सोमवार (19 दिसंबर,2022) को लोकसभा में केंद्र सरकार ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रमों में श्रीमद्भगवद्गीता को शामिल किया गया है। एक लिखित जवाब में सरकार ने सूचित किया कि छठी और सातवीं कक्षा की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में श्रीमद्भगवद्गीता के संदर्भ और ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की संस्कृत पाठ्यपुस्तकों में इसके श्लोकों को शामिल किया गया है।
शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने एक लिखित उत्तर में कहा कि मंत्रालय ने 2020 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद में भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग की स्थापना इंटर डिसिप्लिनरी और ट्रांस-डिसिप्लिनरी को बढ़ावा देने की दृष्टि से की थी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा को बेहतर करने के क्रम में यह फ़ैसला लिया है। अपने जवाब में राज्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए जमीनी स्तर से विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों सहित विभिन्न हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं।
पाठ्यक्रम में गीता को शामिल करने के पक्ष में कारण स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2022 पैरा 4.27 में भी भारत के पारंपरिक ज्ञान बढ़ावा देने का उल्लेख है, जो कि सभी के कल्याण के लिए प्रयास करने की बात करता है।
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केंद्रीय राज्य मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘पञ्च प्रणों’ को दोहराते हुए कहा, “इस शताब्दी में ज्ञान की शक्ति बनने के लिए हमें अपनी विरासत को समझना चाहिए और दुनिया को काम करने का ‘भारतीय तरीका’ सिखाना चाहिए।”