केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद द्वारा मार्च 23-26 में एक अध्ययन किया गया है, जो देश में शिक्षा के स्तर पर बड़े सवाल खड़े करता है। अध्ययन के मुताबिक, कक्षा 3 में पढ़ने वाले 37% बच्चों को गणित का सीमित ज्ञान है। जैसे कि सामान्य अंकों की पहचान न कर पाना, 11 प्रतिशत बच्चों में तो सामान्य शिक्षा और कौशल की भी कमी है।
2021 में भी ACER के सर्वे में भी लर्निंग लेवल का संकट सामने आया था। छोटी कक्षा के बच्चों को लिए मोदी सरकार ने वर्ष 2021 में निपुण भारत योजना का शुभारंभ किया था। हालाँकि, अब NCERT के यह आंकड़े जो तस्वीर पेश कर रहे हैं, वो निराशाजनक है।
शोध के आंकड़े
10,000 स्कूलों में 86,000 छात्र-छात्राओं पर बुनियादी स्तर पर किया गया यह सबसे बड़ा अध्ययन है। अध्ययन में स्टूडेंट्स की 20 भाषाओं के ज्ञान का भी परिक्षण किया गया, जिसमें अंग्रेजी भी शामिल है।
- 15 प्रतिशत बच्चों में अंग्रेजी में बुनियादी कौशल की कमी थी, वहीं 30 प्रतिशत में सीमित कौशल पाया गया है।
- गणित की क्षमताओं की बात करें तो, कक्षा 3 में पढ़ने वाले 37% बच्चों को गणित का सीमित ज्ञान है, वहीं 11 प्रतिशत बच्चों में तो सामान्य ज्ञान और कौशल की भी कमी है।
- 42 प्रतिशत बच्चों में संतोषजनक कौशल पाया गया है।
- अध्ययन में मात्र 10 प्रतिशत बच्चों में बेहतरीन शिक्षा और कौशल का स्तर पाया गया है।
प्रदर्शन के आधार पर बच्चों को 4 श्रेणियों में रखा गया है, जिनमें बुनियादी शिक्षा और कौशल की कमी है, जिनके पास सीमित शिक्षा और कौशल है, जिनमें संतोषजनक शिक्षा का स्तर, बेहतरीन ज्ञान और कौशल का स्तर है।
राज्यवार आंकड़े
देश स्तर पर यह आंकड़े चिंतिंत करने वाले हैं ऐसे में राज्यवार स्थिति का आकलन करें तो आंकड़े आंखे खोलने वाले हैं। अध्ययन में सामने आया है कि-
- गणित की परीक्षा में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत बच्चे बेसिक ग्रेड लेवल का काम नहीं कर पाए।
- तमिलनाडु के बाद, जम्मू कश्मीर (28 प्रतिशत), असम, छत्तीसगढ़, गुजरात (18 प्रतिशत) के साथ कोई प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।
परीक्षा में अंको की पहचान, बड़े अंको की पहचान, जोड़ना-घटाना, गुणा-भाग और आकृतियों की पहचान से संबंधित प्रश्न पूछे गए थे। जिन केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों में बच्चे सीमित शिक्षा के स्तर में 40 प्रतिशत के ऊपर आते हैं देश के मात्र 9 राज्य शामिल है।
इनमें, अरुणाचल प्रदेश (49 प्रतिशत), चंडीगढ़ (47 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (41 प्रतिशत), गोवा (50 प्रतिशत), गुजरात (44 प्रतिशत), हरियाणा (41 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (46 प्रतिशत), नागालैंड (56 प्रतिशत) और तमिलनाडु (48 प्रतिशत) हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अध्ययन को जरूरी बताते हुए कहा कि सामान्य अंकों की पहचान, लिखने का ज्ञान शिक्षा का आवश्यक आधार है और भविष्य की शिक्षा के स्तर के लिए सबसे पहली शर्त है।