांड विदेशी निवेशकों द्वारा पूरी तरह से खरीदे जा सकते हैं। समय के साथ जेपी मॉर्गन के इस इंडेक्स में भारत का वेटेज 10% की अधिकतम सीमा तक पहुंचने की उम्मीद है। वर्तमान में विदेशी निवेशकों के पास कुल भारतीय सरकारी ऋण का केवल 2% हिस्सा है। जेपी मॉर्गन का निर्णय अन्य प्रमुख सूचकांक प्रदाताओं को भी भारतीय बांड शामिल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
इससे भारत की उधार लेने की लागत कम करने और उच्च राजकोषीय घाटे से सरकारी वित्त पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बॉन्ड यील्ड में तेजी से गिरावट आ सकती है, जिससे कॉरपोरेट बॉन्ड जारीकर्ताओं को फायदा होगा। हालाँकि, यह भारत को वैश्विक बाज़ार की अस्थिरता के प्रति अधिक उजागर करता है।
वित्त मंत्री की यह बातें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की एक टिप्पणी के जवाब में आयी है। रमेश ने कहा था कि भारत का 2024-2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना निश्चित और अपरिहार्य है, भले ही 2024 में अगला आम चुनाव कोई भी पार्टी जीतती हो।
उन्होंने यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए दिया था कि अगर बीजेपी- एनडीए के नेतृत्व में फिर से निर्वाचित होने पर, वह सुनिश्चित करेंगे कि भारत वर्ष 2024 से 2029 के बीच अपने संभावित तीसरे कार्यकाल के दौरान विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा। हालांकि, वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च वृद्धि सुधारों की निरंतरता और नीति स्थिरता पर निर्भर करती है। देश की आर्थिक क्षमता को साकार करने के लिए यह एक स्वचालित परिणाम है।
वित्त मंत्री सीतारमन जी ने मुद्रास्फीति जैसी व्यापक चुनौतियों पर प्रकाश डाला और नीति स्थिरता तथा सुधारों की निरंतरता की आवश्यकता पर बल दिया। 2023-24 में भारत की 6.1% की वृद्धि किसी गारंटी पर नहीं बल्कि मेहनत पर निर्भर करती है।
हालांकि इंडेक्स फंड से ऐसे निष्क्रिय निवेश पूंजी का एक स्थिर प्रवाह प्रदान करेंगे, वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के बांड बाजार के स्थिर विकास को सुनिश्चित करने और आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए निरंतर नीतिगत स्थिरता महत्वपूर्ण है। केवल अच्छे प्रशासन और सुधारों पर ध्यान केंद्रित करके ही भारत चुनौतियों पर काबू पा सकता है और उच्च आय वाला राष्ट्र बनने के लिए अपने डेमोग्राफी डिविडेंड का पूरा लाभ उठा सकता है। निवेशकों का सतत विश्वास स्थिरता और दूरदर्शिता पर निर्भर करता है, न कि अल्पकालिक लाभ पर।
अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 77 वे स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए जो गारंटी के साथ कही थी कि वर्ष 2028 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, कहीं न कहीं साकार होते दिख रहा है।