राजस्थान सरकार ने शुक्रवार (जुलाई 21, 2023) को अपने राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को बर्खास्त कर दिया। गवर्नर हाउस के मुताबिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री को हटाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से सिफारिश की थी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कार्यवाही गुढ़ा द्वारा विधानसभा में प्रदेश में महिला सुरक्षा पर सरकार को घेरने के लिए की है।
बर्खास्त होने के बाद भी राजेंद्र सिंह गुढ़ा अपने बयान पर कायम हैं और उनका कहना है कि उन्हें सच बोलने की सजा मिली है। बर्खास्त मंत्री ने बताया कि; मैं हमेशा सच बोलता हूँ। मैं वही हूं। मैं अपने विवेक की आवाज सुनता हूं। मुझे सच बोलने की सजा मिली है।
शुक्रवार को विधानसभा में राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने अपनी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाओं को लेकर बयान दिया था। विधानसभा में बोलते हुए कांग्रेस नेता गुढ़ा ने कहा था कि यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा में विफल रही है। यह सच है और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए कि हम महिला सुरक्षा में विफल रहे हैं। गुढ़ा ने कहा मणिपुर के बजाय हमें अपने अंदर झांकना चाहिए कि राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़े हैं।
गौरतलब है कि मणिपुर की स्थिति का राजनीतिकरण करके कांग्रेस राजस्थान की स्थिति छुपाने का प्रयास कर रही है। जबकि हाल ही में रेप और हत्या की घटनाओं ने राजस्थान की खबरों में जगह बनाई है। राजस्थान में लगातार सामने आ रही दुष्कर्म घटनाओं को लेकर जब गुढ़ा द्वारा सरकार से सवाल किया गया तो अशोक गहलोत ने अपने मंत्री को ही बर्खास्त कर दिया।
गहलोत सरकार गुढ़ा पर बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रही है। बीजेपी और गुढ़ा का पेंच जोड़ना राजस्थान सरकार का सियासी दांव ही कहा जाएगा क्योंकि बर्खास्त मंत्री द्वारा सीधे-सीधे सरकार पर कानून व्यवस्था और महिला उत्पीड़न को लेकर सवाल उठाए गए हैं। अगर गुढ़ा के बयान में तथ्यात्मक कमी थी तो गहलोत सरकार को आंकड़े पेश करना चाहिए था। आंकड़े पेश नहीं करके मंत्री को बर्खास्त करना दर्शा रहा है कि गहलोत सरकार राजस्थान की बिगड़ी कानून व्यवस्था को सुधारने नहीं बल्कि उसे दबाने के लिए प्रयासरत हैं।
गुढ़ा का बयान दलगत राजनीति से प्रेरित भी माना जाए तो क्या वे गलत तथ्य पेश कर रहे हैं? इसका जवाब एनसीआरबी के आंकड़ों से मिल सकता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट का संज्ञान लें तो राजेंद्र गुढ़ा की बात गलत नजर नहीं आती है। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में महिला उत्पीड़ के 40,738 मामले सामने आए थे। वहीं प्रदेश में 2020 की तुलना में 19 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 2021 में देश में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे। 2021 में देश भर में दर्ज किए गए कुल 31,677 बलात्कार के मामलों में से 6,337 केस राजस्थान के ही थे।
इन 6,337 बलात्कार मामलों में से 4,885 मामलों में पीड़ित वयस्क और 1,452 मामलों में नाबालिग थे। बलात्कार पीड़ितों की अधिकतम संख्या 18-30 वर्ष आयु वर्ग की रही।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 की तुलना में 2021 रेप के मामलों में 19.34 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके पिछले आंकड़ों को देखें तो ग्राफ में लगातार बढ़ोतरी ही हुई है। राजस्थान में बलात्कार के मामलों की संख्या 2017 में 3,305 थे जो बढ़कर 2018 में 4,335, 2019 में 5,997 और 2020 में 5,310 हो गई।
महिलाओं के प्रति अत्याचार के मामले में राजस्थान के बाद महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल तीसरे और चौथे स्थान पर हैं।
अभी हाल ही में राजस्थान के करौली में एक दलित युवती की रेप के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसका शव एसिड से जलाकर कुंए में फेंक दिया गया था। वहीं जोधपुर में एक युवती के साथ गैंगरेप का मामला भी सामने आया था। फिलहाल स्थिति यह है कि राज्य सरकार महिला सुरक्षा की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। जो जननेता इसपर प्रश्न खड़ा करता है उसे विपक्ष का एजेंट बता दिया जाता है। कहने का अर्थ है सरकार राजनीतिक औऱ सामाजिक दोनों मोर्चों पर संघर्ष कर रही है।
एनसीआरबी के आंकड़ें दर्शा रहे हैं कि महिला सुरक्षा को राज्य सरकार ने इस विषय को कितनी गंभीरता से लिया है। इसपर भी जब सरकार के मंत्री विषय को उजागर करते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता है। संभव है कि राजस्थान में मोहब्बत की दुकान का सामान समाप्त हो गया है।
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