देश के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच अर्थव्यवस्था को आवश्यक गति प्रदान करने में लॉजिस्टिक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी लॉन्च की थी। पॉलिसी का उद्देश्य देश में माल के आवागमन के तरीके को बदलना है। यह नीति चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है: बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी, कौशल और नियम।
2014 के बाद से सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग, दोनों में सुधार पर काफी जोर दिया है। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी पूरे सप्लाई चेन के ढाँचे के विकास के लिए एक व्यापक बढ़ी हुई लागत और जटिलताओं को कम करने का प्रयास है। यह नीति भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार, आर्थिक विकास को बढ़ाने और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का एक प्रयास है।
इस नीति के आने के बाद से लगातार मालवहन क्षेत्र में सुधार आया है। विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग 44 से सुधर कर 38वें स्थान पर आ गई है। इस नीति के माध्यम से 2030 तक 25वें स्थान पर पहुंचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
नई नीति ने इस क्षेत्र में रोजगार सृजित करने में भी मदद की है। यह एक दीर्घकालिक योजना है और इसकी पूरी क्षमता हासिल करने में समय लगेगा। हालाँकि, नीति ने भारत में एक अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्सक्षेत्र की नींव रख दी है।
वर्तमान में भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा असंगठित है। इसमें 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 पीजीए, 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदें, 500 प्रमाणन, 10000 वस्तुएं और 1 करोड़ से अधिक रोजगार आधार शामिल हैं।
वर्ष, 2014 और 2019 के बीच 10.5% के CAGR के साथ भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर तेजी से बढ़ा। हालांकि, इस सेक्टर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जैसे उच्च लॉजिस्टिक्स लागत, अकुशल संचालन और सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भारत में माल ढुलाई की लागत 14% है, जो वैश्विक औसत 8% से कहीं अधिक है। रसद की यह उच्च लागत भारत के आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा रही है।
माल ढुलाई का यह क्षेत्र 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से इस लागत में कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि संभव है। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार अगले पाँच वर्षों में, अर्थात 2023-2028 के बीच 8.8% CAGR की ग्रोथ के साथ लगभग 432 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। वर्ष 2021-22 की समाप्ति तक भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार का साइज लगभग 260 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धा में सुधार करेगी, अधिक रोजगार सृजित करेगी, वैश्विक रैंकिंग में भारत के प्रदर्शन में सुधार करेगी और भारत को लॉजिस्टिक्स केंद्र बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
यह भी पढ़ें- कैबिनेट ने कोयला और लिग्नाइट की खोज स्कीम को जारी रखने के लिए 2,980 करोड़ रुपये की मंजूरी दी
जीएसटी लागू होने से लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में कुशलता आई है। इससे ट्रकों की माल ढुलाई में लगने वाले समय में 20% से अधिक की कमी आई है। सभी वेयरहाउसिंग की जियो-टैगिंग को बढ़ावा दिया गया है। यह नीति 2030 तक वैश्विक बेंचमार्क के बराबर होने के लिए भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करके 14% से 9% लाने का लक्ष्य रखती है। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग में भारत 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होने का प्रयास कर रहा है।
उड़ान, भारतमाला, सागरमाला, नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन आदि जैसे परिवहन बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत द्वारा की गई कई महत्वपूर्ण पहलों को रेखांकित करते हुए केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति प्लान से देश के विकास में एक नया अध्याय जुड़ा है। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी और गतिशक्ति योजना लॉजिस्टिक्स के लिए डबल इंजन का काम करेगी।
उन्नत मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स समन्वय
भारत परंपरागत रूप से लॉजिस्टिक्स के लिए सड़क परिवहन पर बहुत अधिक निर्भर रहा है, जबकि विकसित देश रेलवे को प्राथमिकता देते हैं। एनएलपी का उद्देश्य सड़क, रेलवे, महासागर और वायु सहित परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच बेहतर समायोजन को सक्षम करके इस असमानता को दूर करना है। माल ढुलाई के इन सभी माध्यमों को मिलाकर सड़कों पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने और विभिन्न परिवहन विकल्पों के उपयोग को अनुकूलित करने में मदद करेगा।
यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP)
यूनिफाइड लॉजिस्टिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) की शुरुआत भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए गेम-चेंजर साबित होने वाली है। बैंकिंग क्षेत्र में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के परिवर्तनकारी प्रभाव के समान, ULIP का उद्देश्य सभी स्टेकहोल्डर्स को सही समय पर जानकारी, वन-विंडो प्लेटफॉर्म बनाकर कुशलता को बढ़ाना और रसद लागत को कम करना है।
यह एकीकृत प्रणाली मल्टी-मॉडल परिवहन की दृश्यता इससे जुड़े हुए सभी विभागों और मंत्रालयों को एकीकृत करेगी।
रिवर्स लॉजिस्टिक्स चुनौतियों का समाधान
भारत को रिवर्स लॉजिस्टिक्स में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें कई ट्रक सामान देने के बाद खाली या न्यूनतम भार के साथ लौटते हैं। यह अक्षमता परिवहन लागत को बढ़ाती है और समग्र रसद पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। नई नीति के तहत ऐसा ना हो इसके लिए कदम उठाए जाएंगे। इससे ट्रकों को वापसी में ढुलाई के लिए माल मिल सकेगा जिससे इनकी कमाई बढ़ेगी। इसमें यूलिप का बड़ा योगदान होगा।
अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए निहितार्थ
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) भारत के आर्थिक विकास में मालवहन को सबसे आगे रखती है। लॉजिस्टिक्स लागत को कम कर दक्षता में सुधार करके भारत अपने निर्यातों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकता है। यह प्रयास हो रहे हैं कि सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में होने वाला सबसे बड़ा खर्चा ईंधन का होता है, ऐसे में एविएशन फ्यूल और डीजल अदि को GST के अंतर्गत लाने की बात भी हो रही है।
नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जा रही थी, इसके पीछे भारत में बनने वाली वस्तुओं की लागत में कमी लाकर उन्हें विदेशी बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त देश में माल की ढुलाई तेजी से होने से जल्दी खराब होने वाले वस्तुओं को भी तेजी से लाया ले जाया सकेगा।
वर्तमान सरकार का यह लक्ष्य रहा है कि इस क्षेत्र से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को एक साथ लाकर के समग्र योजना बनाई जाए ताकि इससे अर्थव्यवस्था को बढ़त मिले। पीएम गतिशक्ति- मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान- पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था। यह इस दिशा में एक अग्रणी कदम था।
राष्ट्रीय रसद नीति में भारत के रसद क्षेत्र को इसकी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने और रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 9% तक कम करने की क्षमता है। यह देश के अंदर लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की समस्याओं और जटिलताओं को कम करके अर्थव्यवस्था को बढाने में सहायता करेगी।
यह भी पढ़ें- ग्रिड-स्केल बैटरी स्टोरेज के लिए सरकार लाएगी ₹15,000 करोड़ की PLI स्कीम