विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भारत दुनिया में 46वें स्थान पर आता है। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन के बाद विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में प्रदान किए गए पीएचडी के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स एवं यूनिकोर्न की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुआ विकास उल्लेखनीय है। इस विकास की धारा को और गति मिले इसके लिए इसमें महिलाओं की भागीदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि मोदी सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में STEM क्षेत्र (विज्ञान, प्रौद्योगिकी , इंजीनियरिंग, गणित) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
देश आज यानी 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मना रहा है। इस वर्ष राष्ट्रीय दिवस की थीम ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ रखी गई है। भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। साथ ही अपनी योजनाओं का निर्माण देश के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक कल्याण के लिए भी कर रहा है। बात जब वैश्विक कल्याण की हो तो उसमें महिलाओं की साझेदारी को बढ़ावा मिलना आवश्यक हो जाता है क्योंकि महिलायें शिक्षा के साथ उसकी व्यावहारिकता और सामाजिक सरोकार को अच्छी तरह से जोड़ पाती हैं।
समान विकास के लिए समान अवसर मिलना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार द्वारा STEM क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम चलाए गए हैं। बीते वर्षों में इस क्षेत्र में चलाई गई नीतिगत योजनाओं से उच्च शिक्षा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर हुई 7.2%, कोरोनाकाल के बाद सुधर रही है स्थिति: NSSO की रिपोर्ट
विज्ञान क्षेत्र में लैंगिक धारणाओं को तोड़ते हुए मोदी सरकार द्वारा चलाई गई परियोजनाओं का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। STEM क्षेत्र में महिलाओं द्वारा जिन परेशानियों का सामना किया जाता है। सरकार ने उसका ध्यान रखते हुए विज्ञान प्रसार जैसी योजनाओं का निर्माण किया है। इसी का परिणाम उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) में देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 और 2019-20 के बीच स्नातक, परास्नातक और पीएचडी स्तर के कार्यक्रमों के नामांकन में एसटीईएम में महिलाओं की संख्या में लगभग 54,000 की वृद्धि हुई है जबकि पुरुषों की संख्या में लगभग 59,000 की गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 में STEM में महिला नामांकन की संख्या में वृद्धि देखी गई जो 22 से 27.9 पहुँच गई। यह सक्रिय रूप से 5.9 अंक की वृद्धि दर्शाती है। साथ ही, पिछले सात वर्षों में, महिलाओं ने अपने 2020-21 जीईआर 26.7 के साथ पुरुष प्रतिभागियों को पीछे छोड़ दिया है।
वर्ष 2014 के बाद से स्टेम क्षेत्र में देखी गई यह वृद्धि नीतिगत योजनाओं का परिणाम है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा न सिर्फ विज्ञान क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली योजनाएं बनाई बल्कि इनमें महिलाओं की साझेदारी भी सुनिश्चित की है।
STEM क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए मोदी सरकार द्वारा ‘किरण (नॉलेज इनवॉल्वमेंट इन रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग)’ योजना की शुरुआत की गई। योजना का उद्देश्य महिला वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान, स्वरोजगार और प्रौद्योगिकी विकास के अवसर प्रदान करना है। यह आगे महिलाओं को वैज्ञानिक डोमेन में प्रशिक्षित करने, शामिल करने और भाग लेने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने की परिकल्पना करता है।
योजनाओं का परिणाम यह रहा है कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर माध्यमिक और तृतीयक तक, शैक्षिक और साथ ही अनुसंधान से जुड़े विभागों में महिलाओं की भागीदारी का ग्राफ बढ़ा है। स्नातक विज्ञान के पाठ्यक्रमों में 2013-14 से 2020-21 तक महिला भागीदारी में कुल 5% का उछाल देखा जा सकता है। इसी तरह के आंकड़े स्नातकोत्तर और पीएचडी क्षेत्रों में देखे गए हैं।
साथ ही, मोदी सरकार द्वारा विज्ञान ज्योति योजना चलाई जा रही है जिसका उद्देश्य स्टेम शिक्षा में महिलाओं की संख्या बढ़ाना है। इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा। साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट, विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित करवाया जाएगा।
साथ ही, जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) STEM में लिंग समानता का आकलन करने के लिये एक समग्र चार्टर और रूपरेखा तैयार करेगा। विज्ञान क्षेत्र में चलाई गई इन योजनाओं और कार्यों का परिणाम है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा जारी “अनुसंधान और विकास सांख्यिकी, 2019-20” पर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 16.6% महिला शोधकर्ता सीधे आर एंड डी गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं।
डीएसटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि बाह्य अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में महिला प्रतिभागियों की संख्या 2000-01 में 13 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 28 प्रतिशत हो गई है। इसका श्रेय वर्तमान सरकार की विभिन्न समावेशी पहलों को दिया जाता है।
यहां तक कि आईआईटी और आईआईएसईआर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी महिला नामांकन अनुपात में वृद्धि देखी गई है। शिक्षा राज्य मंत्री, डॉ. सुभाष सरकार ने राज्यसभा में अपने बयान में इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईटी में महिला नामांकन 2016 में 8% से बढ़कर 2021-22 में 20% हो गया है।
क्षेत्र कोई भी हो, महिलाओं को अपने लिए अवसरों की कमी और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कई फैलोशिप कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार स्टेम क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए औद्योगिक अनुसंधान फैलोशिप, वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक फैलोशिप कार्यक्रम और महिलाओं के लिए विदेशी फैलोशिप जैसी अनुसंधान और फेलोशिप योजनाएं शुरू की गई है। ये योजनाएं महिला वैज्ञानिकों को उनके कौशल को उन्नत करने में मदद करती है साथ ही उनके प्रदर्शन के लिए मंच भी प्रदान करती है।
108वीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विषय ‘सतत विकास और महिला सशक्तिकरण’ है
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए ही वर्ष 2022 में डॉ एन कलैसेल्वी को सीएसआईआर की पहली महिला महानिदेशक नियुक्त किया गया था। साथ ही DRDO में वैमानिकी प्रणालियों के महानिदेशक के रूप में वर्ष 2018 में टेसी थॉमस को नियुक्त किया गया था। टेसी भारत में एक मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। यह वैज्ञानिक अनुसंधान में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि की मजबूत तस्वीर पेश करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए महिला साझेदारी आवश्यक है। विज्ञान के जरिए महिलाओं के विकास के रास्ते खोलने के साथ ही महिलाओं की भागीदारी से विकास के नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। इसी आधार पर सरकरा द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों ने युवा महिला वैज्ञानिकों में उत्साह और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी की है। भारतीय महिलाएं अब प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थानों का नेतृत्व कर रही हैं और लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रही हैं। रितु करिधल, चंद्रिमा शाह, मंगला मणि, मुथय्या वनिता, कामाक्षी शिवरामकृष्णन और गगनदीप कांगजैसी महिला वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक अनुसंधान में अपने शानदार प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया है।
मोदी सरकार द्वार 25 वर्षों में डेटा और प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का लक्ष्य रखा गया है। महिलाओं की विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी न सिर्फ देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी बल्कि यह विश्व के सामने भारत को नेतृत्वकर्ता का स्थान भी देगी। वर्ष 2047 तक जिस विकसित राष्ट्र का सपना प्रधानमंत्री मोदी एवं देश द्वारा देखा गया है उसमें महिलाओं का समान स्थान रहे इसके लिए वर्तमान में किए गए प्रयास ही परिणाम देंगे।