गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि 2026 तक वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया जाएगा। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। इसी क्रम में अब वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए प्रस्तावित बजट को दोगुना किया गया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वामपंथी उग्रवाद को आने वाले दो वर्षों में पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है? 2014 से अबतक केंद्र की मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद को कितना नियंत्रित किया है? कैसे नियंत्रित किया है? वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं को लेकर आंकड़े क्या कहते हैं? आइए सबकुछ विस्तार से समझते हैं।
Left Wing Extremism में आई गिरावट
देखिए; छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र-प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश और केरल किसी ना किसी स्तर पर वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं। इनमें से छत्तीसगढ़ इस वामपंथी अतिवादी हिंसक विचाराधारा से सबसे ज्यादा प्रभावित है।
2014 में केंद्र में NDA की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद को जड़ से ख़त्म करने के लिए कई तरह के प्रयास किए और उन प्रयासों का ही परिणाम है कि आज वामपंथी उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में भारी गिरावट देखने को मिलती है। आइए, देखते हैं कि 2010 की तुलना में 2024 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में कितनी गिरावट आई है-
वामपंथी उग्रवाद में आई भारी गिरावट
1. वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 73 प्रतिशत तक की कमी आई है।
2. आम नागरिकों की हत्या में 68 प्रतिशत की कमी।
3. सुरक्षाबलों की हत्या में 72 प्रतिशत की कमी।
4. वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं की रिपोर्ट वाले जिलों में 53 प्रतिशत की कमी।
5. वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं की रिपोर्ट वाले थानों में 62 प्रतिशत की कमी।
सरकार के ये प्रामाणिक आंकड़े साबित करते हैं कि वामपंथी उग्रवाद की आधी से ज्यादा लड़ाई देश ने जीत ली है। शायद ये आंकड़े ही हैं जिनके आधार पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आने वाले 2 वर्षों में वापमंथी उग्रवाद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।
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अब सवाल उठता है कि केंद्र की मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) पर काबू कैसे किया? तो समझिए; सरकार ने वामपंथी उग्रवाद पर काबू पाने के लिए कई तरह की नीतियां और उपाय अपनाए। सरकार ने हिंसा के इस वामपंथी खेल को जड़ से समाप्त करने के लिए जिस सुनियोजित तरीके से काम किया शायद ही भारत में इससे पहले इस तरह से किसी और तरह की हिंसा के विरुद्ध काम किया गया हो।
सरकार ने ऐसा काबू किया वामपंथी उग्रवाद
1. केंद्र सरकर ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाते हुए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना तैयार की।
2. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के पुलिस बल को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए ‘पुलिस बल का आधुनिकीकरण’ योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत ‘सुरक्षा संबंधी खर्चे स्कीम’ के तहत 3017. 35 करोड़ रुपये जारी किए गए। इस योजना के तहत ही वामपंथी उग्रवादी हिंसा में मौत होने पर मिलने वाले मुआवजे को सरकार ने 2017 में 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया था और अब इसे 40 लाख कर दिया गया है।
3. पुलिस के आधुनिकीकरण की योजना के अंतर्गत ही वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता की शुरूआत की गई। इसका उद्देश्य है क्रिटिकल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर काम करना। 2017-18 से इसके अंतर्गत 3449.98 करोड़ रुपये जारी किए गए।
4. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में इसे नियंत्रित करने के लिए 400 विशेष पुलिस स्टेशन बनाए गए।
5. वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को वामपथी उग्रवाद मैनेजमेंट स्कीम के तहत विशेष सहायता दी गई।
6. स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच संवाद बढ़ाने, विश्वास बनाने के लिए सिविक एक्शन प्लान और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को उग्रवादियों के एजेंडे से बचाने के लिए मीडिया प्लान भी सरकार ने लागू किया है।
7. आवश्यक सड़क योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 8 राज्यों के 34 जिलों में सड़कों के निर्माण का कार्य किया गया। 5,362 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया, जो लगभग पूरा कर लिया गया है।
8. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क योजना को सरकार ने 2016 में मंजूरी दी। योजना के तहत 11, 725 करोड़ रुपये में 12,162 किलोमीटर सड़क निर्माण और 705 पुलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया। जुलाई, 2024 तक 9,226 किलोमीटर सड़क का निर्माण हो चुका है और 417 पुल बनाए गए हैं।
9. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में CAPF के 195 नए कैंप बनाए गए हैं। 44 नए कैंप और स्थापित होंगे।
10. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बड़े स्तर पर पोस्ट ऑफ़िस, बैंक ब्रांच, ATM स्थापित किए गए। जिससे कि इन क्षेत्रों के लोगों को आर्थिक तौर पर मुख्य धारा में शामिल किया जा सके।
यह तो ऐसे प्रयास हैं जो केंद्र सरकार ने वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) से प्रभावित राज्यों और जिलों में किए हैं। इसके अलावा लाल आतंक को ख़त्म करने के लिए केंद्र सरकार ने अर्बन नक्सल के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की है।
केंद्र की मोदी सरकार ने तमाम ऐसे कथित NGO के विरुद्ध कार्रवाई की है जो इन वामपंथी उग्रवादियों के विचार और वित्त पोषक थे। ऐसे तमाम व्यक्तियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की गई है जो देश के विरुद्ध विष वमन ही नहीं करते थे बल्कि लाल आतंक के समर्थन में खुलकर खड़े रहते थे।
2014 से पहले ये अर्बन नक्सल वामपंथी उग्रवादियों का खुलकर समर्थन करते दिखते थे। सरकार की निरंतर कार्रवाई और जनता के दवाब के बाद लाल आतंकियों को अर्बन नक्सल से मिलने वाला समर्थन भी कम हुआ है।
केंद्र सरकार के इन प्रयासों का ही परिणाम है कि 2013 में 126 जिले लाल आतंक से प्रभावित थे, 2024 में उनकी संख्या घटकर 38 रह गई है। आइए देखते हैं कि अब कौन-से जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं-
2024 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 38 जिले
1. आंध्र-प्रदेश का एक अल्लूरी सीताराम राजू जिला प्रभावित है।
2. छत्तीसगढ़ के 15 जिले- बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरगढ़, छुईखदान गंडई, सुकमा, कबीरधाम, मुंगेली।
3. झारखंड के 5 जिले- गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहारदगा, पश्चिमी सिंहभूम।
4. केरल के दो जिले- वायनाड और कन्नूर।
5. मध्य प्रदेश के तीन जिले- बालाघाट, मंडला और डिंडोरी।
6. महाराष्ट्र के दो जिले- गढ़चिरौली और गोंदिया।
7. ओड़िशा के सात जिले- कालाहांडी, कंधमाल, मलकानगिरी, नवरंगपुर, नुआपड़ा और रायगड़ा।
8. तेलंगाना के दो जिले- भद्रादी-कोठागुड़म और मुलुगु।
9. पश्चिम बंगाल का एक जिला- झारग्राम।
वामपंथी उग्रवाद को ख़त्म करना आवश्यक क्यों?
अब एक सवाल और उठता है कि इन वामपंथी उग्रवादियों को ख़त्म करना क्यों आवश्यक है? क्यों इन लाल आतंकियों को मिट्टी में मिलाना ज़रूरी है? देखिए; इन वामपंथी उग्रवादियों का अंतिम उद्देश्य दीर्घकालीन हिंसा के माध्यम से सत्ता पर कब्जा करना है।
ऐसी विचारधारा के लोग इसे Protracted People’s War कहते हैं। दशकों से वामपंथी उग्रवादी अपनी इसी विचाधारा के लिए लोगों को मारते आ रहे हैं। देश के सुरक्षाबलों को, पुलिसकर्मियों को मारते आ रहे हैं।
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केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2004 से लेकर 2022 तक इन वामपंथी उग्रवादियों ने 8 हजार 626 आम नागरिकों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा है। याद रखिए, ये सिर्फ आम नागरिकों की हत्या का आंकड़ा है सुरक्षाबलों, पुलिसकर्मियों की हत्या को इसमें नहीं जोड़ा गया है।
इनका उद्देश्य है कि लोगों के अंदर डर भरकर उन्हें सरकार के साथ और देश की मुख्यधारा के साथ ना जुड़ने दिया जाए। सरकार की योजनाओं, सरकारी की नीतियों का, सरकार के प्रोजेक्ट्स का उन्हें लाभ ना लेने दिया जाए। जबकि सरकार का उद्देश्य है कि विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया जाए और ये वही नहीं होने देना चाहिए, इसलिए इन्हें ठिकाने लगाना आवश्यक है।